Thursday, November 7, 2024
22.1 C
Chandigarh

कोई कर्ण जैसा अपमान न सहे, सुनवाई के दौरान केरल हाई कोर्ट ने दिया महाभारत का उदाहरण

केरल हाई कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है, जिसमें कहा कि किसी इनसान को अपने जन्म पहचान-पत्र में पिता का नाम नहीं लिखने का पूरा अधिकार है। कोर्ट ने यह आदेश अविवाहित मांओं और रेप विक्टिम्स के बच्चों के होने वाली परेशानियों को देखते हुए सुनाया।

कोर्ट ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता के पैरेंट्स के रूप में केवल मां के नाम वाला सर्टिफिकेट जारी किया जाए।

सुनवाई के दौरान जस्टिस कुन्हीकृष्णन ने महाभारत के कर्ण का जिक्र करते हुए कहा कि हम एक ऐसा समाज चाहते हैं, जिसमें कर्ण न हों, जो अपने जीवन को कोसते हैं।

अपने माता-पिता का नाम नहीं जानने के लिए उन्हें अपमान का सामना करना पड़े। इसके बाद कोर्ट ने बर्थ सर्टिफिकेट से पिता के नाम को हटाने और पैरेंट्स के रूप में सिर्फ मां के नाम वाले सर्टिफिकेट जारी करने का निर्देश दिया।

जस्टिस कुन्हीकृष्णन ने कहा कि ऐसे व्यक्ति की मानसिक पीड़ा की कल्पना ठीक उसी तरह करनी चाहिए, जैसे कोई आपकी निजता में दखल देता है।

हालांकि कुछ मामलों में यह एक जानबूझकर किया जाता है, जबकि कुछ में यह गलती से हो सकता है, लेकिन राज्य को नागरिकों सभी प्रकार के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए। वरना उन्हें अकल्पनीय मानसिक पीड़ा का सामना करना पड़ेगा।

अविवाहित मां के बच्चे के पास भी मौलिक अधिकार

कोर्ट ने आगे कहा कि एक अविवाहित मां का बच्चा भी हमारे देश का नागरिक है और कोई भी उसके किसी भी मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं कर सकता है। इन अधिकारों की गारंटी हमारे संविधान में दी गई है।

वह केवल अविवाहित मां का ही नहीं, बल्कि इस महान देश भारत की भी संतान है। उसकी निजता, गरिमा और स्वतंत्रता के अधिकार को कोई भी अथॉरिटी कम नहीं कर सकती है। अगर ऐसा होता है तो कोर्ट उनके अधिकारों की रक्षा करेगा।

यह भी पढ़ें :-

Related Articles

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

15,988FansLike
0FollowersFollow
110FollowersFollow
- Advertisement -

MOST POPULAR