दुनियाभर में कई ऐसी जगह मौजूद हैं, जो अपनी खूबसूरती के लिए जानी जाती हैं। दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में कई ऐतिहासिक जगह मौजूद हैं, जिन्हें देखने दूर-दूर से लोग आते हैं। माचू पिच्चू भी इन्हीं जगहों में से एक है।
माचू पिच्चू ( Machu Pikchu) दक्षिण अमेरिकी देश पेरू मे स्थित एक कोलम्बस-पूर्व युग, इंका सभ्यता से संबंधित ऐतिहासिक स्थल है।यह समुद्रतल से 2,430 मीटर (करीब 8000 फीट) की ऊँचाई पर उरुबाम्बा घाटी के ऊपर एक पहाड़ी पर स्थित है, जहां से प्राकृति का खूबसूरत नज़ारा दिखाई देता है।
इसे अक्सर “इंकाओं का खोया शहर “ भी कहा जाता है। माचू पिच्चू इंका साम्राज्य के सबसे परिचित प्रतीकों में से एक है।
कैसे हुआ था माचू पिच्चू शहर का निर्माण
1430 ई. के आसपास इंकाओं ने इसका निर्माण अपने शासकों के आधिकारिक स्थल के रूप में शुरू किया था, लेकिन इसके लगभग सौ साल बाद, जब इंकाओं पर स्पेनियों ने विजय प्राप्त कर ली तो वे इसे ऐसे ही छोड़ कर चले गए।
हालांकि स्थानीय लोग इसे शुरु से जानते थे परन्तु 1911 में एक अमेरिकी इतिहासकार हीरम बिंघम ने इसे सारे विश्व से परिचित करवाया। साल 2007 में “दुनिया के सात अद्भुत अजूबों ” में इसे शामिल किया गया। आज माचू पिच्चू एक महत्वपूर्ण पर्यटन आकर्षण बन गया है।
खूबसूरती का अनूठा उदाहरण है माचू पिच्चू
माचू पिच्चू एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है और इसे दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थलों में से एक माना जाता है। ये दुनिया के लिए आश्चर्य इसलिए है क्योंकि शहर में कम से कम 3000 पत्थर की सीढ़ियां बनी हैं। सबसे दिलचस्प बात यह है कि पूरा शहर धातु के औजारों और पहियों के बिना बनाया गया था।
इसमें केवल एक प्रवेश द्वार बनाया गया था ताकि आक्रमण के वक्त इसकी सुरक्षा करना आसान हो सके। इंका लोगों के पास पत्थर काटने की अद्भुत तकनीक थी और पत्थरों को बेहद मजबूती जोड़ा गया था। यही कारण है कि यह शहर भूकंपों जैसी प्राकृतिक आपदाओं को झेलने के बाद भी कई सदियों से ऐसे ही खड़ा है।
रहस्यों का शहर माचू पिच्चू
माचू पिच्चू एक अद्वितीय और रहस्यमय स्थल है। जिसका इतिहास इंका सभ्यता की गहराई से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि इस जगह से जुड़े ऐसे कई रहस्य हैं, जिनका जवाब किसी के पास नहीं है। यही वजह है कि इस जगह को ‘रहस्यमय शहर‘ भी कहा जाता है।
माचू पिच्चू शहर का निर्माण क्यों कराया गया था, यह अब तक एक रहस्य ही है। कहते हैं कि इस जगह का इस्तेमाल इंसानों की बलि देने के लिए किया जाता था और उन्हें यहीं पर दफना दिया जाता था।
पुरातत्वविदों को यहां से कई कंकाल भी मिले हैं, लेकिन सबसे हैरानी की बात यह है कि इनमें से अधिकतर कंकाल महिलाओं के हैं। कहा जाता है कि इंका सूर्य देव को अपना भगवान मानते थे और उन्हें खुश करने के लिए कुंवारी कन्याओं की बलि देते थे। हालांकि, बाद में पुरुषों के भी कंकाल मिले जिससे इस तथ्य को नकार दिया गया था।