आयुर्वेद और योग
आज आयुर्वेद और योग को उपचार के महत्वपूर्ण विकल्प के रूप में गिना जाता है. पश्चिमी उपचार पद्धतियों और एलोपेथी की खोज से पहले ही भारत में आयुर्वेद और सिद्ध-आसन आधारित उपचार पद्धतियों की खोज हो चुकी थी. आयुर्वेद और योग से भारत उच्च-स्तरीय उपचार की औषधियाँ बना चूका था. आज के दौर में भी लोग आयुर्वेद और योग की सहायता से असाध्य रोगों का सफलतापूर्वक इलाज कर रहे हैं.
रामानुजन का गणित में योगदान
रामानुजन ने अपना गणित का कौशल 10 वर्ष की आयु में दिखा दिया था. वे एक भारतीय गणितज्ञ थे जिन्होंने कोई औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं की थी. रामानुजन ने शुरुआत से अपना योगदान गणितीय विश्लेषण, नंबर थ्योरी, इनफिनिट सीरीज में दे दिया था. जब उसके हुनर का पूरी गणित सम्प्रदाय को पता लगा तो इंग्लिश के एक मशहूर गणितज्ञ ने उनसे साझेदारी की. राष्ट्रीय गणित दिवस (22 दिसंबर ) उनके जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है.
हीरे
हीरा अपनी सौन्दर्य, शक्ति, कठोरता और स्थायित्व के लिए जाना जाता है. हीरा-व्यापार के बारे में अर्थशास्त्र में पाया जाता है. 18वीं शताब्दी में ब्राजील में पाए जाने तक भारत हीरे का एक मात्र स्रोत था. कहा जाता है कि भारत में हीरे का व्यापार 5000 वर्ष पुराना है. इसमें कोई शंका नहीं है कि हीरा पृथ्वी पर पाए जाने वाली सबसे कीमती वस्तु है.
रमण प्रभाव
शायद, रमण प्रभाव 20 वी सदी में विज्ञान के लिए भारत की और से सबसे महत्वपूर्ण योगदान था. इसकी खोज C.V Raman और KS krishnan ने द्रव्य में, जी लैंड्सबर्ग और एल आई मांदेलश्ताम ने इसकी खोज क्रिस्टल में की थी. प्राय: इन्द्रधनुष बनते हुए सभी ने देखा है। सूर्य से आने वाली सफेद प्रकाश किरणें जब वायुमंडल में मौजूद पानी के कणों से गुजरती हैं तो इस प्रकाश में मौजूद विभिन्न रंगों की किरणें अलग अलग हो जाती हैं। जिसे विज्ञान की भाषा में अपवर्तन कहते हैं। दरअसल सफेद प्रकाश कई रंग की किरणों का मिश्रण होता है।
मोतियाबिंद ऑपरेशन
मशहूर भारतीय चिकित्सक सुशुत्रा ने अपने काम में मोतियाबिंद का जिकर किया है. अपनी आंख में चाकू मारना एक बहुत ही भयानक काम है. मोतियाबिंद ऑपरेशनों में आँख का नेचुरल लेंस को हटाया जाता है. इसकी खोज भारत में हुई थी. बाद में इसका परचार भारतीय चिकित्सक सुश्त्रा दुवारा पूरी दुनिया मैं किया गया. मोतियाबिंद ऑपरेशन आम तोर पर एक आँख के विशेषज्ञ द्वारा हस्पताल में किया जाता है, ताकि रोगी को कोई असुविदा ना हो.
रॉकेट तोपखाने
टीपू सुल्तान, जो मैसूर का राजा था. उसने पहली बार रोकेट तोपखाना का इस्तेमाल ईस्ट इंडिया के खिलाफ किया था. इस तोपखाने में लोहे का आवरण और एक धातु का सिलिंडर होता था जो बहुत जबरदस्त धमाके से लम्बी दूरी तक हमला करता था. इससे परभावित हो कर अंग्रेजो ने इसमे नई चीजों को डालकर नपोलियन के खिलाफ युद्ध में इस्तेमाल किआ था. लेकिन सच्चाई यही है कि तोपखाने की खोज भारत में हुईं थी.
रूइं की चर्खी
ये एक रुई ही थी जिसने ईस्ट इंडिया कंपनी को भारत की और आकर्षित किया. भारतीय पुरातन काल से ही रुई का कारोबार करते आये हैं. परंतु इसके नया अवतरण कोएली व्हिटनी दुवारा लाया गया. ये चर्खी आसानी और तेजी से रुई को बीजों से अलग करती है. एली व्हिटनी की चर्खी बहुत अधुनिक थी जो एक तारों का संग्रह और छोटी तार की हुक से बनी हुई थी.
स्टील
स्टील एक बहुत ही महत्वपूर्ण खोज है. इसने ही उद्योगिक दुनिया को बदल के रख दिया, लेकिन भारतीयों ने ही सबसे पहले स्टील का इस्तेमाल किआ था. इसको चर्कोल और गर्म तरल लोहे को मिला के बनाया जाता था. स्टील 326 बीसी से इस्तेमाल हो रही है. स्टील ने टेक्नोलॉजी को भी मजबूत बनाया है. लेकिन फैक्ट यही है कि इसका ईजाद भारत में ही हुआ था.
स्याही
स्याही एक तरल रंग होता है जो लिखने और ड्रा करने में इस्तेमाल होता है. इन दिनों ज्यादातर स्याही प्रिंटर कार्ट्रिज में इस्तेमाल होती है. भारतीय पहले थे जिन्हों ने इसका इस्तेमाल लिखने में और ड्रा करने में किया था. बहुत सारे धार्मिक पुस्तकें स्याही से ही लिखी गई थी.
जीरो
जीरो अपने आप में ही एक काफी बड़ा सबूत है कि भारतीयों ने ही इसका इस्तेमाल सबसे पहले गणित में किया था. जीरो के भी विज्ञान और टेक्नोलॉजी की कल्पना करना भी असंभव है. बहुत लोग इस्पे बहस करते है कि जीरो की खोज कोई राकेट साइंस नहीं है. परंतु अगर जीरो ना होता तो राकेट साइंस ही ना होती. जीरो के कारण ही मनुष्य गुफाओं से निकल कर चांद पे पहुंचा.
बटन का आविष्कार
बटन का आविष्कार भारतीयों द्वारा ही किया गया था हालांकि इस बात को अभी तक किसी ने साबित नहीं किया है लेकिन इंडस वैली सिविलाइज़ेशन में इस बात के काफी सबूत मिले हैं।
शतरंज का आविष्कार
शतरंज का इतिहास कम से कम 1500 वर्ष पुराना है. इस खेल का अविष्कार छठवीं शदी में मध्य भारत में हुआ था और गुप्ता डायनेस्टी में इस खेल को इजाद किया गया था.
ईमेल का आविष्कार
आपको यह बात जानकर हैरानी होगी कि ईमेल का आविष्कार भी भारतीय द्वारा ही किया गया था शिवा अय्यादुराई नामक व्यक्ति ने ईमेल का अविष्कार किया था जो कि भारतीय थे. हाईस्कूल में पढ़ाई के दौरान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन एंड डेंटिस्ट्री के लिए अय्यादुराई ने ईमेल प्रणाली पर अपना काम शुरू किया था. शिवा अय्यादुराई को इस काम में 1978 में कामयाबी मिली और पूरी तरह इंटरआफिस मेल प्रणाली विकसित की. इसे उन्होंने इसे ‘ई-मेल’ नाम दिया था.
फिबोनाची संख्या (Fibonacci Numbers)
इस प्रकार के नंबर सीरीज का अविष्कार भी भारतीयों द्वारा ही किया गया था इसका अविष्कार Virahanka, Gopala and Hemachandra द्वारा किया गया था. फिबोनाची संख्या का नाम पीसा के लियोनार्डो फिबोनाची के नाम पर रखा गया था.