दशहरा या विजय दशमी हिंदुओं का एक मनाया जाने वाला त्यौहार है जो लंका के राजा, दस सिर वाले राजा, रावण पर देवी सीता का अपहरण करने के बाद भगवान राम की विजय की याद दिलाता है।
यह त्यौहार हिंदू पंचांग के अनुसार अश्विन माह की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस त्यौहार का नाम संस्कृत के दो शब्दों से आया है- “दशा,” जिसका अर्थ है दस, और “हारा”, जिसका अर्थ है हार। यह एक ऐसा दिन है जो अयोध्या के राजा भगवान राम के साथ लड़ाई में रावण की हार का जश्न मनाता है।
इसके अलावा, यह दिन हिंदुओं के सबसे बड़े त्यौहार दिवाली की तैयारी की शुरुआत का प्रतीक है, जो दशहरा के 20 दिन बाद होता है।
दशहरा 2023 कब है?
इस साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि की शुरुआत 23 अक्तूबर को शाम 05 बजकर 44 मिनट से हो रही है। इसका समापन 24 अक्तूबर को दोपहर 03 बजकर 14 मिनट पर होगा। उदया तिथि 24 अक्तूबर को प्राप्त हो रही है, इसलिए दशहरा यानी विजयादशमी का पर्व 24 अक्तूबर को मनाया जाएगा।
दशहरा 2023 पर रावण दहन का मुहूर्त
दशहरा पर्व का महत्व
यह बुरे आचरण पर अच्छे आचरण की जीत की ख़ुशी में मनाया जाने वाला त्यौहार हैं। सामान्यतः दशहरा एक जीत के जश्न के रूप में मनाया जाने वाला त्यौहार हैं। जश्न की मान्यता सबकी अलग-अलग होती हैं। जैसे किसानों के लिए यह नयी फसलों के घर आने का जश्न हैं।
पुराने वक़्त में इस दिन औजारों एवम हथियारों की पूजा की जाती थी, क्योंकि वे इसे युद्ध में मिली जीत के जश्न के तौर पर देखते थे। लेकिन इन सबके पीछे एक ही कारण होता हैं बुराई पर अच्छाई की जीत। किसानो के लिए यह मेहनत की जीत के रूप में आई फसलो का जश्न एवम सैनिको के लिए युद्ध में दुश्मन पर जीत का जश्न हैं।
पूजन विधि
दशहरा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। फिर साफ कपड़े पहनें। गेहूं या फिर चूने से दशहरा की प्रतिमा बनाएं। फिर गाय के गोबर से नौ उपले बनाएं और उन पर जौ और दही लगाएं। फिर गोबर से ही 2 कटोरी बनाएं और इनमें से एक में सिक्के और दूसरी में रोली, चावल, फल, फूल, और जौ डाल दें।
इसके बाद गोबर से बनाई प्रतिमा पर केले, मूली, ग्वारफली, गुड़ और चावल चढ़ाएं। धूप-दीप जलाएं। ब्राह्मणों और निर्धनों को भोजन कराकर दान दें। रात में रावण दहन करें और बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लें।