भारत के वे स्थान जहां दशहरा पर होती है रावण की पूजा!!!

दशहरा यानी विजयादशमी एक ऐसा दिन जब वैसे तो पूरे देश में रावण का दहन किया जाता रहा है, लेकिन देश के कुछ हिस्से ऐसे भी है जहाँ इस दिन रावण की पूजा करने का रिवाज़ हैं। ऐसा करने के पीछे उनके पास अपनी अपनी मान्यताएं हैं।

मंदसौर, मध्य प्रदेश

मंदसौर मध्य प्रदेश-राजस्थान की सीमा पर स्थित है। रामायण के अनुसार, मंदसौर रावण की पत्नी मंडोडरी का पैतृक घर था और इसीलिए रावण को मंदसौर के लोग दामाद मानते है। इसलिए वहाँ रावण की पूजा और सम्मान अद्वितीय ज्ञानी और भगवान शिव के भक्त के रूप में होती है । इस जगह में रावण की 35 फुट लंबी मूर्ति है। दशहरा पर, गाँव के लोग रावण की मौत पर शोक करते हैं और प्रार्थना करते हैं।

बिसरख, उत्तर प्रदेश

बिसरख को अपना नाम ऋषि विश्वरा के नाम पर मिला है – जो दानव राजा रावण के पिता थे । बिसरख में रावण का जन्म हुआ था और उन्हें यहां महा-ब्राह्मण माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि विश्वा ने बिसरख में एक स्वयंभू (स्वयं प्रकट) शिव लिंग की खोज की थी और तब से स्थानीय लोग ऋषि विश्वरा और रावण के सम्मान के रूप में उनकी पूजा करते है। बिसरख में, लोग नवरात्रि उत्सव के दौरान रावण की मृत आत्मा के लिए यज्ञ और शांति प्रार्थना करते हैं।

गडचिरोली, महाराष्ट्र

महाराष्ट्र गडचिरोली की गोंड जनजाति रावण और उनके पुत्र मेघनादा की देवताओं के रूप में पूजा करती हैं। गोंड जनजातियों के अनुसार, रावण को वाल्मीकि रामायण में कभी भी बुरा नहीं दिखाया गया था और ऋषि वाल्मीकि ने स्पष्ट रूप से उल्लेख किया था कि रावण ने कुछ भी गलत नहीं किया था और ना ही सीता को बदनाम किया था । यह तुलसीदास रामायण में ही था कि रावण एक क्रूर और शैतानी राजा था।

काँगड़ा, हिमाचल प्रदेश

हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा के खूबसूरत जिले में भी रावण दहन की प्रथा को मनाया नहीं जाता । पौराणिक कथाओं के अनुसार, रावण ने भगवान शिव को बैजनाथ, कांगड़ा में ही अपनी भक्ति और तपस्या के साथ प्रसन्न किया था । ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने उन्हें यहां ही वरदान दिया था। इसीलिए यहाँ रावण को भगवान शिव के महान भक्त के रूप में सम्मानित किया जाता है।

मांड्या और कोलर, कर्नाटका

भगवान शिव के कई मंदिर हैं जहां रावण की भगवान शिव के लिए उनकी अतुलनीय भक्ति के लिए पूजा की जाती है। फसल के त्यौहार के दौरान कर्नाटक के कोलार जिले के लोगों द्वारा लंकादिपति रावण की पूजा की जाती है। एक जुलूस में, भगवान शिव की मूर्ति के साथ, रावण के दस-सर वाले (दशानन) और बीस सशस्त्र मूर्तियों की भी स्थानीय लोगों द्वारा पूजा की जाती है। इसी प्रकार, कर्नाटक के मंड्या जिले में मलावल्ली तालुका में, भगवान शिव के लिए अपने समर्पण का सम्मान करने के लिए हिंदू भक्तों द्वारा रावण के एक मंदिर में उनकी पूजा की जाती है।

जोधपुर, राजस्थान

कहा जाता है कि राजस्थान के जोधपुर के मौदगील में ब्राह्मण रावण के विवाह के दौरान लंका से आए थे। मंडोडरी और रावण का विवाह किण चनवारी में हुआ था। जोधपुर के मौडिल ब्राह्मणों द्वारा हिंदू अनुष्ठानों के अनुसार लंकेश्वर रावण की प्रतिमाओं को जलाने के बजाय, श्राध और पिंड दान किया जाता है क्यूंकि वह खुद को उनके वंशजों मानते है ।

कर्नाटक – कोलार 

कर्नाटक में कुछ ग्रामीण इलाकों में दशहरा पर रावण की पूजा की जाती है। यहाँ के लोग रावण को विद्या और ज्ञान का प्रतीक मानते हैं। रावण के प्रतीक पुतले को सजाया जाता है और उसे देवी-देवताओं के समक्ष सम्मानपूर्वक स्थापित किया जाता है। यह परंपरा यह सिखाती है कि सभी पक्षों का सम्मान करना आवश्यक है, भले ही वह दुष्ट पात्र हो।

महाराष्ट्र – नागपुर 

महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में रावण को योग और विद्या का गुरु मानकर पूजा की जाती है। लोग मानते हैं कि रावण ने महर्षि ऋषियों से अनेक ज्ञान प्राप्त किया था। इसलिए, रावण का सम्मान कर उसका ज्ञान और वीरता याद किया जाता है।

उत्तराखंड 

उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में दशहरा पर रावण के सांकेतिक पूजन की परंपरा है। यह परंपरा स्थानीय देवी-देवताओं और पुरानी कथाओं से जुड़ी हुई है। ग्रामीण मानते हैं कि रावण की पूजा करने से शत्रु नष्ट नहीं होते बल्कि उनके साथ बुद्धिमानी से निपटना आता है

विजयादशमी : दशानन रावण के जीवन से सीखने योग्य बातें

आज विजयादशमी है। राम ने रावण को मारकर धरती को उसके अत्याचार से मुक्त कराया था। रावण अधर्म का प्रतीक था, पापी था, लेकिन ज्ञानी भी था। जिस तरह हम भगवान राम के जीवन की घटनाओं से सीखते हैं कि हमें अपनी जिंदगी में क्या करना चाहिए, वैसे ही रावण का जीवन सिखाता है कि हमें क्या-क्या नहीं करना चाहिए।

तो आज दशानन रावण के जीवन की 5 कहानियों से सीखें कि क्या गलतियां हमें नहीं करनी चाहिए।

मन की शांति सबसे बड़ा सुख है

रावण का मन शांत नहीं रहता था। संतुष्टि का भाव उसमें था ही नहीं। तीनों लोकों को जीतने के बाद भी रावण के मन में एक अशांति थी कि इतना शक्तिशाली होने के बाद भी कोई उसकी पूजा नहीं करता। नतीजतन उसने ऋषि-मुनियों को मारना शुरू कर दिया।

सारी दुनिया जीतने के बाद भी मन में एक असंतुष्टि थी कि लोग उसकी पूजा क्यों नहीं करते। जब रावण के अत्याचार बढ़ने लगे तो ऋषियों ने तप शुरू किए। यज्ञ और ज्यादा होने लगे। यज्ञ होने लगे तो रावण ने अपने अत्याचार और बढ़ा दिए। दुनियाभर में रावण का आतंक हो गया।

पूरी धरती परेशान हो गई। तब भगवान को उसे मारने के लिए अवतार लेना पड़ा। ये असंतुष्टि उसे पापके रास्ते पर ले गई और उसे अंतत: इसी असंतुष्टि के कारण मरना पड़ा। इसलिए हमेशा मन में संतुष्टि का भाव रखें। जो हमारे पास है, उसे स्वीकार करें।

बिना किसी की शक्ति का अनुमान किए चुनौती ना दें

रावण की नजर में सिर्फ वो खुद ही महान योद्धा था। वो हर किसी को युद्ध की चुनौती देता रहता था। ऐसे ही एक बार उसे वानरों के राज किष्किंधा के बारे में पता चला। वहां का राजा बाली काफी शक्तिशाली है ऐसा उसे पता चला। रावण ने बिना किसी विलंब के किष्किंधा का रूख किया।

रावण ने बाली को ललकारा, उस समय बाली अपने महल में नहीं था। उसका छोटा भाई सुग्रीव मौजूद था। सुग्रीव ने रावण से पूछा कि तुम कौन हो और क्यों बाली को पुकार रहे हो तो रावण ने जवाब दिया कि मैं बाली से युद्ध करना चाहता हूं या तो वो मुझसे युद्ध करे या फिर अपनी हार स्वीकार कर मेरी दासता स्वीकार करे।

सुग्रीव को रावण की इस बात पर हंसी आ गई। उसने कहा- महाराज बाली अभी संध्यापूजन के लिए समुद्र तट पर गए हैं।
कुछ ही देर में वो यहां चार समद्रों की परिक्रमा करके लौटेंगे। तब तुम्हारी इच्छा वैसे ही पूरी हो जाएगी।

रावण से रहा नहीं गया। उसने जैसे ही सुना कि बाली अभी पूजा करने समुद्र तट पर गया है, वो समुद्र किनारे पहुंच गया। बाली उस समय सूर्य को अर्घ्य दे रहा था, रावण ने पीछे से वार करने की कोशिश की, लेकिन बाली ने उसे पकड़ कर अपनी बाजू में दबा लिया। रावण छूटने की कोशिश करता रहा, लेकिन नहीं छूट पाया।

बाली ने चार समुद्र की परिक्रमा उसे अपनी कांख में दबाकर की। तब तक रावण को अपनी गलती का अहसास हो गया था कि उसने बिना बाली की ताकत का अंदाजा लगाए उस पर हमला करने की गलती कर दी।

जैसे ही बाली ने उसे छोड़कर पूछा कि बता तू क्या चाहता है, तो युद्ध करने की इच्छा से आए रावण ने बाली को मित्रता का प्रस्ताव दिया। रावण की ये गलती सिखाती है कि किसी की ताकत और कमजोरी को समझे बिना उसे चुनौती नहीं देनी चाहिए। इससे हमारी हार ही होती है।

अगर सही सलाह मिले तो उसे स्वीकार करें

वाल्मीकि रामायण का एक प्रसंग है। जब राम से शादी करने की जिद कर रही शूर्पणखा के नाक लक्ष्मण ने काट दिए तो वो अपने भाई रावण के पास पहुंची। उसने रावण को बताया कि उसके राज्य में कोई संन्यासी है, जो उसके लिए घातक हो सकता है। रावण तुरंत अपने रथ पर बैठकर निकल गया। वो सीधा अपने मामा मारिच के पास पहुंचा।

उसने मारिच से कहा कि उसके राज्य में कोई दो संन्यासी घुस आए हैं, उन्हें मारना है। मारिच एक बार पहले राम से युद्ध कर चुका था, राम ने घास के तिनके को तीर बनाकर छोड़ा ‘ और मारिच समुद्र पार जाकर गिरा था। मारिच ने रावण को समझाया कि राम से युद्ध करना उसके हित में नहीं है।

वो लौट जाए। रावण मान गया। वो फिर लौटकर अपने महल में आ गया। शूर्पणखा को जब पता चला कि रावण ने राम से बदला लेने का विचार त्याग दिया है तो उसने फिर जाकर रावण को बोलै कि वन में जो दो संन्यासी हैं, उनके साथ एक बड़ी सुंदर सी स्त्री भी है, जिसे रावण के पास होना चाहिए क्योंकि उसके जैसी कोई और सुंदर महिला संसार में नहीं है।

सीता की सुंदरता के बारे में सुनकर रावण ने सीता के हरण की योजना बनाई। वो फिर मारिच के पास पहुंचा। मारिच ने उसे फिर वही सलाह दी कि राम कोई सामान्य संन्यासी नहीं है, अवतारी पुरुष हैं।

उनसे दुश्मनी ना लें, लेकिन इस बार रावण नहीं माना और मारिच से कहा कि अगर वो सीता के हरण में उसकी सहायता नहीं करेगा तो उसे मार दिया जाएगा। मारिच ने सोचा, रावण के हाथ से मरने से बेहतर है, राम के हाथों मारा जाऊं। फिर मारिच ने स्वर्ण मृग बनने की योजना बनाई।

ये सीता हरण ही रावण के पूरे वंश का नाश का कारण बन गया। इस पूरे प्रसंग से सीख सकते हैं कि अगर कोई सही सलाह मिले तो उसे मानें, अपनी जिद और लालच में उस सलाह को ना ठुकराएं। ये आपके लिए भारी नुकसान का कारण बन सकता है।

रिश्ते अधिकार से नहीं चलते, समर्पण से टिकते हैं

वाल्मीकि रामायण कहती है, रावण के पास पुष्पक विमान तो था ही, जो उसने अपने भाई कुबेर से छीना था। इसके साथ ही रावण के पास एक दिव्य रथ भी था। रावण ने तीनों लोकों को इसी रथ पर बैठकर जीता था।

रावण जहां भी जाता वहां से राजकूमारियों, रानियों और अन्य सुंदर औरतों को उठाकर अपने महल में ले आता था। रावण के महल में करीब 10 हजार ऐसी औरतें थीं, जिन्हें वो अलग-अलग राज्यों से अपहरण करके लाया था।

रावण एक बार ऐसे ही लंका में सैंकडों महिलाओं को जीत कर ले आया। तब विभीषण ने रावण को बताया कि तुम अपने बल के अभिमान में कितनी औरतों को उनके पति और पिता को मार कर उठा लाए। तुम्हारे इन्हीं पापकर्मों का परिणाम हमारे परिवार को भुगतना पड़ रहा है।

रावण ने पूछा – ऐसा क्या हो गया जो तुम मुझसे इस तरह की बातें कर रहे हो। विभीषण ने जवाब दिया – तुम विश्वविजय के लिए निकले थे, दूसरे राजाओं के परिवार की औरतें लाने में व्यस्त थे, तब एक राक्षस ने हमारे राज्य पर हमला कर दिया। वो हमारी मौसी की बेटी, हमारी बहन को उठाकर ले गया। तुम दुनिया के साथ जो कर रहे थे. वो हमारे ही परिवार के साथ घट गया।

रावण को अपनी गलती का एहसास हुआ। वो अपनी बहन को बचाने निकला, लेकिन तब तक उसकी बहन ने उस राक्षस को अपना पति मान कर शादी कर ली।

ये कहानी सिखाती है कि हम दुनिया को जो देते हैं, वो ही लौटकर हमारे पास आता है। इसलिए, संसार में रहकर अच्छे काम करें। आप अच्छा करेंगे तो आपके साथ भी अच्छा ही होगा।

आप दुनिया के साथ जो करते हैं, वो आपके साथ भी होगा

रावण परम शिव भक्त था। भगवान शिव को उसने ऐसा प्रसन्न किया कि खुद भगवान शिव ने घोषित किया कि रावण उनका परमभक्त है। रावण ने खुद को शिव का सबसे बड़ा भक्त मान लिया। इस बात का उसे अहंकार हो गया।

एक दिन जब रावण सोने की लंका में बैठा था, तो उसे ख्याल आया कि उसके आराध्य भगवान शिव कैलाश पर्वत पर रहते हैं, जहां ना कोई भवन है ना कोई महल। रावण ने तय किया कि वो भगवान शिव को लंका में लेकर आएगा, ताकि वो उनके पास भी रह सके और भगवान भी सोने की लंका का वैभव भोग सके। रावण कैलाश पर्वत की ओर चल दिया।

उसने भगवान शिव को लंका ले जाने के लिए कैलाश पर्वत को उठाने की कोशिश की। एक हाथ कैलाश पर्वत के नीचे लगाया और उठाने लगा तो भगवान शिव ने अपने पैर के अंगूठे से पर्वत को दबा दिया। रावण का हाथ दब गया। वो कुछ कर नहीं पा रहा था।

तब उसने शिवतांडव स्तोत्र की रचना कर शिव को प्रसन्न किया। भगवान ने उसे समझाया कि वो अपनी भक्ति का अहंकार ना करे। अहंकार ही उसके विनाश का कारण हो सकता है। रावण ने रिश्तों में समर्पण से ज्यादा अधिकार पर जोर दिया, इसलिए उसे लगभग हर रिश्ते से हाथ धोना पड़ा।

भाई विभीषण छोड़ गया, कुंभकर्ण मारा गया, सारे बेटे मारेगए,पत्नियां अकेली रह गईं। रिश्तों में अधिकार की बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है, जबकि समर्पण रिश्तों को बचाता है।

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महात्मा गांधी का एक विचार दिला सकता है मनचाही सफलता

महात्मा गांधी जी को हम बापू के नाम से जानते हैं। उनका पूरा जीवन अपने आप में एक स्कूल की तरह है जिसे अपना कर आप अपने जीवन में नई ऊंचाइयां पा सकते हैं। गांधी जी ने अपने अनुभव पर कई किताबें लिखीं जो आज हमें जीवन की नई राह दिखाती हैं।

उनकी सोच हमें राह दिखाती है और उनके विचार आज भी उतने ही सार्थक हैं जितने कि वह तब थे। यदि उनके विचारों पर अमल किया जाए तो हम जीवन में कई तरह से आनंद पा सकते हैं।

ऐसे जिएं जैसे आपको कल मरना है, सीखें ऐसे कि आपको हमेशा जीवित रहना है

गांधी जी का यह विचार हमें लगातार सीखने की ओर प्रेरित करता है। कई बार हम यह सोचकर कुछ नया नहीं सीखते कि अब सीख कर क्या करना है। हमें जीना ही कितना है मगर गांधी जी के अनुसार सीखने की कोई उम्र नहीं होती जब जागो तब सवेरा।

जो समय बचाते हैं वे धन को बचाते। बचाया धन, कमाए धन के समान ही महत्वपूर्ण है

हममें से कई लोग हैं जो अक्सर यह कहते हैं कि क्या करें टाइम ही नहीं मिलता मगर भगवान ने सभी को 24 घंटे ही दिए हैं किसी को कम या ज्यादा नहीं तो फिर कोई और क्या कर सकता है तो हम क्यों नहीं। क्या हममें काबिलियत नहीं है।

कुछ अलग से करने की इच्छा नहीं है। इसका कारण टाइम मैनेजमैंट का न होना है। यदि हम लगातार अपना समय बचाएं, अपने समय को अनावश्यक रूप से व्यर्थ न करके उसका सदुपयोग करें तो हम अपने साथ-साथ दूसरों का जीवन भी संवार सकते हैं।

आंख के बदले आंख पूरे विश्व को अंधा बना देगी

आज के समय हर कोई किसी दूसरे की तरक्की नहीं देख सकता। हर समय एक दूसरे की टांग खींचने पर लगे रहते हैं। यदि कोई व्यक्ति किसी की उन्नति में बाधा बनता है तो कोई दूसरा व्यक्ति उसकी उन्नति में बाधा बन जाता है।

जैसा हम दूसरे के लिए करते हैं वैसा ही हम अपने लिए पाते हैं इसलिए अपनी सोच को सदैव सकारात्मक रखें। बदला लेने की भावना अपने मन पर हावी न होने दें ताकि खुद भी तरक्की कर सकें और दूसरों की तरक्की पर हमें मलाल न हो। – प्रसन्नता ही एक मात्र ऐसा इत्र है जिसे आप दूसरे पर डालते हैं तो कुछ बूंद आप पर भी पड़ती है।

व्यक्ति की पहचान उसके कपड़ों से नहीं उसके चरित्र से होती है

कई बार हम बाहरी आवरण को देख कर किसी की तरफ आकर्षित हो जाते हैं मगर जब हम उसके करीब जाते हैं तो हम सच्चाई से रू-ब-रू हो पाते हैं।

किसी व्यक्ति के कपड़ों से हम उसके व्यक्तित्व को नहीं समझ सकते।वह उसके व्यक्तित्वका आवरण मात्र है। उसका व्यक्तित्व उसके चरित्र से उजागर होता है।

आप जो कुछ भी करते हैं वह कम महत्वपूर्ण हो सकता है मगर सबसे महत्वपूर्ण यह है कि आप कुछ करें

कई बार किसी कार्य को करने से पहले ऐसे विचार हमारे दिमाग में चलते रहते हैं कि “वह जरूरी नहीं है” या “वह कम महत्वपूर्ण है”। ऐसे में हम उस कार्य को शुरू ही नहीं कर पाते।

यदि हम किसी कार्य को करेंगे ही नहीं तो कैसे पता चलेगा कि वह महत्वपूर्ण है या नहीं। कार्य महत्वपूर्ण है या नहीं यह जरूरी नहीं है कार्य का होना जरूरी है।

गांधी जयंती 2 अक्तूबर

गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था जिनका जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। इस दिन को सारा देश गांधी जयंती के रूप में मनाता है। अहिंसा के पथ पर चल कर देश को अंग्रेजों की दास्ता से मुक्ति दिलाने वाले गांधी जी ने पूरी दुनिया को अपने विचारों से प्रभावित किया था। । अहिंसा केरास्ते पर चलने की बात गांधीजी |ने आजादी की लड़ाई में शामिल हर शख्स से कही थी। उन्होंने त्याग को अपने जीवन में सदा अपनाए रखा और सादगी भरे जीवन के साथ-साथ कम से कम चीजों से अपना जीवनयापन किया।

गांधी जी के तीन महत्वपूर्ण सूत्र

पहला : सामाजिक गंदगी को दूर करने के लिए झाड़ का सहारा।
दूसरा : सामूहिक प्रार्थना को बल देना जिससे एकजुट होकर व्यक्ति जात-पात और धर्म की बंदिशों को दरकिनार कर प्रार्थना करे।
तीसरा: चरखा जोआत्मनिर्भर और एकता का प्रतीक माना जाने लगा था।

हंसता हुआ चेहरा हर किसी को पसंद होता है। हर हंसने वाले चेहरे के साथ दुनिया हंसती है। यदि आप अपनी छवि को हमेशा अच्छा बनाए रखना चाहते हैं, सदैव प्रसन्न रहकर अपने आसपास का माहौल खुशनुमा बना सकते हैं।

क्यों मनाते हैं विजयादशमी, जाने रावण के 10 सिरों का अर्थ !!

इस पर्व को भगवती ‘विजया’ के नाम पर भी ‘विजयादशमी‘ कहते हैं। इस दिन भगवान रामचंद्र चौदह वर्ष का वनवास भोगकर तथा रावण का वध कर अयोध्या पहुँचे थे। इसलिए भी इस पर्व को ‘विजयादशमी’ कहा जाता है।

ऐसा माना जाता है कि आश्विन शुक्ल दशमी को तारा उदय होने के समय ‘विजय’ नामक काल होता है। यह काल सर्वकार्य सिद्धिदायक होता है यह भी यह कारण है कि इसे विजयादशमी कहते हैं।

पौराणिक कथा के अनुसार, रावण ने देवी सीता का हरण कर लिया था। इस दौरान देवी सीता की रक्षा के लिए मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने अधर्म और अन्यायी रावण को युद्ध के लिए ललकारा। मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम और लंकापति रावण के बीच 10 दिनों तक युद्ध चला।

भगवान श्री राम ने आश्विन शुक्ल की दशमी तिथि को मां दुर्गा से प्राप्त दिव्यास्त्र की मदद से रावण का वध कर दिया था। श्री राम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी और यह दशमी तिथि भी थी, ऐसे में इस दिन को विजयदशमी कहा जाता है।

विजया दशमी का अर्थ

विजयादशमी भारत के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग कारणों से अलग-अलग तरीकों से मनाई जाती है। कुछ क्षेत्रों में, यह भैंस राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की जीत के उत्सव के साथ दुर्गा पूजा के अंत का प्रतीक है।

उत्तरी, मध्य और कुछ पश्चिमी राज्यों में इसे लोकप्रिय रूप से दशहरा कहा जाता है, यह रामलीला के अंत का प्रतीक है। भगवान राम की रावण पर विजय के लिए उत्साह है।

महत्व

इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर नाम के असुर का वध कर देवताओं को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई थी। वहीं इस दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध कर माता सीता को उसकी कैद से मुक्त कराया था।

इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है। इस दिन लोग शस्त्र पूजन के साथ ही वाहन पूजन भी भी करतें हैं। वहीं आज के दिन से किसी भी नए कार्य की शुरुआत करना भी शुभ माना जाता है।

रावण के 10 सिरों का महत्व

रावण ने ब्रह्मा के लिए कई वर्षों तक गहन तपस्या की थी l अपनी तपस्या के दौरान, रावण ने ब्रह्मा को प्रसन्न करने के लिए 10 बार अपने सिर को काट दिया। हर बार जब वह अपने सिर को काटता था तो एक नया सिर प्रकट हो जाता था l इस प्रकार वह अपनी तपस्या जारी रखने में सक्षम हो गया।

अंत में, ब्रह्मा, रावण की तपस्या से प्रसन्न हुए और 10 वें सिर कटने के बाद प्रकट हुए और उन्हें वरदान मांगने को कहा l इस पर रावण ने अमरता का वरदान माँगा पर ब्रह्मा ने निश्चित रूप से मना कर दिया, लेकिन उन्हें अमरता का आकाशीय अमृत प्रदान किया, जिसे हम सभी जानते हैं कि उनके नाभि के तहत संग्रहीत किया गया था।

रावण के दस सिर दस कमजोरियों या दस पापों का प्रतीक हैं जिनसे मनुष्य को छुटकारा पाना चाहिए। मनुष्य के दस बुरे भाव या गुण जिन्हें रावण के दस सिरों के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, वे इस प्रकार हो सकते हैं।

  1. काम (वासना)
  2. क्रोध (क्रोध)
  3. मोह (आकर्षण)
  4. लोभ (लालच)
  5. मद (गर्व)
  6. मत्सर (ईर्ष्या)
  7. स्वर्थ (स्वार्थ)
  8. अन्याय (अन्याय)
  9. अमानवीयता (क्रूरता)
  10. अहंकार (अहंकार)

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2 अक्टूबर का इतिहास

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2 अक्टूबर का इतिहास

  • 1492 – ब्रिटेन के किंग हेनरी सप्तम ने फ्रांस पर आक्रमण किया।
  • 1869 – भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का जन्म हुआ
  • 1898बिहार के प्रमुख गाँधीवादी रचनात्मक कार्यकर्ता और स्वतंत्रता सेनानी प्रजापति मिश्र का जन्म हुआ।
  • 1904 – भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री का जन्म हुआ।
  • 1906 – विख्यात चित्रकार राजा रवि वर्मा का निधन हुआ।
  • 1924 – में राष्ट्रसंघ को शक्तिशाली बनाने के उद्देश्य से जेनेवा प्रस्ताव लाया गया।
  • 1924 – प्रसिद्ध फ़िल्म निर्देशक तपन सिन्हा का जन्म हुआ।
  • 1933 – हिन्दी के प्रसिद्ध नाटककार तथा सिनेमा कथा लेखक शंकर शेष का जन्म हुआ।
  • 1942 – प्रसिद्ध फ़िल्म अभिनेत्री आशा पारेख का जन्म हुआ।
  • 1951श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भारतीय जनसंघ की स्थापना की।
  • 1952 – सामुदायिक विकास कार्यक्रम की शुरूआत हुई।
  • 1961बम्बई (अब मुंबई) में शिपिंग कारपोरेशन ऑफ इंडिया का गठन हुआ।
  • 1964 – भारत की एक प्रख्यात गांधीवादी, स्वतंत्रता सेनानी और एक सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमारी अमृत कौर का निधन हुआ।
  • 1971 – तत्कालीन राष्ट्रपति वी.वी. गिरि ने गांधी सदन के नाम से प्रसिद्ध बिड़ला हाउस देश को समर्पित किया।
  • 1974 – भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान प्रीतम सिवाच का जन्म हुआ।
  • 1975 – भारत रत्न सम्मानित स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के. कामराज का निधन हुआ।
  • 1976प्रविण उदासि का जन्म हुआ।
  • 1979 – ‘अशोक चक्र से सम्मानित भारतीय सेना के जांबाज सैनिक हंगपन दादा का जन्म हुआ।
  • 1975 – भारत रत्न सम्मानित स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के. कामराज का निधन हुआ।
  • 1982 – ब्रिटिश शासन के अधीन आई.सी.एस. अधिकारी और स्वतंत्रता के बाद भारत के तीसरे वित्त मंत्री सी. डी. देशमुख का निधन हुआ।
  • 1984मारियोन बार्तोली का जन्म हुआ।
  • 1988दक्षिण कोरिया की राजधानी सोल में 24वें ओलंपिक खेलों का समापन।
  • 2000 – रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन भारत की चार दिवसीय यात्रा दिल्ली पहुँचे।
  • 2004 – संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने कांगों में 5900 सैनिक भेजने का प्रस्ताव मंजूर किया।

महात्मा गांधी जी के जीवन से जुड़े कुछ स्थान

भारत के राष्ट्रपिता मोहनदास कर्मचंद गांधी का जन्‍म दिन 2 अक्‍टूबर को गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को विश्व अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।

आज हम आपको महात्मा गांधी जी के जीवन से जुड़े कुछ सथलों के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां से गांधी जी के विचारों, उनके आदर्शों और सिद्धांतों को अंकुर मिला था।

पोरबंदर

कर्मचंद गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर में हुआ था। यह गांव गुजरात में स्थिति हैं। पोरबंदर में कर्मचंद गांधी जी के बचपन से जुड़ी बहुत सी चीज़े हैं, आज भी यहां पर उनका पैतृक घर है। इसके अलावा पोरबंदर में कीर्ति मंदिर भी एक शानदार जगह है।

राजकोट (गुजरात)

गांधी जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा राजकोट में प्राप्त की। यहाँ उनके पिता करमचंद गांधी दीवान थे। राजकोट का यह दौर गांधी जी के बचपन और संस्कारों का आधार बना।

लंदन (इंग्लैंड)

1888 में गांधी जी बैरिस्टर की पढ़ाई के लिए लंदन गए। उन्होंने यहाँ से कानून की पढ़ाई पूरी की और अंग्रेज़ी संस्कृति को नज़दीक से देखा। यह अनुभव उनके जीवन में अनुशासन और दृढ़ संकल्प का कारण बना।

अहमदाबाद

अहमदाबाद भी ऐसे ऐतिहासिक स्‍थलों में से एक है, यहां गांधी जी के जीवन का काफी जुड़ाव रहा है। अहमदाबाद में साबरमती नदी के किनारे स्थित गांधी जी का आश्रम है। इस आश्रम को साबरमती आश्रम के नाम से भी पुकारते हैं।। यहीं से ही गांधी जी ने दांडी मार्च की शुरूआत की थी।

दांडी

दांडी गांव भी राष्‍ट्रपि‍ता महात्‍मा गांधी जी के जीवन काल को बयां करने वाले मुख्‍य स्‍थानों में से एक है। आज दांडी अरब सागर के तट पर स्थित इस जगह से ही नमक सत्याग्रह अपनी परिणति तक पहुंचा।

दक्षिण अफ्रीका

1893 में गांधी जी दक्षिण अफ्रीका गए जहाँ उन्हें नस्लभेद का सामना करना पड़ा। पिएटरमैरिट्जबर्ग रेलवे स्टेशन की घटना, जहाँ उन्हें ट्रेन से उतार दिया गया था, ने उनके जीवन को बदल दिया। यहीं से उन्होंने सत्याग्रह और अहिंसा के प्रयोग शुरू किए। दक्षिण अफ्रीका में ही फीनिक्स आश्रम और टॉल्सटॉय फार्म की स्थापना की।

नई दिल्ली

दि‍ल्‍ली भी गांधी स्‍मृत‍ि वाले स्‍थानो में से एक है। यहां पर बिरला हाउस के रूप में महात्मा गांधी को समर्पित एक ऐत‍िहास‍िक संग्रहालय है। इसके अलावा यहां का प्रस‍िद्ध स्थल राजघाट भी है, यहां पर 1869 को गांधी जी की मृत्‍यु के बाद राजघाट में उनकी समाधि स्थल बनी थी।

सेवाग्राम आश्रम

1936 में गांधी जी ने वर्धा (महाराष्ट्र) में सेवाग्राम आश्रम बसाया। यह स्थान उनकी गतिविधियों का केंद्र बन गया और अनेक स्वतंत्रता सेनानी यहाँ एकत्र होते थे। आज भी यह आश्रम ग्रामीण विकास और शिक्षा का केंद्र है।

जोहान्सबर्ग

गांधी जी ने अपनी जिंदगी के 21 साल जोहान्सबर्ग में व्‍यतीत किए थे। यहां पर ही उन्होंने अपनी राजनीतिक विचारधाराओं को पहचाना था। गांधी जी की याद में यहां सत्याग्रह सदन बनाया गया है।

चंपारण (बिहार)

1917 में गांधी जी ने चंपारण में नील की खेती करने वाले किसानों के आंदोलन का नेतृत्व किया। इसे चंपारण सत्याग्रह कहा जाता है और यह भारत में गांधी जी का पहला सफल आंदोलन था। यहाँ से किसानों को अत्याचार से मुक्ति मिली और स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा।

गांधी जयंती पर कुछ अनमोल वचन

महात्मा गांधी, जिन्हें हम प्यार से बापू भी कहते हैं, न केवल भारत के स्वतंत्रता संग्राम के नायक थे बल्कि वे मानवता, अहिंसा और सत्य के प्रतीक भी थे। उनका जीवन और उनके विचार आज भी हमारे लिए मार्गदर्शन का स्रोत हैं। महात्मा गांधी भारत के राष्ट्रपिता हैं। प्रति वर्ष 2 अक्टूबर को उनका जन्म दिन भारत में गांधी जयंती के रूप में और पूरे विश्व में अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के नाम से मनाया जाता है। आइये आज याद करते हैं गांधी जी के कुछ अनमोल वचन:

  • विश्वास को हमेशा तर्क से तौलना चाहिए। जब विश्वास अंधा हो जाता है तो वो मर जाता है।
  • विश्वास करना एक गुण है, अविश्वास दुर्बलता कि जननी है।
  • ताकत दो तरह की होती है। एक जो सज़ा के डर से बनायी जाती है और दूसरी जो प्यार के acts से बनायी जाती है। प्यार वाली ताकत सज़ा के डर से बनायी गयी ताकत से हज़ार गुणा ज्यादा असरदार होती है।
  • पहले वो आप पर ध्यान नहीं देंगे, फिर वो आप पर हँसेंगे, फिर वो आप से लड़ेंगे, और तब आप जीत जायेंगे।
  • परमेश्वर ही सत्य है; यह कहने की बजाय ‘सत्य ही परमेश्वर’ है यह कहना अधिक उपयुक्त है।
  • ऐसे जियो जैसे कि तुम कल मरने वाले हो। ऐसे सीखो की तुम हमेशा के लिए जीने वाले हो।
  • जहाँ प्रेम है वहां जीवन है।
  • आपको इंसानियत में विश्वास नहीं खोना चाहिए। इंसानियत एक समुन्दर है, यदि समुन्दर में कुछ बूंदे गन्दी होती हैं,तो पूरा समुन्दर गन्दा नहीं हो जाता।
  • क्रोध को जीतने में मौन सबसे अधिक सहायक है।
  • मेरा जीवन मेरा सन्देश है।
  • आँख के बदले में आँख पूरे विश्व को अँधा बना देगी।
  • सत्य एक विशाल वृक्ष है, उसकी ज्यों-ज्यों सेवा की जाती है, त्यों-त्यों उसमे अनेक फल आते हुए नज़र आते है, उनका अंत ही नहीं होता।

महात्मा गांधी के जीवन से सीखने योग्य 10 बातें

महात्मा गांधी भारत के इतिहास के महान व्यक्तित्व थे। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। महात्मा गांधी ने भारत को ब्रिटिश शासन से आज़ाद करवाने के लिए सत्याग्रह और अहिंसा का सहारा लिया और देश के लोगों को भारत की आज़ादी के लिए प्रेरित किया। वे अंगेजों को यह मनवाने में सफल रहे कि भारत पर ब्रिटिश हकूमत मानवता के अधिकार का घोर उल्लंघन थी।

वैसे तो गांधी जी का पूरा जीवन ही अनुकरणीय है, लेकिन हम यहाँ 10 ऐसी चुनिन्दा बातें रख रहे हैं, जो देखने सुनने में बहुत ही साधारण लगती हैं, लेकिन अगर इन पर अमल किया जाए, तो मनुष्य कोई भी मंजिल पा सकता है।

“जो हम सोचते हैं हम वही बन जाते हैं”

महात्मा गांधी का मानना था कि हम जो सोचते हैं वही बन जाते हैं। अगर हम यह सोचेंगे कि हम लक्ष्य तक पहुंचने से पहले असफल हो जायेंगे, तो असल जिंदगी में भी वैसा ही होगा।

हमारा मन सकारात्मक और नकारात्मक विचारों से हमेशा भरा रहता है, लेकिन हमें नकारात्मक विचारों को मन से हटा देना चाहिए और सिर्फ सकारात्मक विचारों को मन में रखने का प्रयास करना चाहिए।

“कभी हार ना मानो और लगातार प्रयास करते रहो”

महात्मा गांधी जी को अपने जीवन में भारत की आज़ादी के लिए कई बार जेल भी जाना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और लगातार भारत की आज़ादी के लिए संघर्ष करते रहे। इसी तरह हमें भी अपने लक्ष्य को पाने के लिए लगातार संघर्ष करना चाहिए।

महात्मा गांधी की आत्मकथा “सत्य के साथ मेरे प्रयोग” महात्मा गांधी जी ने मूलत: गुजराती में लिखी थी। विभिन्न भाषाओं में इसके अनुवाद हुए हैं और यह किताब बेस्ट-सेलर रही है। हिन्दी भाषा में अनुवादित किताब सत्य के प्रयोग (Satya Ke Prayog) काफी रोचक व आसान भाषा में है। Amazon से इसे खरीदा जा सकता है।

“आपके कर्म आपकी प्राथमिकता को दर्शाते हैं”

अगर हमारे जीवन का लक्ष्य बहुत महत्वपूर्ण है और हम उसको पूरा करने के लिए कोई भी कदम नहीं उठा रहे है, तो हमें अपनी प्राथमिकता के बारे में सोचना होगा। इसका अर्थ यह है कि हम अपने लक्ष्य को लेकर गंभीर नहीं हैं। आपको अपनी प्राथमिकता अपने लक्ष्य को देनी चाहिए।

“लक्ष्य का रास्ता भी लक्ष्य जैसा सुंदर होता है”

महात्मा गांधी एक मजबूत चरित्र वाले आदमी थे। वह भारत की आज़ादी के लिए ऐसा कोई भी विधि नहीं अपनाना चाहते थे, जिनसे उनकी अंतरआत्मा को ठेस पहुंचे। इसीलिए उन्होंने भारत को आज़ाद करवाने के लिए हिंसा का सहारा ना लेते हुए, अहिंसा का सहारा लिया था। हमें भी उसी तरह अपने लक्ष्य को पाने के लिए एक नैतिक मार्ग का सहारा लेना चाहिए।

कैसा था महात्मा गांधी का जीवन? कैसे वह अति-साधारण जीवन जीने के साथ-2 इतने महान कार्य कर पाये? लेखक Louis Fischer द्वारा अँग्रेजी भाषा में लिखी The Life of Mahatma Gandhi किताब काफी कुछ बताती है।

“ईमानदारी से “ना” कहना बेइमानी से “हाँ” कहने से कहीं बेहतर है”

लोग अक्सर दूसरे लोगों को नाराज़ न करने के लिए “ना” कहने की बजाए “हां” कर देते हैं। वह अक्सर उन लोगों के साथ कई गतिविधियों में बिना अपनी दिलचस्पी के हिस्सा भी लेते रहते हैं।

महात्मा गांधी का कहना था, दूसरों को खुश करने के लिए की गयी “हां” आपको कहीं भी नहीं लेकर जाती. दूसरी तरफ यह आपकी जिंदगी को आक्रोश और कुंठा की तरफ ले जाती है।

“शांति आपको अपने अंदर से ही मिलती है”

क्या हम वास्तव में खुद के भीतर शांति को तलाशने की कोशिश करते हैं? ज्यादतर जवाब होगा “नहीं” क्योंकि असल में हम अपनी पूरी जिंदगी शांति को बाहर तलाशते रहते हैं।

जैसे कि हम जिंदगी में पहली बार किसी से मिलते हैं, हम उनके विचारों को इतनी गंभीरता से ले लेते हैं, जिससे हमारा अपने ऊपर से विश्वास हट जाता है और हम अपने आपको दूसरों की नज़रों से देखने लग जाते हैं। लेकिन असल में हमें बाहरी आवाज़ों को अनसुना कर के अपनी अंतरात्मा की आवाज़ को सुनना चाहिए।

“सदभावना से किया गया काम आपको ख़ुशी देगा”

आज की दुनिया में ख़ुशी और सदभावना दुर्लभ होती जा रही है। महात्मा गांधी जी का कहना था कि हमें अपने सदभावना के विचारों से और अपने कार्यों को संतुलित रखना चाहिए। इसी से हमें सच्ची ख़ुशी प्राप्त होगी।

लेखक राजेन्द्र अत्री ने महात्मा गांधी के बहुमूल्य विचारों का संग्रह अपनी किताब महात्मा गांधी – सम्पूर्ण विचारों का संग्रह में खूबसूरत ढंग से सँजोया है। इस किताब का अँग्रेजी में ऑनलाइन संस्करण डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें

“माफ़ करना मज़बूत लोगों की निशानी है”

माफ़ करना बहुत कठिन होता है। वह आदमी जो माफ़ करके जिंदगी में आगे बढ़ता जाता है, वही महान है। हमें दूसरे लोगों की गलतियों को माफ़ कर देना चाहिए, ताकि हम जीवन शांति से व्यतीत कर सकें। माफ़ करना मज़बूत लोगों की निशानी है, ना कि कमज़ोर लोगों की।

“मानसिक शक्ति शारीरिक शक्ति से ज्यादा महत्वपूर्ण है”

शक्ति के विभिन्न रूप हो सकते हैं। ज़िंदगी में मज़बूत दिमाग का होना मज़बूत शरीर से ज्यादा महत्वपूर्ण है। एक मज़बूत इच्छाशक्ति वाला आदमी पर्वतों को हिला सकता है, भले ही वह भीम या हनुमान नहीं है। महात्मा गांधी शारीरिक रूप से मज़बूत नहीं थे, लेकिन उन्होंने अपनी इच्छाशक्ति से ब्रिटिश राज्य को घुटनों के बल झुका दिया था।

“अगर आप अपनी जिंदगी में परिवर्तन करना चाहते हैं तो अपने आपको बदलें”

गांधी जी ने कहा था कि हम अपने वांछित गुणों को दूसरों में देखने का प्रयास करते हैं। असल में हम सभी अंदर से बहुत अदभुत और सुंदर हैं। जितना हम दूसरों की मदद करेंगे, जवाब में वह भी हमारी मदद करेंगे। हमें सभी से प्यार और दया की भावना रखनी चाहिए। ऐसा करने से हमारे जीवन में अअदभुत बदलाव आएगा।

1 अक्टूबर इतिहास

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1 अक्टूबर इतिहास

  • 1574 – सिखों के तीसरे गुरू अमर दास का निधन हुआ।
  • 1842स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षाविद्‌ और सामाजिक कार्यकर्ता एस. सुब्रह्मण्य अय्यर का जन्म हुआ।
  • 1847 – प्रख्यात समाजसेवी, लेखिका और स्वतंत्रता सेनानी एनी बेसेंट का जन्म हुआ।
  • 1854भारत में डाक टिकट का प्रचलन आरंभ हुआ l
  • 1895 – पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाक़त अली ख़ाँ का जन्म हुआ।
  • 1901 – स्वतंत्रता सेनानी एवं पंजाब के भूतपूर्व मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरों का जन्म हुआ।
  • 1904 – केरल के प्रसिद्ध कम्युनिस्ट नेता और भारत के स्वतंत्रता सेनानी . के. गोपालन का जन्म हुआ।
  • 1919 – हिन्दी फ़िल्मों के प्रसिद्ध गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी का जन्म हुआ।
  • 1922 – अमेरिकी वकील और राजनितिज्ञ बर्क मार्शल का जन्म हुआ।
  • 1924अमेरिका के 39वें राष्ट्रपति जिमी कार्टर का जन्म हुआ।
  • 1927 – प्रसिद्ध तमिल अभिनेता शिवाजी गणेशन का जन्म हुआ।
  • 1928 – भारतीय राजनीतिज्ञ एवं दलित नेता सूरज भान का जन्म हुआ।
  • 1938 – भारत के महान् बिलियर्ड्स खिलाड़ी माइकल फ़रेरा का जन्म हुआ।
  • 1945 – भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द का जन्म हुआl
  • 1949चीन में कम्युनिस्ट पार्टी के शासन की शुरुआत हुई।
  • 1953आंध्र प्रदेश अलग राज्य बना।
  • 1966 – राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत त्रिलोक सिंह ठकुरेला का जन्म हुआ।
  • 1967 – भारतीय पर्यटन विकास निगम की स्थापना हुई।
  • 1978 – लड़कियों की शादी की उम्र को 14 से बढा कर 18 और लड़कों का 18 से बढा कर 21 वर्ष किया गया।
  • 1979 – भारत के क्रांतिकारी चन्दन सिंह गढ़वाली का निधान हुआ।
  • 1996 – अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन द्वारा पश्चिम एशिया शिखर सम्मेलन का उद्घाटन हुआ ।
  • 2000 – सिडनी में 27वें ओलम्पिक खेल सम्पन्न  हुआ।
  • 2002 – एशियाड खेलों में स्नूकर प्रतिस्पर्द्धा में भारत को पहला स्वर्ण पदक प्राप्त हुआ।
  • 2003 – नदियों को जोड़ने के सम्बन्ध में बांग्लादेश की आशंकाओं को भारत ने दूर किया।
  • 2004 – इज़रायली प्रधानमंत्री एरियल शैरोन के मंत्रिमंडल ने गाजा पट्टी में बड़े पैमाने पर सैनिक कार्रवाई की योजना को मंजूरी दी।
  • 2007 – जापान ने उत्तर कोरिया के ख़िलाफ़ प्रतिबन्धों को अगले छ: महीनों तक बढ़ाने की घोषणा की।
  • 2008 – आतंकवादियों ने त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में बम ब्लास्ट किया।
  • 2015 – ग्वाटेमाला के संता काटरीना पिनुला में भारी बारिश और भूस्खलन से 280 लोगों की मौत।

नवरात्रि के नौ दिनों से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

“नवरात्रि” हिंदुओं के प्रमुख त्यौहारों में से एक है जिसे दुर्गा माँ की पूजा को समर्पित किया जाता है। नवरात्रि के त्यौहार को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है, बहुत से लोग तो इन दिनों में नंगे पांव रहते है। आज हम आपके लिए लेकर आये हैं नवरात्रि के नौं दिनों से जुड़े कुछ रोचक तथ्य:-

  • नवरात्रि” – शब्द दो शब्दों का संयोजन है- नवा (अर्थ नौ) और रात्री (अर्थ रात)। नौ रातों और नौ दिनों को नवरात्रों के रूप में मनाया जाता है।
  • भारत में मनाए जाने वाले तीन मुख्य नवरात्रि शरद नवरात्रि, वसंत नवरात्रि और अशदा नवरात्रि हैं।
  • नवरात्रि त्यौहारों में शरद नवरात्रि सबसे महत्वपूर्ण है। यह सर्दियों की शुरूआत में मनाया जाता है, यानी शरद ऋतु में (सितंबर / अक्टूबर का महीना) यह मनाने का ख़ास कारण है कि इस वक्त देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर का वध किया गया था जिसका जश्न मनाया जाता है।
  • वसंत नवरात्रि गर्मियों की शुरुआत के दौरान मनाया जाता है जो मार्च /अप्रैल के महीने में होता है। मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है।
  • अशदा सीजन के दौरान हिमाचल प्रदेश राज्य में अशदा नवरात्रि मनाया जाता है जो जुलाई-अगस्त महीने में होता है।
  • नवरात्रि के साथ सर्द और वसंत ऋतु का भी आगमन होता है।
  • गुजरात और मुंबई में, नवरात्रि की हर रात को गरबा नृत्य किया जाता है जो बहुत प्रसिद्ध है।
  • नवरात्रि के दिनों में अगर आपको सपने में सफेद सांप दिखाई देता है तो यह बहुत ही शुभ होता है। इससे लक्ष्मी की कृपा होती है।
  • अगर कोई कन्या आपको नवरात्रि के दिनों में सिक्का देती है तो यह बहुत ही शुभ माना जाता है , इससे धन का लाभ होता है।
  • बंगाल में नवरात्रि के दिनों मे दुर्गा पूजा की जाती है जो बंगाल का पुरे साल का सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है।
  • दुर्गा देवी आठ भुजाओं से युक्त हैं जिन सभी में कोई न कोई शस्त्रास्त्र होते हैं।
  • हिन्दू ग्रन्थों में वे शिव की पत्नी पार्वती के रूप में वर्णित हैं, जिन्हें दुर्गा का 8वां रूप गौरी कहा जाता है।
  • वेदों में तो दुर्गा का व्यापाक उल्लेख है, किन्तु उपनिषद में देवी “उमा हैमवती” (उमा, हिमालय की पुत्री) का वर्णन है।
  • पुराण में दुर्गा को आदिशक्ति माना गया है।
  • इसी आदि शक्ति देवी ने ही सावित्री (ब्रह्मा जी की पहली पत्नी), लक्ष्मी, और पार्वती (सती) के रूप में जन्म लिया और उसने ब्रह्मा, विष्णु और महेश से विवाह किया था।
  • तीन रूप मिलकर दुर्गा (आदि शक्ति) को पूरा करते हैं।

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