इतिहास बहुत सारे खूनी और वहशी दरिंदों से भरा पड़ा है जो कहने को तो बादशाह थे पर उनके काम लुटेरों और हत्यारों से भी बढ़कर थे। इन्हीं दरिंदों में से एक था तैमूरलंग। तैमूरलंग के युद्ध प्रदर्शन की बात करें तो ना केवल हैरानी होती है बल्कि रोंगटे भी खड़े हो जाते हैं।
वह चौदहवी शताब्दी का एक तुर्क शासक था जिसने बाद में उसने तैमूरी राजवंश की स्थापना की थी। तैमूरलंग को इतिहास में एक वहशी क्रूर खूनी योद्धा के नाम से जाना गया। कहते हैं कि वह युद्ध में उतरते ही बड़ी गिनती में लाशें बिछा देता था। उसने कई युद्ध जीते और कई राज्यों को अपने कब्जे में लिया। वह योद्धाओं के सिर धड़ से अलग करके उन्हें जमा करने का शौक रखता था।
आइए जानते हैं तैमूरलंग से जुड़ी कुछ और भंयकर और रौंगटे खड़े कर देने वाली बातें।
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- तैमूरलंग का जन्म सन 1336 में उज्बेकिस्तान के शहर-ए-सब्ज नामक स्थान में हुआ था। उसके पिता ने इस्लाम कबूल कर लिया था। फलस्वरूप तैमूर भी इस्लाम का कट्टर अनुयायी हुआ।
- तैमूरलंग बचपन से ही एक मामूली चोर था, जो मध्य एशिया के मैदानों और पहाड़ियों से भेड़ों की चोरी किया करता था।
- वह बहुत ही प्रतिभावान और महत्वाकांक्षी था। जैसे-जैसे वह बड़ा हुआ उसे लोगों पर और राज्यों पर कब्ज़ा करने की होड़ लग गई। महान मंगोल विजेता चंगेज़ खां की तरह वह भी समस्त संसार को अपनी शक्ति से रौंद डालना चाहता था और सिकंदर की तरह विश्वविजय की कामना रखता था।
- सन् 1369 में समरकंद के मंगोल शासक के मर जाने पर उसने समरकंद की गद्दी पर कब्ज़ा कर लिया। उसके बाद उसने विजय और क्रूरता की यात्रा शुरू की। तैमूर की क्रूरता के कई किस्से मशहूर हैं। कहा जाता कि एक जगह उसने दो हजार ज़िंदा आदमियों की एक मीनार बनवाई और उन्हें ईंट और गारे में चुनवा दिया।
- उसे नर-मुंडों के बड़े-बड़े ढ़ेर लगवाने में ख़ास मज़ा आता था।
- कई देशों और राज्यों को चीरता तैमूर आखिरकार भारत की ओर भी रुख करने लगा। पूर्व में दिल्ली से लगाकर पश्चिम में एशिया-कोचक तक उसने लाखों आदमी क़त्ल कर डाले और उनके कटे सिरों को स्तूपों की शक्ल में जमवाया।
- इतिहासकार यह मानते हैं कि तैमूर भारत में सिर्फ और सिर्फ इस्लाम का प्रचार करने आया था, लेकिन यह पूरा सत्य नहीं है। असल में वह भारत का स्वर्ण और वह सभी कीमती सामान लूटने आया था, जो भारत की शान थी।
- एक लड़ाई में तैमूर के शरीर का दाहिना हिस्सा बुरी तरह घायल हो गया था जिसके कारण वह कुछ लंगड़ा कर चलता था। इसलिए उसका नाम तैमूर+लंग पड़ा।
- वह 35 साल तक युद्ध के मैदान में लगातार जीत हासिल करता रहा था।
- वह बहुत बड़ा योद्धा तो था ही लेकिन पूरा वहशी भी था। मध्य एशिया के मंगोल लोग इस बीच में मुसलमान हो चुके थे और तैमूर खुद भी मुसलमान था, लेकिन मुसलमानों से पाला पड़ने पर वह उनके साथ ज़रा भी नरमी नहीं बरतता था। जहाँ-जहाँ वह पहुँचा, उसने तबाही, बला और मुसीबत फैला दी थी।
- 1405 में तैमूरलंग का निधन हुआ था, तब वह चीन के राजा मिंग के ख़िलाफ युद्ध के लिए जा रहा था। मृत्यु के बाद उसे समरकंद में दफ़ना दिया गया था, जहां आज भी उसका मकबरा बना हुआ है।
- सन 1941 में रूस के पुरातत्वविदों ने तैमूर के मकबरे की खुदाई कर उसके कंकाल का अध्ययन किया और पाया कि उसके कूल्हे की हड्डी टूटी हुई थी और दाएं हाथ की दो उंगलियां गायब थी। उसके कंकाल से यह भी पता चला कि उसकी लंबाई 5 फुट 9 इंच थी और छाती चौड़ी थी।
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