भगवान श्री कृष्ण, जगत के अनुयायी, श्री हरि विष्णु के अवतार हैं। कृष्ण जी का मनमोहक रूप बहुत ही मंत्रमुग्ध कर देने वाला है। वे अपने भक्तों के प्रति बहुत स्नेह रखते हैं। श्री कृष्ण भक्त की रक्षा के लिए सदैव उपस्थित रहते हैं।
यह तो सभी जानते हैं कि भगवान कृष्ण को दूध, दही और माखन-मिश्री बहुत प्रिय थे लेकिन साथ ही भगवान श्रीकृष्ण अपने साथ ऐसी चीजें रखते है जो जनसाधारण के लिए कुछ न कुछ सन्देश अवश्य देती हैं। श्री द्वारकाधीश से संबंधित प्रतीक चिन्हों का भी विशेष महत्व है। इन्हें घर में रखना भी काफी शुभ माना जाता है।
आज की इस पोस्ट में हम जानेगें श्रीकृष्ण की पसंदीदा चीजों के छिपे उद्देश्य के बारे में,चलिए जानते हैं:-
बांसुरी
भगवान कृष्ण को बांसुरी बहुत प्रिय थी, इसलिए उनका एक लोकप्रिय नाम ‘मुरलीधर‘ है। बांसुरी एक मधुर वाद्य है। यह संदेश देता है कि हमारा जीवन भी बांसुरी की तरह सुरीला और मधुर होना चाहिए। परिस्थिति कैसी भी हो हमें हमेशा खुश रहना चाहिए और खुशियां फैलाने का प्रयास करना चाहिए।
माखन मिश्री
कृष्ण भगवन को माखन मिश्री बहुत प्रिय थी। गोपियों का माखन चुराकर खाने की वजह से उनका नाम “माखनचोर” भी पड़ा। मिश्री का एक महत्वपूर्ण गुण यह है कि जब इसे माखन में मिलाया जाता है, तो उसकी मिठास माखन के कण-कण में घुल जाती है।
माखन के प्रत्येक हिस्से में मिश्री की मिठास समा जाती है। मिश्री युक्त माखन जीवन और व्यवहार में प्रेम को अपनाने का संदेश देता है। यह बताता है कि प्रेम में किस प्रकार से घुल मिल जाना चाहिए।
मोर पंख
मोरपंख भी कृष्ण जी को बहुत भाता है, यही वजह है कि वे इसे अपने मुकुट पर धारण करते हैं। धार्मिक ग्रंथों में मोरपंख का बड़ा महत्व बताया गया है। मोरपंख में कई तरह के रंग समाहित होते हैं। ये रंग जीवन के हालात को दर्शाते हैं।
मोरपंख का गहरा रंग दुख और कठिनाइयों, हल्का रंग सुख-शांति और समृद्धि का प्रतीक है। इसका मतलब है कि व्यक्ति को जीवन में सुख और दुख दोनों से गुजरना पड़ता है। लेकिन उसे दोनों ही स्थितियों में समान रहना चाहिए।
कमल फूल
शास्त्रों के अनुसार कमल के फूल को अत्यंत शुद्ध माना गया है। कीचड़ में उगने के बाद भी यह अपनी सुंदरता, कोमलता और शुद्धता नहीं खोता है। यह हमें सरल और सुंदर ढंग से जीने की सीख देता है।
वैजंती माला
श्री कृष्ण वैजंती माला पहनते हैं। यह माला कमल के बीज से तैयार की जाती है और ये बीज बहुत सख्त होते हैं। हमें वैजयंती माला से संदेश मिलता है कि जीवन भले ही कितनी भी कठनाईयों से घिरा हो लेकिन समझदारी से लिए गए निर्णय सख्त राहों को भी आसान बना देते हैं।
गाय
श्रीकृष्ण को गाय अति प्रिय थी। वो इसलिए क्योंकि गाय को गुणों की खान माना जाता है। ‘पंचगव्य‘ अर्थात गाय का दूध, गाय का दही, गोमूत्र, गाय का घी, गाय का गोबर शास्त्रों में बहुत महत्वपूर्ण माना गया है।
‘गौसेवा‘ दुखों का नाश करती है और समृद्धि देती है। गाय के प्रति श्रीकृष्ण का प्रेम ये सिखाता है कि जीवन में आप चाहे कितने ही उच्च पद पर आसीन हों, कितने ही गुणवान हों, लेकिन अपने व्यक्तित्व में अहंकार को मत आने दें। हमेशा उदार रहें और दूसरों को स्नेह दें।
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