गुरु रविदास जयंती शनिवार 24 फरवरी 2024 को मनाई जाएगी। इस वर्ष संत गुरु रविदास की 647 वीं जयंती मनाई जाएगी। गुरु रविदास जी को रैदास, रोहिदास और रूहीदास के नाम से भी जाना जाता है। वे भक्ति आंदोलन के एक सुप्रसिद्ध संत थे।
इतिहासकारों के मुताबिक, संत गुरु रविदास का जन्म 1377 सी.ई. में वाराणसी के मंडुआडीह में हुआ था। हिंदू पंचांग के अनुसार यह कहा जाता है कि माघ पूर्णिमा के दिन गुरु रविदास का जन्म हुआ था इसलिए माघ पूर्णिमा के दिन संत रविदास का जन्मदिन आस्था के साथ मनाया जाता है।
ऐसा कहा जाता है कि जिस दिन रविदास जी का जन्म हुआ था, उस दिन रविवार था। इसी की वजह से इनका नाम रविदास पड़ गया।
इसके अलावा रविदास जी की जयंती को सिख धर्म के लोग भी बेहद श्रद्धा से मनाते हैं। इस दिन के दो दिन पहले गुरु ग्रंथ साहिब का अखंड पाठ किया जाता है।
इसे पूर्णिमा के दिन समाप्त किया जाता है। इसके बाद कीर्तन दरबार होता है। साथ ही रागी जत्था गुरु रविदास जी की वाणियों का गायन करते हैं।
जुड़ी कुछ रोचक तथ्य
- संत रविदास समाजिक संत थे। वह तब जन्में जब समाज में जातिगत भेदभाव बहुत ज्यादा था। ऐसे में उनके द्वारा दिया ज्ञान, इतिहास के स्वर्णअक्षरों में अंकित हो गया।
- वे संत कबीर के गुरुभाई थे। संत रविदास के गुरु का नाम रामानंद था। 15वीं सदी में जन्में रविदास जी ने भक्ति आंदोलन को एक नई दिशा दी। जिसका उल्लेख उनके द्वारा लिखित काव्यों में साक्षात् मिलता है।
- संत रविदास का जन्म उत्तप्रदेश के काशी नगर में मां कालसा देवी और पिता संतोख दास जी के यहां हुआ था।
- उन्होंने अपने लेखन के माध्यम से आध्यात्मिक और सामाजिक संदेश दिए।
- प्राचीनकाल से ही भारत में विभिन्न धर्मों तथा मतों के अनुयायी निवास करते रहे हैं। इन सब में मेल-जोल और भाईचारा बढ़ाने के लिए संतों ने समय-समय पर महत्वपूर्ण योगदान दिया है। ऐसे संतों में रैदास का नाम अग्रगण्य है।
- लोगों की नजरों में उनकी छवि एक मसीहा के रूप में थी।