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रघुनाथ मंदिर: जानिए जम्मू में स्थित इस खूबसूरत मंदिर के बारे रोचक तथ्य

रघुनाथ मंदिर जम्मू और कश्मीर के भारतीय केंद्र शासित प्रदेश में जम्मू में स्थित एक हिंदू मंदिर है। इसमें सात हिंदू मंदिरों का एक परिसर शामिल है। यह मंदिर न केवल हिंदू धर्म की आस्था की पहचान है बल्कि जम्मू की भी पहचान है।

यह मंदिर अपनी कलात्मकता का विशिष्ट उदाहरण है। रघुनाथ मंदिर भगवान राम को समर्पित है। यह मंदिर उत्तर भारत के प्रमुख और अनोखे मंदिरों में से एक है।

मंदिर का निर्माण पहले डोगरा शासक महाराजा गुलाब सिंह ने 1835 में करवाया था और बाद में उनके बेटे महाराजा रणबीर सिंह ने डोगरा शासन के दौरान 1860 में इसे पूरा करवाया।

मंदिर के मंदिरों के परिसर में कई देवता हैं, लेकिन पीठासीन देवता राम हैं – जिन्हें विष्णु के अवतार रघुनाथ के नाम से भी जाना जाता है। सभी सर्पिल आकार के टावरों में सोने की परत चढ़ी हुई है।

नवंबर 2002 में ऐतिहासिक रघुनाथ मंदिर पर आतंकी हमला भी हो चुका है। जिसके बाद इस मंदिर को कुछ समय के लिए बंद कर दिया गया था। हमले के 11 साल बाद 2013 में मंदिर के कपाट एक बार फिर भक्तों के लिए खोल दिए गए।

beauty-of-Jammu-Raghunath-Temple

इस मंदिर में बाहर से पांच कलश हैं जो लंबाई में फैले हुए हैं। मंदिर में राम सीता लक्ष्मण की विशाल मूर्तियां हैं। इस मंदिर की खासियत यह है कि इसमें अलग-अलग कमरों में रामायण महाभारत काल के कई पात्रों की मूर्तियां हैं। गर्भगृह के चारों ओर प्रांगण में विशाल कक्ष हैं, जिनमें ये मूर्तियाँ हैं।

इसके अलावा चारों धाम एक कमरे में देखे जा सकते हैं। बीच में ऎसी व्यवस्था हैं कि चारों ओर से एक-एक धाम-रामेश्वरम, द्वारकाधीष, बद्रीनाथ, केदारनाथ के दर्शन किए जा सकते हैं।

एक कक्ष में बीच में भगवान सत्यनारायण के दर्शन किए जा सकते। इस कक्ष के बीचोबीच उकेरा गया सूर्य बहुत सुन्दर हैं। चारों ओर दीवारों पर बारहमासा दर्शनीय हैं, हर महीने चैत्र, वैशाख आदि के लिए उस माह के मुख्य देवता की मूर्ति हैं।

रघुनाथ मंदिर का निर्माण कैसे हुआ, इससे जुड़ा एक बड़ा ही रोचक किस्सा है। कहा जाता है कि इस मंदिर को बनाने की प्रेरणा महाराज गुलाब सिंह को श्री राम दास वैरागी से मिली थी। कहा जाता है कि रामदास वैरागी ने गुलाब सिंह के राजा बनने की भविष्यवाणी की थी। जो बाद में सच निकला।

रामदास वैरागी भगवान राम के भक्त थे। वह भगवान राम के आदर्शों का प्रचार करने के लिए अयोध्या से जम्मू आए थे। वह सिंबली में झोपड़ी बनाकर रहते थे। रामदास ने सिंबल में जम्मू क्षेत्र में पहला राम मंदिर बनाया। इस मंदिर का रामनवमी का त्यौहार दर्शनीय होता है।

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