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ये है दुनिया का सबसे सुखी इंसान, खुश रहने के अनमोल टिप्स!

हमेशा सुखी और खुश रहने क्या फंडा क्या है? इस दुनिया के झमेले में फंस कर भी खुश और सुखी कैसे रहा जा सकता है।  इस पोस्ट में हम इसी विषय पर कुछ रोचक जानकारी आपके साथ शेयर करने वाले हैं।

दुनिया में शायद ही कोई ऐसा इंसान होगा जिसे कोई दुख या तकलीफ न हो। अगर आपसे कहा जाए कि दुनिया में ऐसा भी एक इंसान है जो दुनिया का सबसे खुश इंसान माना जाता है तो आपको इस बात पर विश्वास ही नहीं होगा क्योंकि हर किसी की जिंदगी में कुछ न कुछ उलझन बनी ही रहती है।

आज हम आपको एक ऐसे ही शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं। हम बात कर रहे हैं माथ्यु रिका के बारे में।

माथ्यु रिका (Matthieu Ricard) का जन्म सन 16 फ़रवरी 1946 को फ्रांस में हुआ था। वह एक फ्रांसीसी लेखक, फोटोग्राफर, अनुवादक और बौद्ध भिक्षु हैं, जो नेपाल में शेचेन तेनी दार्गयेलिंग मठ (Shechen Tennyi Dargyeling Monastery) में रहते हैं।


उन्हें दुनिया का सबसे खुश इंसान होने का दर्जा प्राप्त है। माथ्यु का दावा है कि वह कभी उदास नहीं होते। हालांकि यह सिर्फ उनका दावा नहीं है, वैज्ञानिकों ने उन पर रिसर्च भी की है जिससे यह पता चला है कि वह दुखी नहीं हैं।

एक रिपोर्ट के मुताबिक माथ्यु आखिरी बार 1991 में डिप्रैस हुए थे। साल 2016 में संयुक्त राष्ट्र ने अपनी हैप्पीनेस इंडैक्स रिपोर्ट में माथ्यु को दुनिया का सबसे खुश व्यक्ति घोषित किया था।

माथ्यु रिका (Matthieu Ricard) with Dalai Lama
माथ्यु रिका (Matthieu Ricard) with Dalai Lama

जनसेवा के लिए त्यागा वैज्ञानिक करियर

माथ्यु ने 1972 में पाश्चर संस्थान (Pasteur Institute) से आणविक आनुवंशिकी (molecular genetics) में पीएचडी की डिग्री प्राप्त की है। इसके बाद उन्होंने अपने वैज्ञानिक करियर को त्यागने और तिब्बती बौद्ध धर्म को अपनाने का तथा मुख्य रूप से हिमालय में रह कर जीवन बिताने का फैसला किया।

यूनीलैंड वैबसाइट की एक रिपोर्ट के मुताबिक 76 वर्षीय माथ्यु पर अमरीका की विस्कॉन्सिन यूनिवर्सिटी के न्यूरोसाइंटिस्ट ने शोध किया था। उन्होंने माथ्यु के सिर पर 256 सैंसर लगा दिए जिसमें यह पता चला कि जब रिचर्ड ध्यान करते थे, तो उनके मस्तिष्क में गामा तरंगें उत्पन्न होती थीं। ये गामा तरंगें ध्यान, सीखने और स्मृति से जुड़ी हैं।

रिकार्ड तीन प्रकार के ध्यान का उपयोग करता है: करुणा, खुली जागरूकता और विश्लेषणात्मक। उन्होंने एक दूरस्थ पहाड़ी झोपड़ी में कुल 5 साल एकांत ध्यान में बिताए हैं।

शोध में यह भी पाया गया कि उनके दिमाग का बायां प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स दाएं हिस्से की तुलना में अधिक सक्रिय था। इससे पता चला कि उनके दिमाग का खुश हिस्सा ज्यादा सक्रिय होता है। इसका निष्कर्ष यह निकला कि उन्होंने ध्यान के माध्यम से अपने मन को जगाया है।

माथ्यु रिका के खुश रहने का राज

बता दें कि माथ्यु रिका लोगों को खुश रहने का राज भी बताते हैं। उनका कहना है कि इंसान हमेशा अपने बारे में सोचता है। तब वह पूरी दुनिया को अपना दुश्मन मानता है और उनके साथ प्रतिस्पर्धा में रहता है। उनका कहा है कि यदि व्यक्ति सुखी रहना चाहता है तो उसे अपने बारे में सोचना बंद कर दूसरों के बारे में सोचना शुरू करना होगा।

माथ्यु का कहना है कि जब व्यक्ति में प्रेम, दूसरों के प्रति चिंता और परोपकार की भावना होती है तो वह खुद ही सुखी होने लगता है। उन्होंने अपने एक व्याख्यान में लोगों से कहा था कि यदि लोग प्रतिदिन 15 मिनट ध्यान करें और सुख देने वाली बातों पर विचार करें तो वे खुद ही प्रसन्नता से भर जाते हैं।

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