करीब 2700 वर्ष पूर्व मिस्र के एक व्यक्ति की मौत के बाद उसे ममी का रूप दिया गया था परंतु न जाने कब उसका सिर खो गया। अब जर्मनी की मुन्सटर यूनिवर्सिटी में उसे नया सिर लगाया गया है।
वैज्ञानिकों ने अध्ययन में पाया कि वह लगभग 30 वर्ष के पुरुष की ममी थी। मिस्र की परम्परा के अनुसार उसके शरीर को संरक्षित रखने के लिए उसकी अंतड़ियां निकाल कर, लेप लगा कर कपड़े की पट्टियों में लपेट दिया गया था।
इस की खोज के बाद इसे खोजने वाले इसे जर्मनी ले आए। जिस ताबूत में यह है वह उससे भी 250 वर्ष पुराना है जिससे पता चलता है कि उसे ज्यादा दामों में बेचने के लालच में उसके साथ ये बदलाव किए गए होंगे।
19वीं सदी में ममी तलाश करके बेचने का काम काफी फल-फूल रहा था। उपनिवेशवादी काल के पुरातत्वविद् उन्हें खोज-खोज कर यूरोप तथा उत्तरी अमेरिका को भेज रहे थे। इन्हें बेच कर वे अपनी खोज व शोध का खर्च भी उठा पाते थे।
मुन्सटर यूनिवर्सिटी को यह मम्मी 1878 में मुएलहीम कस्बे के कोनराड जीगलर स्कूल ने पर्मानेंट लोन के रूप में सौंपी थी। हालांकि, स्कूल को यह कहां से मिली इस बारे में पुख्ता रिकॉर्ड नहीं है।
इस पर शोध करने वाले वैज्ञानिकों को लगा कि यह भी वैसी ही कोई ममी होगी जिनके अंग लापरवाही की वजह से टूट जाते थे या उन्हें अलग से बेचने के लिए काट दिया जाता था परंतु इसके ताबूत में उन्हें इस मम्मी के सिर की हड्डियों के टुकड़े मिले जो इस बात की सम्भावना थी कि इसे खोलते वक्त गलती से इसका सिर गिर गया होगा।
इसे नया सिर लगाने की जिम्मेदारी मशहूर ममी रैस्टोरर जेन्स लॉक को सौंपी गई। उन्होंने इसे नया सिर लगाने में खासी मेहनत की और अब इसे प्रदर्शित किया जा रहा है।
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