मेरिकल एपटन:-
अगर इंसान में कुछ करने का हिम्मत और जज़्बा हो, तो इंसान कभी भी असफल नहीं हो सकता। मेहनत और संघर्ष से इंसान नई बुलंदियों को छू सकता है। आज हम आपको एक ऐसी ही लड़की के बारे में बताने जा रहे हैं, जिस ने कठिन से कठिन समस्या का डट के सामना किया और समाज में लोगों के लिए नई मिसाल के तौर पर उभरी।
मेरिकल एपटन नाम की लड़की, जिसके दोनों हाथ ना होने के बावजूद, वह मनिला में Edsa Shangri-La नाम के बड़े होटल में शेफ है। 25 सितंबर 2000 में जब मेरिकल एपटन सिर्फ 11 साल की थी, वह अपने अपने अंकल के साथ बाहर पानी भरने के लिए गई थी।
अचानक 4-5 लोगों ने उनका रास्ता रोक लिया, जो कि मेरिकल के ही पड़ोसी थे, वे उनको जान से मार देना चाहते थे। मेरिकल उन्हें देखकर बहुत घबरा गई, क्योंकि उन लोगों के पास तेज़ धारदार हथियार थे। उन लोगों ने मेरिकल के अंकल पर हमला कर दिया।
यह सब देख के मेरिकल घबरा कर तेज़ गति से भागने लगी। थोड़ी ही दूरी में उन लोगों ने मेरिकल को पकड़ लिया और उसकी गर्दन और पीठ पर तेज़ चाकू से हमला किया और वह बेहोश हो गई। थोड़े टाइम बाद जब उसे होश आया, उसने थोड़ी सी आँखें खोल कर देखी, तो वो गुंडे उस वक्त भी वहीं घूम रहे थे। मेरिकल ने उनके सामने अपने मरे होने का नाटक किया।
बदमाशों के वहां से जाने के बाद मेरिकल रोती हुई, अपने घर की तरफ दौड़ी। दौड़ते समय उसे अहसास हुआ की उसके हाथ कलाई से निचे से कट गए हैं, और लटक रहे हैं। जब मेरिकल घर पहुंची, उसकी माँ उसको खून से लथपत देख एक बार तो होश खो बैठी। फिर माँ ने अपने आप को सँभालते हुए जल्दी से एक कम्बल में मेरिकल को लपेटा और हस्पताल की तरफ भागने लगी।
हस्पताल दूर होने के कारण, उन्हें पहुंचने में 4 घंटे लगे। हस्पताल पहुंचने के बाद डॉक्टर ने कह दिया कि मेरिकल शायद ही बच सके। उसकी माँ ने डॉक्टर से बहुत मिन्नतें की। तब जाकर डॉक्टर ने ऑपरेशन किया, जो कि करीब 5 घंटे चला और उसे 25 टाँके लगे।
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मेरिकल की जान तो बच गई, लेकिन उसके दोनों हाथ ना रहे। घर की स्थिति अच्छी ना होने के कारण उनके पास हस्पताल का बिल देने के लिए पैसे नहीं थे। लेकिन किसी दूर के अच्छे रिश्तेदार ने उनकी मदद की, हस्पताल का बिल चुकाया और अपराधियों को सज़ा भी दिलवाई। मेरिकल के हाथ नहीं बचे थे, लोगों ने तो ये तक कह दिया कि अब मेरिकल ज़िंदा रह के क्या करेगी, इससे अच्छा होता कि मर ही जाती।
लेकिन इतनी कठिनाइयों और समस्याओं के बाद मेरिकल ने हार नहीं मानी और जीवन में एक नई शुरुआत की। वह 2008 में हाई स्कूल से ग्रेजुएट हुई। उसे बचपन से ही खाना बनाने का बहुत शौक था, इसीलिए उसने 2009 में 2 साल के कोर्स Hotel & Restaurant Management में एडमिशन लिया और 2011 में ग्रेजुएट हुई।
जुनून और जज़्बे की बदौलत उसने शेफ का काम शुरू किया। मेरिकल को Arts and Crafts में भी गोल्ड मैडल मिला था। जल्द ही उसे बहुत से न्यूज़ चैनलों ने कवर किया और वह लाइम लाइट में आ गई। यह सब देख कर मनिला के एक बड़े होटल, जिसका नाम “Edsa Shangari – La Hotel in Manila” है, इस होटल के मैनेजर ने मेरिकल को शेफ की जॉब ऑफर की और उसने वह ऑफर स्वीकार कर ली। अभी तक मेरिकल उस होटल में काम करती है।
होटल में उसके साथ काम करने वाले उसके साथी बताते है कि हाथ ना होने के बावजूद मेरिकल बहुत अच्छा केक बनाती है और बहुत बढ़िया तरिके से डेकोरेट भी करती है। वह मदद के लिए तब ही बुलाती है, जब कोई गरम बर्तन गैस स्टोव से हटाना हो, या फिर बोतल से कोई चिकना ढक्कन खोलना हो।
मेरिकल एपटन के जीवन से यह सीख मिलती है कि जीवन में कितनी भी बड़ी समस्या हो, कभी हार नहीं माननी चाहिए। हर मुश्किल का डट कर सामना करना चाहिए। जुनून और जज़्बे से इंसान Disable होने के बावजूद एक Normal Life जी सकता है।
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