क्रिसमस ईसाइयों का सबसे बड़ा त्यौहार है। ईसाई समुदाय के लोग इस त्यौहार को बहुत धूमधाम और उल्लास के साथ मनाते हैं। यह त्यौहार हर वर्ष 25 दिसंबर को मनाया जाता है। इसी दिन प्रभु ईसा मसीह या जीसस क्राइस्ट का जन्म हुआ था।
जीसस क्राइस्ट एक महान व्यक्ति थे उन्होंने समाज को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने दुनिया के लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया था। इन्हें ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है।
उस समय के शासकों को जीसस का संदेश पसंद नहीं था। उन्होंने जीसस को सूली पर लटका कर मार डाला था। ऐसी मान्यता है कि जीसस फिर से जी उठे थेl
क्रिसमस के त्यौहार मेँ दिन ईसाई लोग अपने घर को भली-भांति सजाते हैं। क्रिसमस की तैयारियां पहले से ही होने लगती हैं।
क्रिसमस पर लगभग एक सप्ताह तक छुट्टी रहती है। बाजारों की रौनक बढ़ जाती है। घर और बाजार रंगीन रोशनियों से जगमगा उठते हैं।
क्रिसमस पर प्रार्थनाएं
क्रिसमस पर चर्च में विशेष प्रार्थनाएं होती हैं। लोग अपने रिश्तेदारों एवं मित्रों से मिलने उनके घर जाते हैं। सभी एक-दूसरे को उपहार देते हैं।
आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। इसकी विशेष सज्जा की जाती है। इस त्योहार में केक का विशेष महत्व है। मीठे, मनमोहन केक काटकर खिलाने का रिवाज बहुत पुराना है। लोग एक-दूसरे को केक खिलाकर पर्व की बधाई देते हैं।
सांताक्लाज का रूप धरकर व्यक्ति बच्चों को टॉफियां-उपहार आदि बांटता है। ऐसा कहा जाता है कि सांता-क्लाज स्वर्ग से आता है और लोगों को मनचाही चीजें उपहार के तौर पर देकर जाता है।
क्यों सजाते हैं क्रिसमस ट्री
क्रिसमस पर खास तरह का वृक्ष सजाया जाता है जिसे क्रिसमस ट्री कहते हैं। यह वृक्ष सदाबहार डगलस, बालसम या फर का होता है। इस पर रंग-बिरंगी लाइट्स लगाई जाती हैं, घंटियां बांधी जाती हैं, हार-फूलों से और अन्य सुंदर चीजों से सजाया जाता है।
इस ट्री के संबंध में कहा जाता है कि जिन घरों में ये पेड़ होता है वहां नकारात्मकता नहीं रहती है।
मान्यता है कि इस वृक्ष को सजाने की परंपरा जर्मनी से शुरू हुई थी। जब ईसा मसीह का जन्म हुआ तो देवताओं ने उनके माता-पिता को बधाई दी थी। इसके लिए देवताओं ने एक सदाबहार फर को सितारों से सजाया था।
उसी दिन से हर साल सदाबहार फर के पेड़ को क्रिसमस ट्री के प्रतीक के रूप में सजाते हैं। इसकी शुरुआत करने वाला पहला व्यक्ति बोनिफेंस टुयो नामक एक अंग्रेज धर्म प्रचारक था।
क्रिसमस ट्री के बारे मेँ तथ्य
- क्रिसमस ट्री मुख्य द्वार के दाहिनी ओर रखना चाहिए। इसकी सजावट में उन चीजों का उपयोग करना चाहिए जो हमें पसंद हैं। इससे हमारे जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है।
- इंग्लैंड में किसी के जन्मदिन, विवाह या किसी की मृत्यु पर क्रिसमस ट्री लगाने की परंपरा है। ये पेड़ लगाते समय सुखद जीवन की कामना की जाती है।
- क्रिसमस ट्री के संबंध में मान्यता प्रचलित है कि ये वृक्ष आदम के बाग में भी लगा था। उस समय हव्वा ने इसका फल तोड़ लिया था। जबकि परमेश्वर ने इस वृक्ष के फल तोड़ने के लिए मना किया था। इसके बाद इस पेड़ की पत्तियां सिकुड़ गई और नुकली हो गईं और इसकी वृद्धि रुक गई। जब ईसा मसीन का जन्म हुआ तो ये वृक्ष फिर से बढ़ने लगा।
- 16वीं सदी में जर्मनी में जब भी आदम और हव्वा का नाटक होता था, तब फर के वृक्ष लगाए जाते थे। स्टेज पर पिरामिड भी रखा जाता था और सितारा लगाया जाता था। समय के साथ पिरामिड और फर का वृक्ष एक हो गए और इस वृक्ष का नाम क्रिसमस ट्री पड़ गया।