भारत केवल एक देश ही नहीं बल्कि यह सबसे प्राचीनतम जीवन-पद्धतियों और संस्कृतियों में से एक परिपूर्ण सामाजिक व्यवस्था है. यह एक सबसे समृद्ध और जादुई संस्कृतियों और धर्मों का देश है. इस देश में अलग-अलग धर्मों के लोग एक साथ बिना किसी खास समस्या के मिलजुल कर रहते हैं.
समय के साथ-2 भारत में ऐसी कई रस्में और रीति-रिवाज प्रचलन में आए हैं जो जाने-अनजाने इस विविधतापूर्ण सामाजिक व्यवस्था का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं. कुछ रीति-रिवाज तो इतने अजीब हैं कि बाहरी यानि विदेशी व्यक्ति इन्हें जान कर इन पर सहसा यकीन ही नहीं कर पाते. वे अपने आप से पूछते से प्रतीत होते हैं, नो! डोंट टेल मी! आई डोंट बिलीव इट!!
तो देखिये भारत के 10 ऐसे हैरतअंगेज रीति-अंदाज जो किसी भी बाहरी व्यक्ति को बहुत ज्यादा कन्फयूज कर सकते हैं!!
अरेंज मैरिज (व्यवस्था विवाह)
अरेंज्ड मैरिज यानि माता-पिता या सगे-संबंधियों द्वारा तय किया गया विवाह. वैसे तो अरेंज्ड मैरिज व्यवस्था कभी पूरे विश्व में प्रचलित थी. धीरे-धीरे अरेंज्ड मैरिज का प्रचलन 18वीं शताब्दी में सारी दुनिया से खत्म हो गया लेकिन भारत में यह 21वीं सदी में भी चल रही है.
दो ऐसे इंसान जो कुछ दिन तक एक-दूसरे को जानते तक नहीं थे, उम्र भर के लिए बंधन में बाँध दिए जाते हैं. हालाँकि यह व्यवस्था प्राचीनकाल में अपनाये जाने वाली स्वयंवर व्यवस्था के विपरीत है जिसमें लड़का-लड़की को अपना जीवन साथी चुनने के अधिकार होता था. अनुमान है कि यह व्यवस्था बाल-विवाह व्यवस्था के कारण अधिक प्रचलित हुई.
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सम्मान रक्षा हेतु हत्या (ओनर किल्लिंग)
ऑनर किलिंग यानि तथाकथित ‘सम्मान’ की रक्षा हेतु हत्या, भारत में सबसे घिन्नौने कृत्यों में से एक है. भारत में विवाह करने वाले युवक-युवती की ख़ुशी और मर्जी ही सब कुछ नहीं. युवक-युवती निश्चित जाति, धर्मं, समुदाय और सामाजिक स्थिति से होने चाहिएं तभी शादी संभव है.
इन ‘नियमों’ की अवहेलना करने वालों की हत्या भी की जा सकती है ऐसा उनके रिश्तेदारों का मानना है. माता-पिता, भाई और बाकि सभी रिश्तेदार इन नियमों को तोड़ने वाले अपने बेटा-बेटी, सगे भाई-बहिन आदि को बिना किसी हिचक के मार डालते हैं. यह इस सामाजिक कुरीति का सबसे हैरानीजनक और खेदजनक पहलू है.
दहेज प्रथा
पुराने समय में लड़की के विवाह पर लड़की के मां-बाप अपनी पहुँच के अनुसार बेटी की विदाई कुछ जरुरी घरेलू सामान और गहनों, कपड़ों आदि के साथ विदा करते थे ताकि नए घर में उसे एडजस्ट करने कोई परेशानी न हो. समय के साथ-2 माँ-बाप का यह स्वैच्छिक फैसला ससुराल वालों की तरफ ट्रान्सफर हो गया और लोग मजबूरीवश नकदी, महंगे उपहारों के साथ लड़की की विदाई करने-करवाने लगे. लड़की के ससुराल वाले शादी से पहले लड़की के माँ-बाप के साथ विदाई में दिए जाने वाले उपहारों के लेन-देन यानि दहेज़ का सौदा करने लगे.
आज भी ‘उचित’ दहेज़ न लाने वाली लड़कियों को मार दिया जाता है ताकि लड़के की फिर से शादी करके और दहेज़ लाया जा सके. लड़के-लड़कियों को दहेज़ लाने वाली मशीन माना जाने लगा. हजारों बेटियां इस दहेज़ रुपी दानव का शिकार हो चुकी हैं लेकिन आज भी यह कुप्रथा कायम है. भले ही दहेज़ प्रथा भारत में अवैध है लेकिन फिर भी हर रोज कोई-न-कोई बेटी इसका शिकार हो रही है.
कन्या भ्रूण हत्या
भारत में लोग कई कारणों से लड़की को बोझ समझा जाता है. सभी को हर हाल में लड़का चाहिए. इसकी खातिर वे लड़की का जन्म होने से पहले ही उसको गर्भ में मार देते हैं. इसके विपरीत लड़कों को श्रेष्ठ और परिवार का ‘चिराग’ माना जाता है. भारत में कन्या भ्रूण हत्या पर प्रतिबंध है फिर भी कई लोग अवैध तरीके से लड़की को गर्भ में मार देते हैं.
बाल विवाह
कानूनन भारत में महिला की शादी की उम्र 18 वर्ष है और एक पुरुष की 21 वर्ष. फिर भी भारत में विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में बाल विवाह का रिवाज प्रचलित हैं. भारत में बाल विवाह पर 1929 में ही कानून बना दिया गया था. लेकिन अब भी कई समुदाय बाल विवाह पर प्रतिबंध को हटाने की मांग करते हैं.
बच्चे को छत से गिराना
बच्चे को छत से गिराने वाली रस्म बहुत चौंकाने वाली है. यह प्रथा महाराष्ट्र और कर्नाटक के कई ग्रामीण इलाकों में पिछले 700 वर्षों से मनाई जा रही है. इस प्रथा में 1-2 वर्ष के बच्चे को 50 फुट की ऊंचाई से नीचे गिराया जाता है. नीचे खड़े लोग उसको पकड़ते हैं, लोग ऐसा समझते हैं कि ऐसा करने से बच्चों को भगवान से आशीर्वाद मिलता है.
पशुओं या पेड़ों से शादी करने बुरे ग्रह का निवारण
अधिकतर भारतीय कुंडली और तंत्र-मंत्र में विश्वास रखते हैं. कुंडली के अनुसार में कई लोगों में मांगलिक दोष पाया जाता है. मांगलिक दोष का अर्थ है व्यक्ति का मंगल शनि आदि नीच ग्रहों से ग्रसित होना. धारणा है कि मांगलिक दोष से पीड़ित लड़के-लड़की का गैर-मांगलिक लड़के-लड़की से विवाह होने पर किसी एक की मृत्यु हो जाती है. इस दोष के निवारण के लिए पीड़ित युवक-युवती की किसी पशु जैसे कुत्ते, भैंस या किसी पेड़ जैसे पीपल, जामुन आदि से विवाह करके इस दोष से मुक्ति का प्रयास किया जाता है. यह अपने आप में इस सर्वथा दुर्लभ अनुष्ठान है जो अन्यंत्र कहीं देखने को नहीं मिलता.
केश लोचन
भारत में केश लोचन प्रथा बहुत प्रचलित है जिसमें एक आदमी अपने सर के सारे बाल कटवाकर भगवान को अर्पित करता है. वह ऐसा भगवान को खुश रखने के लिए करते हैं. यह प्रथा जैन धर्म के लोगों में बहुत प्रचलित है. कुछ रिवाज भारत में इससे भी ज्यादा दर्दनाक है.
आत्म-समालोचना (Self-Flagellation)
आत्म-समालोचना की प्रथा भारत में ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी प्रचलित है. यह प्रथा मुहर्रम के दिवस पर मनाई जाती है. मुहर्रम दिवस इस्लामी केलिन्डर के पहले महीने मनाया जाता है. इस दिन को हुसैन इब्ने अली की मौत हुई थी और साथ ही उनके साथ लड़ने वाले 72 योद्धाओं की मौत हुई थी. यह दिवस उनकी याद में मनाया जाता है.
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अघोरी बाबाओं द्वारा की जाने वाली नरभक्षण, काला जादू और अन्य रस्में
वाराणसी में रहने वाले दुर्जेय अघोरी संत भगवन शिव की पूजा करते हैं. वे अपने पोस्त्मोर्टम अनुष्ठानों के लिए जाने जाते हैं. यह संत व्यक्ति के अंतिम-संस्कार में बची हुई राख को अपने शरीर पर लगाते हैं. यह संत काला जादू करते हैं और मरे हुए व्यक्ति के शरीर के मांस का सेवन भी करते हैं.