सांप का नाम सुनते ही ज्यादातर लोगों के रौंगटे खड़े हो जाते है, लेकिन महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में एक गांव है जिसके हर घर में सांप पाए जाते हैं. है न अजीब?, लेकिन या सच है. यानि इस गाँव में सांप मेहमान नहीं बल्कि घर के ही सदस्य माने जाते हैं!
सोलापुर जिले का शेतपाल गाँव मुंबई-हैदराबाद मार्ग पर स्थित है, जो बीजापुर और गडग को जाने वाली छोटी लाइनों से भी जुड़ा है। सोलापुर कपास और अन्य कृषि उत्पादों के व्यावसायिक केंद्र के रूप में विकसित हुआ है। सोलापुर के सिद्धेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से बड़ी संख्या में आते हैं। सोलापुर एक औद्योगिक केंद्र भी है, सूती वस्त्र के क्षेत्र में यह मुंबई के बाद दूसरा केंद्र है।
सोलापूर मे मराठी से ज़्यादा तेलुगू और कन्नड़ भाषा बोली जाती है। इस गांव के हर घर में सांप पाए जाते हैं | खतरनाक कोबरा इस गांव के बच्चों के लिए खिलौने जैसा हैं | गांव के लोग घरों में कोबरा सांप पालते हैं. हैरानी की बात यह है, कि ये सांप किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते | लोग इस अनोखे गांव को देखने के लिए दूर-दूर से आते है| इस गांव में सांपों की पूजा की जाती है, और इस गांव में सांपों के बहुत से मंदिर है|आज तक इस गांव में किसी ने सांपों को नहीं मारा है| स्थानीय निवासियों का कहना है, कि शायद इसलिए आज तक किसी को भी यहां सांप ने नहीं काटा|
यहाँ स्कूल-कॉलेज के अलावा सार्वजनिक स्थ्लों पर भी आपको सांप घूमते हुए मिल जाएंगे, और छोटे बच्चे भी यहां सांपों से खूब खेलते है| गांव में चाहे मकान कच्चा हो या पक्का पर सांपों के रहने के लिए विशेष स्थान बनाया जाता है|
ज्यादातर लोग घरों की टाइलों वाली छत में सापों के लिए छेद रखते है, क्योंकि इसके बीच मिट्टी में कोबरा आसानी से आराम कर सकता है| यहां तक कि नया मकान बनाते वक्त भी यह बात ध्यान में रखी जाती है, कि उसमे सांपों के लिए आरामदयाक स्थान है या नहीं।
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