इंडियन क्रेट सापों की एक जहरीली प्रजाति है जो भारतीय उपमहाद्वीप में पायी जाती है। भारत के सबसे जहरीले चार सर्पों में से यह सबसे अधिक जहरीला सर्प है। Bungarus fasciatus प्रजाति का इंडियन करैत, कॉमन क्रेट या ब्लू क्रेट के नाम से भी जाना जाता है। सफ़ेद धारियों वाला यह सांप भारत, बांग्लादेश एवं दक्षिणपूर्व एशिया में पाया जाता है।
इंडियन क्रेट का भोजन और दिनचर्या
क्रेट के मुख्य भोजन में अन्य सांप, ब्लाईंड वर्म(blind worm; Typhlops प्रजाति का सांप) और क्रेट प्रजाति के सांप विशेषकर छोटी उम्र के सांप शामिल होते हैं। यह छोटे स्तनधारियों और कीड़ों, जैसे, चूहे, घोंघे, छिपकली, बिच्छू और मेंढक आदि को भी खाता है। वहीं नन्हें और युवा क्रेट सांप आर्थ्रोपोडस(रेंगने वाले छोटे कीड़े) को अपना शिकार बनाते हैं। क्रेट सांप दिन के समय सुस्त और शांत रहते हैं जबकि रात के समय यह ज्यादा सक्रिय और आक्रामक हो जाते हैं। आमतौर पर यह काटने में रुचि नहीं रखता लेकिन खतरा महसूस होने पर यह आक्रामक हो जाता है और अपने डंक के द्वारा शिकार के शरीर में जहर की अच्छी-ख़ासी मात्रा पहुंचा देता है।
इसलिए कहा जाता है साइलेंट किलर
यद्यपि क्रेट निशाचर हैं, इसलिए दिन के उजाले के दौरान मनुष्यों का इससे सामना कम ही होता है; डसने की घटनाएं मुख्य रूप से रात में होती हैं। इंडियन करैत के दांत बेहद बारीक होते हैं और इसके काटने पर कई बार न के बराबर दर्द होता है। इस कारण व्यक्ति को पता ही नहीं चल पाता कि उसे सांप ने काटा है जिस कारण इसके इलाज में देरी हो जाती है। इस खासियत के कारण इस सांप को साइलेंट किलर स्नेक भी कहा जाता है। कॉमन क्रेट के जहर में शक्तिशाली न्यूरोटॉक्सिनस होते हैं, जिनसे मांसपेशियों में लकवा हो जाता है। इसके विष में प्रीसानेप्टिक और पोस्टसिनेप्टिक न्यूरोटॉक्सिन होते हैं, जो आमतौर शिकार के सिनैप्टिक क्लेफ्ट (सूचना-प्रसारण के बिंदु) को प्रभावित करते हैं।
इंडियन क्रेट द्वारा काटने का परिणाम
इसके काटने पर आमतौर पर, व्यक्ति को प्रगतिशील पक्षाघात(progressive paralysis) के साथ, पेट में गंभीर ऐंठन की शिकायत होती है। क्रेट के काटने के बाद उपचार न मिलने पर लगभग चार से आठ घंटे में व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। मृत्यु का कारण सामान्य सांस लेने में रुकावट अर्थात् घुटन होती है।
काटने के लक्षण
काटने के कुछ लक्षणों में शामिल हैं: काटने के एक से दो घंटे में चेहरे की मांसपेशियों का कसना; देखने या बात करने में असमर्थता आदि। क्रेट के काटने के बाद उपचार न मिलने पर मृत्यु होने की दर 70 से 80 प्रतिशत दर्ज़ की गयी है।