क्या सोशल मीडिया साइटस जैसे फेसबुक, ट्विटर और अन्य किसी न किसी रूप में हमें नशे की लत की तरह आदी बना रही हैं? क्या ये स्वास्थ्य की दृष्टि से और भी गंभीर, शारीरिक और मानसिक व्याधियां पैदा कर रही हैं. सोशल नेटवर्किंग हालांकि, दुनिया भर में नए और पुराने दोस्तों को खोजने में योगदान कर तो रही हैं, लेकिन, हमारे सामाजिक कौशल की कीमत पर. यहाँ हम चर्चा करेंगे कि सामाजिक संबंधों के सन्दर्भ में सोशल मीडिया साइटस कैसे हमें प्रभावित कर रही हैं.
सोशल मीडिया एक तरह की लत है.
अध्ययन में पाया गया है कि अमेरिका के 63% लोग फेसबुक को लोग-इन करते हैं और 40% अमेरिकी दिन में दो बार फेसबुक को खोलते हैं. इसके पीछे बहुत से कारण हो सकते हैं लेकिन सबसे साधारण कारण यही होता है कि वह सिर्फ इसीलिए फेसबुक खोलते हैं कि उनकी फोटो पर कितने लाइक और कमेंट किये गये. जो अपने आप में एक उभा देने वाली बात है. भारत में 143 मिलियन लोग सोशल मीडिया प्रयोग करते हैं और यह संख्या बड़ी तेजी से बढ़ रही है.
यह भी पढ़ें: भारत का स्विट्जरलैंड – कोडाइकनाल
सोशल मीडिया हमें दूसरों से तुलना करने में विवश कर देता है.
सोशल मीडिया पर की गई पोस्टें हमें बता देती हैं कि इस समय दूसरे लोग क्या कर रहे हैं. हमें पता चल जाता है कि चीजें कैसे काम कर रही हैं. अगर सभी लोगों की पोस्ट सोशल मीडिया पर अच्छी आ रही हैं और आपका दिन बहुत बुरा गुजरा है तो यह आप पर नेगेटिव सोशल मीडिया आपके ऊपर बुरा असर डाल सकता है.
सोशल मीडिया हमें बेचैन करता है
जैसे कि हम ऊपर बता चुके हैं कि ज्यादातर लोगों का मानना है कि बिना सोशल मीडिया के हमसे आराम नहीं होता. जिससे उनको एक तरह की बेचैनी सी होने लगती है और लोगों को कभी कभी गुस्सा भी आ जाता है. उनको लगता है कि सोशल मीडिया पर आने से थकान दूर हो जाती है.
यह भी पढ़ें: महासागरों के 4 सबसे खतरनाक हिस्से जो आपकी जान भी ले सकते हैं
सोशल मीडिया साइबर हमले को भी जन्म देता है
साइबर हमला विशेष तौर पर किशोरों के लिए एक बहुत बड़ा चिंता का विषय है. एक संगठन ने अपने अध्ययन में पाया है कि 95% किशोर जो हर रोज सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं को किसी न किसी साइबर धमकी का सामना करना पड़ता है और 33% किशोर साइबर हमले का शिकार भी हो चुके हैं.
सोशल मीडिया नशों और शराब को प्रोत्साहित करती हैं
एक अध्ययन में पाया गया है कि 12 से 17 वर्ष की आयु के किशोर जो हर रोज सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं इन बच्चों में 70% बच्चों में तम्बाकू सेवन करने की इच्छा कई गुना ज्यादा होती है और शराब पीने की इच्छा में तीन गुना की बढोतरी होती है. इनमें मारिजुआना या चरस का नशा करने में 2 गुना की बढ़ोतरी होती है.
यह भी पढ़ें: भारत की अजीबोगरीब परंपराएँ
सोशल मीडिया हमें उदास कर सकता है
मिशिगन विश्वविद्यालय की टीम ने अध्ययन किया है किस तरह सोशल मीडिया लोगों की मनोदशा पर प्रभाव डालता है. नतीजों में पाया गया कि जितना लोग सोशल मीडिया का अधिक इस्तेमाल करेंगे उतना वह अधिक उदास रहने लगेंगे. लम्बे समय तक सोशल मीडिया के इस्तेमाल से वह अपनी जिन्दगी से संतुष्ट नही हो पाएंगे.
सोशल मीडिया के ज्यादा इस्तेमाल पर आप अपने आपको बेकार समझने लगेंगे
इसका अर्थ यह है कि सोशल मीडिया पर आपके चहेते अपने बारे में, उन्होंने कितने मजे किये और वो क्या-2 कर रहे हैं, को बार-2 डालते हैं जिससे आपकी कंडीशन फोमो जैसी हो जाएगी. आपको ऐसा लगने लगेगा कि आपके चहेते आपके बिना बहुत अच्छी जिंदगी बिता रहे हैं और आप अपने आप को बेकार समझने लगेंगे.
यह भी पढ़ें: प्रेरक महिलाएँ जिन्होंने देश को गौरवान्वित किया
सोशल मीडिया आपको अक्सर मल्टीटास्किंग की ओर ले जाता है
सोशल मीडिया आपको कई बार मल्टीटास्किंग करने को विवश कर देता है. जैसे कि पहले आप फेसबुक का पेज खोलोगे फिर बाद में आप उसके साथ अपना कोई काम का जरूरी पेज खोलोगे. तो एक समय में आप कभी फेसबुक को खोलोगे और दूसरे समय में आप अपने काम करने का पेज जिससे आप अपना फोकस किसी एक पेज पर नही रख पाओगे.
सोशल मीडिया हमारी कनेक्टिविटी को बढ़ा देता है
सोशल मीडिया हमें अपनी असली दुनिया में नहीं आने देता. सोशल मीडिया रिश्तों को पुनर्जीवित और संभाल के रखने में हमें सहायता करता है. ब्रिटिश साइकोलॉजी सोसाइटी ने एक अध्ययन में पाया है कि कम आत्म-सम्मान वाले लोग, सोशल मीडिया का इस्तेमाल रिश्तों को बनाने में करते हैं.
यह भी पढ़ें: भारत की शीर्ष 10 प्रभावशाली महिलाएं
सोशल मीडिया सामाजिकरण में मदद कर सकता है
एक अध्ययन में पाया गया है कि शर्माने वाले लोग कंप्यूटर की स्क्रीन के पीछे बैठकर अपनी सोशल जिन्दगी जीते हैं. इस अध्ययन में एक अच्छी बात भी पाई गई है कि जो लोग मीडिया का सहारा लेते हैं वो दूसरों से हमदर्दी भी सोशल मीडिया पर अच्छी तरह से दिखा सकते हैं.
यह भी पढ़ें: भारत में इन 8 जगहों पर आप छू सकते हैं बादलों को