इंडियन ग्रीन पिट वाईपर (Craspedocephalus gramineus), मध्य, दक्षिणी भारत और उत्तर पूर्व के पहाड़ी प्रदेशों में पाया जाता है। यह पेड़ों पर रहने वाले एशियाई पिट वाइपर की लगभग 25 प्रजातियों में से एक है । इनमें से अधिकतर सांप हरे या पीले रंग के होते हैं और कुछ पर चमकीले निशान होते हैं।
इन सांपों के कई सामान्य नाम हैं, जिनमें स्टेजनेगर पिट वाइपर, बैम्बू वाइपर, चाइनीज पिट वाइपर, चाइनीज बैम्बू पिटवाइपर और चाइनीज ट्री वाइपर शामिल हैं। इस साँप के बहुत से स्थानीय नाम हैं जो इसके पाए जाने वाले स्थानों में रहने वाले लोगों द्वारा दिए गए हैं। हरे रंग का होने की वजह से स्थानीय भाषा में इसे आम तौर पर “हरा सांप” ही कहा जाता है।
इंडियन ग्रीन पिट वाईपर का आकार
यह प्रजाति अधिकांश पेड़ों पर रहने वाले साँपों की तरह हल्के शरीर वाली और काफी छोटी होती है। वे लगभग २ से ३ फुट तक लंबे होते हैं, जिसमें 14.5 सेंटीमीटर (5.7 इंच) की पूंछ की लंबाई भी शामिल है। जो आमतौर पर एक शाखा के चारों ओर से कसकर पकड़े हुए रहती है।
ये आमतौर पर त्रिकोणीय सिर वाले होते हैं। नाक और आंख के बीच एक गड्ढा होता है और ऊर्ध्वाधर(ऊपर की और उठती) पुतलियों के साथ लाल आंखें होती हैं। इनके नुकीले दांत बहुत लंबे होते हैं, और काटने से उनका जहर गहराई तक जा सकता है। इसका काटना घातक हो सकता है, लेकिन अगर समय पर इलाज किया जाए तो अधिकांश पीड़ित बच जाते हैं।
आवास
पूर्वोत्तर भारत, नेपाल, म्यांमार, लाओस, ताइवान, वियतनाम और दक्षिणी चीन में पाया जाने वाला ट्री वाइपर (बांस का वाइपर) आम तौर पर पगडंडियों, नालों या पुलिया के किनारे वाले जंगली इलाकों में रहना पसंद करता है।
इंडियन ग्रीन पिट वाईपर ज्यादातर रात में सक्रिय होते हैं। दिन में वे पेड़ों की शाखाओं के बीच लिपटे रहते हैं या अन्य वनीय आवरण में छिपे रहते हैं। हरे रंग का होने के कारण ये सामान्यत नज़र नहीं आते हैं। अधिकतर पास आने पर वे आम तौर पर शांत रहते हैं, लेकिन अगर उन्हें छेड़ा जाए तो वे बहुत तेजी से हमला कर सकते हैं।
आहार
अन्य सांपों की तरह यह भी विभिन्न प्रकार के छोटे शिकार खाता सकता है। इसके आहार में मुख्य रूप से छिपकलियां और मेंढक शामिल होते हैं, लेकिन इसमें छोटे स्तनधारी और पक्षी भी शामिल हो सकते हैं।
प्रजनन
इस प्रजाति की मादाएं जून से अगस्त के बीच 3-10 बच्चों को जन्म देती हैं। जो हूबहू अपने माता-पिता की तरह दिखते हैं। जन्म के समय उनकी लंबाई केवल 4.5 इंच करीब होती है। वयस्क की लंबाई औसतन 30 इंच (76 सेंटीमीटर; 2.5 फुट) होती है।
बच्चों की पूँछ चमकदार होती हैं जिनका उपयोग वे छोटे मेंढकों और छिपकलियों को आकर्षित करने के लिए करते हैं ताकि उनका आसानी से शिकार किया जा सके।
काटने के लक्षण
इस प्रजाति के सांप काटते समय हेमोटॉक्सिक नामक जहर को ब्लड में छोड़ता है, जिसके कारण शरीर के थक्के जमने बंद हो जाते हैं, परिणाम स्वरूप शरीर के अंदरूनी भाग में ही रक्त बहने लगता है अर्थात आंतरिक रक्त स्राव होता है।
इसके काटने से असहनीय पीड़ा होती है जैसे कि गर्म लोहे से दाग दिया गया हो, और काटने के लगभग 24 घंटे बाद तक दर्द कम नहीं होता है। यदि समय पर इलाज न मिले तो कुछ ही समय में व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है।