महाभारत को पंचम वेद कहा जाता है। महाभारत में बहुत सी घटनाएं, संबंध और ज्ञान-विज्ञान के रहस्य छिपे हुए हैं। महाभारत योद्धाओं की गाथाओं के लिए ही नहीं, बल्कि इससे जुड़े शाप, वचन और आशीर्वाद के कारण भी हमारे मन- प्राण में बसा हुआ है। आइए जानते है महाभारत से जुड़े कुछ रहस्य और रोचक तथ्य:
- कहा जाता है कि महाभारत में 18 संख्या बहुत महत्वपूर्ण है। महाभारत की पुस्तक में 18 अध्याय हैं। गीता में भी 18 अध्याय हैं। कृष्ण जी ने अर्जुन को 18 दिन तक ज्ञान दिया था। कौरवों और पांडवों की सेना 18 अक्षोहिनी सेना थी, जिनमें 11 कौरवों की और 7 पांडवों की अक्षोहिनी सेना थी। यह युद्ध भी 18 दिन तक चला था और युद्ध में 18 योद्धा ही जीवित बचे थे। महाभारत में 18 संख्या या तो कोई संयोग है या फिर इसमें कोई रहस्य छिपा है।
- कर्ण और दुर्योधन की बहुत गहरी दोस्ती थी। एक बार कर्ण और दुर्योधन की पत्नी भानुमति शतरंज खेल रहे थे। भानुमति ने दुर्योधन को आते देख कर खड़े होने की कोशिश की। कर्ण को पता नहीं था कि दुर्योधन आ रहा है। जब भानुमति खड़े होने की कोशिश कर रही थी, तब कर्ण ने उसकी मदद करने के लिए उसे पकड़ना चाहा। लेकिन कर्ण के हाथ में भानुमति की मोतियों की माला आ गई और माला टूट कर बिखर गई। तब तक दुर्योधन भी वहां आ चूका था। वह दोनों दुर्योधन को देख डर गए कि दुर्योधन को कहीं कुछ गलत शक ना हो जाए। लेकिन दुर्योधन को कर्ण पर बहुत विश्वास था और उसने बस इतना ही कहा कि मोतियों को उठा लो।
- कौरवों के इलावा धृतराष्ट्र का युयुत्सु नाम का एक और पुत्र था। गांधारी के गर्भवती के समय वह धृतराष्ट्र की सेवा करने से असमर्थ थी, इसीलिए उन दिनों वैश्य नाम की दासी धृतराष्ट्र की सेवा करती थी। युयुत्सु, वैश्य और धृतराष्ट्र का पुत्र था। युयुस्तु बहुत यशस्वी और विचारशील था।
- कहा जाता है कि गुरु द्रोणाचार्य का पुत्र अश्वत्थामा आज भी ज़िंदा है।अश्वत्थामा ने महाभारत के युद्ध में एक ब्रह्मास्त्र छोड़ा था, जिससे लाखों लोग मारे गए थे। यह सब देखकर कृष्ण जी क्रोधित हो गए और उन्होंने अश्वत्थामा को श्राप दे दिया कि वह इन सब मृतिक लोगों का पाप ढोता हुआ तीन हजार वर्ष तक निर्जन स्थानों पर भटकता रहेगा। कहा जाता है कि अश्वत्थामा इस श्राप के बाद रेगिस्तानी इलाके में चला गया था।
- जब पांडव वारणावत नगर में रह रहे थे, एक दिन वहां कुंती ने ब्राह्मण भोज करवाया। सब लोगों के भोजन कर के चले जाने के बाद वहां एक भील स्त्री अपने पांच पुत्रों के साथ भोजन करने आई और उस रात वह अपने पुत्रों के साथ वहीं सो गई। उसी रात भीम ने महल में आग लगा दी और सभी पांडव कुंती सहित गुप्त रास्ते से बाहर निकल गए। सुबह जब लोगों ने भील स्त्री और उसके पांच पुत्रों के शव देखे तो उन्हें लगा कि कुंती और पांचों पांडव जल कर मर गए हैं।
- मरने से पहले पांडवों के पिता पांडु ने अपने पुत्रों से कहा कि वे उसका दिमाग खा जाएं, क्योंकि इससे वह बुद्धिमान होंगे और ज्ञान भी हासिल होगा। लेकिन उनमें से सिर्फ सहदेव ने ही अपने पिता के दिमाग को खाया। जब सहदेव ने पहली बार दिमाग खाया, उसे दुनिया में बीत चुकी चीज़ों के बारे में जाना। दूसरी बार जो वर्तमान में हो रहा है, उसके बारे में जानकारी मिली। तीसरी बार भविष्य में क्या होने वाला है, इसके बारे में उसने जानकारी हासिल की।
- सहदेव अपने पिता का दिमाग खाकर बुद्धिमान और ज्ञानी बन गया था, वह भविष्य को देख सकता था। इसीलिए युद्ध शुरू होने से पहले दुर्योधन सहदेव के पास गया और उसे युद्ध शुरू करने का सही मुहूर्त पूछा। दुर्योधन उनका सबसे बड़ा शत्रु है, सहदेव को ये बात पता होते हुए भी उसने दुर्योधन को युद्ध शुरू करने का सही समय बताया था।
- कुंती की बाल्यावस्था में उसने ऋषि दुर्वासा की सेवा की थी। ऋषि दुर्वासा ने सेवा से खुश होकर उसे एक मंत्र दिया था, इस मंत्र का प्रयोग कर कुंती किसी भी देवता का आह्वान कर उससे पुत्र प्राप्त कर सकती थी। विवाह के बाद कुंती ने मंत्र की शक्ति देखने के लिए सूर्यदेव का आह्वान किया, जिससे कर्ण का जन्म हुआ था।
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