नवरात्रि वर्ष के महत्वपूर्ण चार पवित्र माह में आती है। यह चार माह है:- चैत्र, आषाढ़, अश्विन और पौष। चैत्र माह में चैत्र नवरात्रि जिसे बड़ी नवरात्रि या वसंत नवरात्रि भी कहते हैं। आषाढ़ और पौष माह की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहते हैं।
अश्विन माह की नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहते हैं। हर साल मां अंबे के भक्त पूरी श्रद्धा, भक्ति और उत्साह के साथ शारदीय नवरात्रि का त्यौहार मनाते हैं। इस दौरान मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है।
इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे शारदीय नवरात्रि में कौन से कार्य करने से होगी मनोकामना पूर्ण :-
उपवास
नवरात्रों में उपवास रखने चाहिए। उपवास रखने से अंग-प्रत्यंगों की पूरी तरह से भीतरी सफाई हो जाती है। उपवास रखकर ही साधना की जा सकती है। नवरात्रों में नमक और मीठा (चीनी मिष्ठानादि) नहीं खाना चाहिए । उपवास में रहकर इन नौ दिनों में की गई हर तरह की साधनाएं और मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
नियम-संयम से रहें
इन नौ दिनों में भोजन, मद्यपान, मांस-भक्षण और स्त्रिसंग शयन वर्जित माना गया है। जो व्यक्ति इन नौ दिनों में नियम-संयम में नहीं रहता उसका बुरा समय कभी खत्म नहीं होता।
यदि आपने 9 दिनों तक साधना का संकल्प ले लिया है, तो उसे बीच में तोड़ा नहीं जा सकता। मन और विचार से पवित्रता बनाकर रखनी चाहिए । छल, कपट और अपशब्दों का प्रयोग नहीं चाहिए। ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और गलत लोगों की संगति से बचना चाहिए ।
साधारण साधना
नवरात्रों में गृहस्थ मनुष्य को साधारण साधना ही करना चाहिए। इस दौरान उसे घट स्थापना करके, माता की ज्योत जलाकर चंडीपाठ, देवी महात्म्य परायण या दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए।
यदि आप यह नहीं कर सकते हैं तो इन नौ दिनों के दौरान प्रतिदिन एक माला के साथ मंत्रों का जाप करना चाहिए। सामान्यजन माता के बीज मंत्रों का जाप कर सकते हैं। सप्तश्लोकी दुर्गा के पाठ का 108 बार अष्टमी की रात्रि में पाठ करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
नवरात्रि में कम से कम दोनों काल (प्रातःकाल एवं सायं काल) में समय निकाल कर 26 माला प्रति दिन नियमित समय पर जाप करना चाहिए। जाप करते समय घी का दीपक जलाकर रखें और जल का एक पात्र निकट में रखें।
कन्या भोज व दान
सप्तमी, अष्टमी और नौवमी के दिन कन्या पूजन करके उन्हें अच्छे से भोजन ग्रहण कराना चाहिए। यदि आप कन्या भोज नहीं करवा सकते तो आप गरीब कन्याओं को दान दक्षिणा दे सकते हैं।
खासकर उन्हें हरे वस्त्र या चुनरी भेंट करें। आप यह कार्य किसी मंदिर में जाकर भी कर सकते हैं। वहां माता को खीर का भोग लगाकर कन्याओं को दान देना चाहिए।
हवन
नवरात्रि के अंतिम दिन विधिवत रूप से साधना और पूजा को समाप्त करके हवन करना चाहिए। हवन करते वक्त हवन के नियमों का पालन करना चाहिए। ऐसा करने से माँ दुर्गा प्रसन्न होकर आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।