गुरुडोंगमार झील
सिक्किम हिमालय में स्थित एक बहुत ही शांत, सुंदर और मनभावन स्थान है और यहीं बसी है गुरुडोंगमार झील l यह दुनिया की सबसे ऊंची झीलों में से एक है।
यह खूबसूरत नीले पानी की झील साल के अधिकांश समय जमी रहती है, लेकिन इसकी खासियत यह है कि अत्यधिक ठंड में भी इस झील का एक हिस्सा कभी नहीं जमता।
चारों तरफ से पहाड़ों से घिरी यह झील समुद्र तल से 5430 मीटर ऊपर है, जो लगभग 16 से 17 हजार फीट है। यह झील कंचनजंगा पर्वतमला के उत्तर पूर्व में स्थित है। यह चीन की सीमा से केवल 5 किलोमीटर की दूरी पर है।
इस लेक की खूबसूरती की जितनी तारीफ की जाए कम ही है। दूर-दूर तक फैला इसका नीला पानी और चारों तरफ घिरे पहाड़ इसे ‘जन्नत’ जैसा रूप देते हैं। इस लेक को बौध, सिख और हिंदुओं का पवित्र स्थल माना जाता है।
सर्दियों के मौसम में बर्फ से जमी गुरुडोंगमार झील
धार्मिक रूप से यह झील बौद्ध और सिक्ख धर्म, दोनो का पवित्र स्थल है। कहा जाता है कि जब गुरु पद्मसम्भवा तिब्बत की यात्रा में थे तब उन्होंने इस झील को ही अपनी उपासना के लिए सबसे सही जगह के रूप में चुना था।
माना जाता है कि झील में हमेशा बर्फ जमी रहती थी और यहां पीने के पानी का अभाव था। जब गुरू पद्मसंभव यहां से गुजर तो स्थानीय लोगों ने उनसे पानी की व्यवस्था करने को कहा।
लोगों की इस समस्या से निदान के लिए गुरू ने झील का एक हिस्सा स्पर्श किया और बर्फ पिघल गई। कहा जाता है कि कडाके की ठंड में भी झील का यह हिस्सा बर्फ में तब्दील नहीं होता।
तब से ही यह धार्मिक स्थल के रूप में जाना जाने लगा और श्रद्धालु अपने अपने बर्तनों में झील के उस हिस्से का पानी अपने साथ ले जाते हैं।
इसी तरह गुरु नानक जी से भी संबंधित कथा यहाँ पर प्रचलित है। उनकी भी कथा गुरु पद्मसम्भवा की कथा से मिलती जुलती है।
माना जाता है कि जब गुरू नानकदेव जी तिब्बत के रास्ते से जा रहे थे तो जाते हुए उन्हें प्यास लगी तब वे अपनी प्यास बुझाने के लिए तिब्बत रुके थे उन्होंने अपनी छड़ी से यहां जमी बर्फ में छेद कर पानी पीया और तभी से यहां झील बन गई। कहा जाता है कि भीषण सर्दी के दौरान भी इस झील का कुछ हिस्सा नहीं जमता।
दूर दूर तक फैला नीला जल और पार्श्व में बर्फ से लदी श्वेत चोटियाँ गाहे बगाहे आते जाते बादलों के झुंड से गुफ्तगू करती दिखाई पड़ती हैं।
झील के दूसरी ओर सुनहरे पत्थरों के पीछे गहरे नीले आकाश एक और खूबसूरत परिदृश्य को दर्शाते हैं। यहाँ झील के किनारे एक सर्वधर्म प्रार्थना स्थल भी है।