भारत विभिन्नताओं वाला देश है. लोक-कला भारत का एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है. आज हम आपके सामने लेकर आए हैं, भारत की लोक-कला और जन-जातीय कला को दर्शाते कुछ चित्र.
लघु कला
लघु कला, राजस्थान के बीकानेर और जयपुर शहर में बहुत प्रचलित है. लघु कला के चित्रों को हाथों से नाजुक ब्रश से अलग-अलग रंगों के साथ बनाया जाता है. यह चित्र अकार में छोटे होते हैं. इन चित्रों में इस्तेमाल होने वाले रंग खनिज, सब्जियों, कीमती पत्थरों, शुद्ध सोने और चांदी से निकाले जाते हैं.
बाटिक कला
भारत की बाटिक कला बंगाल से भारत में आई थी. यह कला हज़ारों साल पुरानी है. बाटिक कला को अलग-अलग विधियों से बनाया जाता है, जैसे कि छप विधि (splash method), स्क्रीन प्रिंटिंग विधि (screen printing method) और हाथों से बनाया जाता है. इस कला में कलाकार अपनी रचनात्मकता और कल्पना को अच्छी तरह से दिखा सकते हैं.
गोंड पेंटिंग्स
भारत के मध्य प्रदेश में गोंड पेंटिंग्स बहुत प्रसिद्ध है. इन चित्रों में मध्य प्रदेश के गाँव वासी अपने धर्म के प्रति भावनाओं को दर्शाते हैं. गोंड पेंटिंग्स में भारत के अलग-अलग त्योहार, जैसे कि करवा चौथ, दीपावली, अहोई अष्टमी, नाग पंचमी आदि के चित्र आते हैं. यह चित्र औरतों द्वारा घरेलू रंगों से बनाए जाते हैं.
कलमकारी चित्रकारी
भारत में कलमकारी चित्रकारी एक प्रसिद्ध लोक-कला है. इस कला में कपड़े के ऊपर कलम से चित्र बनाए जाते हैं. आंध्रप्रदेश कलमकारी के चित्र बनाने में बहुत प्रसिद्ध है. इस कला में सब्जियों के रंगों से धार्मिक चित्र बनाए जाते हैं.
मधुबनी चित्रकला
मधुबनी चित्रकला, उत्तर भारत में सर्वप्रिय चित्रकला है. बिहार में मधुबनी एक छोटा सा गाँव है, जहां मधुबनी चित्रकला बहुत प्रसिद्ध है. यह चित्र हिंदू देवी-देवताओं द्वारा लगाने वाली शाही अदालतों को दर्शाते हैं. इन चित्रों में किसी भी जगह को खाली नहीं छोड़ा जाता, खाली बची जगह में फूल, जानवर बनाए जाते हैं. इन चित्रों में इस्तेमाल किए गए रंगों का कोई छायांकन (Shading) नहीं होता.
पातचित्र चित्रकारी
यह चित्रकला, भारत के उड़ीसा राज्य में पड़ते जगन्नाथ मंदिर से पूरे देश में फैली थी. यह कला सदियों पुरानीं है, लेकिन इसको आज भी अभ्यास में लाया जाता है. यह चित्रकला उड़ीसा में बहुत लोकप्रिय है. इस चित्रकला में ज़्यादातर हिंदू देवताओं की तस्वीरें बनाई जाती है.
मंडला चित्रकारी एक बौद्ध लोक कला चित्रकारी है. यह कला बौद्ध गुरुओं को पेंटिंग्स पर दर्शाती है. मंडला चित्रकारी, भारत में एक अनुष्ठान का प्रतीक है. मंडला चित्र को भारत में आध्यात्मिक मार्गदर्शन उपकरण के रूप में भी माना जाता है.
जनजातीय कला वार्ली
वार्ली कला हमेशा लोगों के समूहों में शामिल है. कलाकार इस तरह के चित्र ज़्यादातर प्रकृति को देखकर बनाते हैं. इस कला के चित्रों में सबसे मशहूर चित्र शादी और त्योहारों के होते हैं. ज़्यादातर यह चित्र आदिवासियों द्वारा अपने घरों की मिट्टी की दीवारों पर बनाए जाते हैं.
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