मशरुम (कुकुरमुत्ता) कैसे बनती है ?

मशरुम बहुत ही असाधारण पौधा है. इस पौधे में न कोई जड़, न कोई पेड़ और न ही पत्ते होते हैं. मशरुम इतनी तेजी से बड़ी होती है कि आप इसे बढ़ता हुआ देख सकते हैं. मशरूम को फुंगी (fungi) भी कहते है क्योंकि इनमें कोई क्लोरोफिल नहीं होती जिससे यह अपने लिए भोजन बना सकें. मशरूम का जो हिस्सा आपको जमीन से ऊपर देखने को मिलता है यह फुंगी का फूला हुआ हिस्सा होता है. बाकी का हिस्सा जो जमीन के अंदर होता है वह हिस्सा घने धागों से बना होता है. इन धागों को कवक (फुई, कवकजाल) या अंडे(spawn) कहते हैं.

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कवक के धागे छोटे-2 बीजाणुओं से बनते हैं. यह छोटे-2 बीजाणु बहुत छोटे-2 कणों से बनते हैं. इन धागों पर छोटे सफेद ऊतक निकल के बाहर आते हैं और ऊपर की तरफ बढ़ने के साथ-2 फैलते जाते हैं और फिर अंत में छाते के अकार के बन जाते हैं.

इस छाते के नीचे विकीर्ण या फैलते हुए गलफड़े होते हैं जो आपस में जुड़े होते हैं. इन्हीं गलफड़ों की वजह से छोटे बीजाणु विकसित होते हैं. यह बीजाणु फिर नीचे गिर जाते हैं और हवा द्वारा धकेल दिए जाते हैं. जब यह बीजाणु नीचे गिर जाते हैं तो यह नए पौदों को विकसित होने में मदद करते हैं.

मशरुम एक कम कैलोरी वाला खाना होता है. इसमें बी विटामिन होता है और यह फॉस्फोरस और पोटैशियम का एक अच्छा स्त्रोत भी होता है. एक ताज़ी मशरुम में 27 कैलोरी होती है.

मशरूम को भारत में ‘कुकुरमुत्ता‘ भी कहा जाता है. कुकुरमुत्ता दो शब्दों कुकुर (कुत्ता) और मुत्ता (मूत्रत्याग) के मेल से बना है, यानि यह कुत्तों के मूत्रत्याग के परिणामस्वरूप उत्पन्न होता है। ऐसी मान्यता भारत के कुछ इलाकों में प्रचलित है, किन्तु यह बिलकुल गलत धारणा है।

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शीर्ष 10 भारतीय आविष्कार और खोजें

 आयुर्वेद और योग

yogaआज आयुर्वेद और योग को उपचार के महत्वपूर्ण विकल्प के रूप में गिना जाता है. पश्चिमी उपचार पद्धतियों और एलोपेथी की खोज से पहले ही भारत में आयुर्वेद और सिद्ध-आसन आधारित उपचार पद्धतियों की खोज हो चुकी थी. आयुर्वेद और योग से भारत उच्च-स्तरीय उपचार की औषधियाँ बना चूका था. आज के दौर में भी लोग आयुर्वेद और योग की सहायता से असाध्य रोगों का सफलतापूर्वक इलाज कर रहे हैं.

रामानुजन का गणित में योगदान

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रामानुजन ने अपना गणित का कौशल 10 वर्ष की आयु में दिखा दिया था. वे एक भारतीय गणितज्ञ थे जिन्होंने कोई औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं की थी. रामानुजन ने शुरुआत से अपना योगदान गणितीय विश्लेषण, नंबर थ्योरी, इनफिनिट सीरीज में दे दिया था. जब उसके हुनर का पूरी गणित सम्प्रदाय को पता लगा तो इंग्लिश के एक मशहूर गणितज्ञ ने उनसे साझेदारी की. राष्ट्रीय गणित दिवस (22 दिसंबर ) उनके जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है.

 हीरे

amazing-facts-about-diamondsहीरा अपनी सौन्दर्य, शक्ति, कठोरता और स्थायित्व के लिए जाना जाता है. हीरा-व्यापार के बारे में अर्थशास्त्र में पाया जाता है. 18वीं शताब्दी में ब्राजील में पाए जाने तक भारत हीरे का एक मात्र स्रोत था. कहा जाता है कि भारत में हीरे का व्यापार 5000 वर्ष पुराना है. इसमें कोई शंका नहीं है कि हीरा पृथ्वी पर पाए जाने वाली सबसे कीमती वस्तु है.

 रमण प्रभाव

srinivasa-ramanujanशायद, रमण प्रभाव 20 वी सदी में विज्ञान के लिए भारत की और से सबसे महत्वपूर्ण योगदान था. इसकी खोज C.V Raman और KS krishnan ने द्रव्य में, जी लैंड्सबर्ग और एल आई मांदेलश्ताम ने इसकी खोज क्रिस्टल में की थी. प्राय: इन्द्रधनुष बनते हुए सभी ने देखा है। सूर्य से आने वाली सफेद प्रकाश किरणें जब वायुमंडल में मौजूद पानी के कणों से गुजरती हैं तो इस प्रकाश में मौजूद विभिन्न रंगों की किरणें अलग अलग हो जाती हैं। जिसे विज्ञान की भाषा में अपवर्तन कहते हैं। दरअसल सफेद प्रकाश कई रंग की किरणों का मिश्रण होता है।

 मोतियाबिंद ऑपरेशन

cataract-surgeryमशहूर भारतीय चिकित्सक सुशुत्रा ने अपने काम में मोतियाबिंद का जिकर किया है. अपनी आंख में चाकू मारना एक बहुत ही भयानक काम है. मोतियाबिंद ऑपरेशनों में आँख का नेचुरल लेंस को हटाया जाता है. इसकी खोज भारत में हुई थी. बाद में इसका परचार भारतीय चिकित्सक सुश्त्रा दुवारा पूरी दुनिया मैं किया गया. मोतियाबिंद ऑपरेशन आम तोर पर एक आँख के विशेषज्ञ द्वारा हस्पताल में किया जाता है, ताकि रोगी को कोई असुविदा ना हो.

 रॉकेट तोपखाने

The-invention-of-rocket-artilleryटीपू सुल्तान, जो मैसूर का राजा था. उसने पहली बार रोकेट तोपखाना का इस्तेमाल ईस्ट इंडिया के खिलाफ किया था. इस तोपखाने में लोहे का आवरण और एक धातु का सिलिंडर होता था जो बहुत जबरदस्त धमाके से लम्बी दूरी तक हमला करता था. इससे परभावित हो कर अंग्रेजो ने इसमे नई चीजों को डालकर नपोलियन के खिलाफ युद्ध में इस्तेमाल किआ था. लेकिन सच्चाई यही है कि तोपखाने की खोज भारत में हुईं थी.

 रूइं की चर्खी

Cotton-ginये एक रुई ही थी जिसने ईस्ट इंडिया कंपनी को भारत की और आकर्षित किया. भारतीय पुरातन काल से ही रुई का कारोबार करते आये हैं. परंतु इसके नया अवतरण कोएली व्हिटनी दुवारा लाया गया. ये चर्खी आसानी और तेजी से रुई को बीजों से अलग करती है. एली व्हिटनी की चर्खी बहुत अधुनिक थी जो एक तारों का संग्रह और छोटी तार की हुक से बनी हुई थी.

 स्टील

steel manufacturerस्टील एक बहुत ही महत्वपूर्ण खोज है. इसने ही उद्योगिक दुनिया को बदल के रख दिया, लेकिन भारतीयों ने ही सबसे पहले स्टील का इस्तेमाल किआ था. इसको चर्कोल और गर्म तरल लोहे को मिला के बनाया जाता था. स्टील 326 बीसी से इस्तेमाल हो रही है. स्टील ने टेक्नोलॉजी को भी मजबूत बनाया है. लेकिन फैक्ट यही है कि इसका ईजाद भारत में ही हुआ था.

 स्याही

black-inkस्याही एक तरल रंग होता है जो लिखने और ड्रा करने में इस्तेमाल होता है. इन दिनों ज्यादातर स्याही प्रिंटर कार्ट्रिज में इस्तेमाल होती है. भारतीय पहले थे जिन्हों ने इसका इस्तेमाल लिखने में और ड्रा करने में किया था. बहुत सारे धार्मिक पुस्तकें स्याही से ही लिखी गई थी.

 जीरो

zeroजीरो अपने आप में ही एक काफी बड़ा सबूत है कि भारतीयों ने ही इसका इस्तेमाल सबसे पहले गणित में किया था. जीरो के भी विज्ञान और टेक्नोलॉजी की कल्पना करना भी असंभव है. बहुत लोग इस्पे बहस करते है कि जीरो की खोज कोई राकेट साइंस नहीं है. परंतु अगर जीरो ना होता तो राकेट साइंस ही ना होती. जीरो के कारण ही मनुष्य गुफाओं से निकल कर चांद पे पहुंचा.

बटन का आविष्कार

बटन का आविष्कार भारतीयों द्वारा ही किया गया था हालांकि इस बात को अभी तक किसी ने साबित नहीं किया है लेकिन इंडस वैली सिविलाइज़ेशन में इस बात के काफी सबूत मिले हैं।

शतरंज का आविष्कार

शतरंज का इतिहास कम से कम 1500 वर्ष पुराना है. इस खेल का अविष्कार छठवीं शदी में मध्य भारत में हुआ था और गुप्ता डायनेस्टी में इस खेल को इजाद किया गया था.

ईमेल का आविष्कार

आपको यह बात जानकर हैरानी होगी कि ईमेल का आविष्कार भी भारतीय द्वारा ही किया गया था शिवा अय्यादुराई नामक व्यक्ति ने ईमेल का अविष्कार किया था जो कि भारतीय थे. हाईस्कूल में पढ़ाई के दौरान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन एंड डेंटिस्ट्री के लिए अय्यादुराई ने ईमेल प्रणाली पर अपना काम शुरू किया था. शिवा अय्यादुराई को इस काम में 1978 में कामयाबी मिली और पूरी तरह इंटरआफिस मेल प्रणाली विकसित की. इसे उन्होंने इसे ‘ई-मेल’ नाम दिया था.

फिबोनाची संख्या (Fibonacci Numbers)

इस प्रकार के नंबर सीरीज का अविष्कार भी भारतीयों द्वारा ही किया गया था इसका अविष्कार Virahanka, Gopala and Hemachandra द्वारा किया गया था. फिबोनाची संख्या का नाम पीसा के लियोनार्डो फिबोनाची के नाम पर रखा गया था.

विश्व की सबसे लम्बीं रेल सुरंग

गोथार्ड बेस सुरंग स्विस आल्प्स पर्वत के बीचो-बीच में से निकलने वाली दुनिया की सबसे लंबी रेल सुरंग है जो कि स्विट्जरलैंड में है. इस सुरंग की कुल लंबाई 57.09 किलोमीटर है. यह सुरंग 1 जून 2016 से शुरु कर दी गयी है लेकिन इसकी सार्वजनिक सेवा दिसंबर 2016 से शुरु होगी. इसका मुख्य उद्देश्य रूस और इटली के बीच व्यापार बढ़ाना, माल ढुलाई के लिए और बढ़ती गाडियों की संख्या से होने वाले पर्यावरण नुकसान को कम करना है. दूसरा फ़ायदा यह है कि यात्रीयों को ज़्यूरिख़ से मिलान और लूगानो जाने के लिए बहुत ही कम समय लगेगा. ज़्यूरिख़ स्विट्ज़रलैंड का सबसे बड़ा शहर है. यह शहर स्विट्ज़रलैंड का व्यवसाय एवं संस्कृति का मुख्य केन्द्र है.

गोथार्ड बेस सुरंग के बारे में महत्वपूर्ण बातें:

  • यह सुरंग दुनिया की सबसे लंबी रेलवे सुरंग है और इसकी लंबाई 57 किलोमीटर है.
  •  इसकी कुल लम्बाई 57.09 किलोमीटर है जबकि दूसरी अन्य सुरंगों एवं रास्तों को मिलकर इस रूट की कुल लम्बाई 151.84 किलोमीटर है.
  • गोथार्ड बेस सुरंग को दो भागों में बाँटा गया है.
  • इस सुरंग को बनाने की लागत 74 अरब है.
  • इस टनल का काम पूर्ण करने में 17 साल लगे है.
  • इसका मुख्य उद्देश्य इस क्षेत्र में परिवहन सुविधा को और बेहतर बनाना है.
  • 11 दिसंबर 2016 को इस टनल को सावर्जनिक उपयोग के लिए खोल दिया जाएगा.
  • यह उरी एवं टिसिनो को जोड़ने वाली तीसरी सुरंग है.
  • इन ट्रैक पर ट्रेन अधिकतम 250 किमी/घंटे की स्पीड तक दौड़ सकेंगी.

रेगिस्थान के बीचों बीच बसा है यह खूबसूरत गांव!!!

रेगिस्तान का नाम सुनते ही हमारे मन में सिर्फ चारों और सिर्फ रेत ही रेत नजर आता है. रेगिस्तान में जीवन जीना काफी मुश्किल है. दुनिया में कई देशों में बड़े-बड़े रेगिस्तान है जहां चारों तरफ सिर्फ रेत ही रेत दिखाई देती है. इन जगहों पर रेत के उड़ते गुबार और चारों तरफ फैला रेत का खौफ ही इंसान को काफी मुश्किल में डालता है. लेकिन क्या आपको पता है कि दुनिया में एक ऐसा रेगिस्तान भी है जिसके बीचो-बीच एक गांव बसा हुआ है, जहां पानी और पेड़ पौधे की कोई कमी है.

यह गांव साउथ पेरू के आइसा शहर से महज आठ किमी दूर स्थित है. जो की रेगिस्थान बीचो-बीच बसा हुआ है. इस गाँव का नाम हुआकाचाइना है. हुआकाचाइना गाँव में एक छोटी झील है जो रेगिस्थान सतह से सैकड़ों फीट नीचे है.

इस गांव में कुल 100 लोग ही रहते हैं जो यहाँ के नागरिक कहलाते हैं. हुआकाचाइना गाँव में आपको बहुत सारी दुकानें देखने को मिलेगी, क्योंकि यहां पर्यटकों की संख्या काफी अधिक रहती है.

इस गांव को पर्यटन स्थल के हिसाब से बनाया गया है यहां पर कई विदेशी पर्यटक आते हैं और इस जगह का लुफ्त उठाते हैं. इस गांव में आपको बग्गी राइड से लेकर वोटिंग तक की व्यवस्था मिल जाएँगी.

इस गांव में ज्यादातर रिजॉर्ट्स, रेस्ट्रां और साथ में एक ब्लू गार्डन भी है जो चारों तरफ से रेतीले टीलों से घिरा हुआ है. इस गाँव के लोगों की आय का मुख्य साधन, टूरिस्ट लोगों से आने वाली कमाई से होता है. इस गांव के बीचो बीच यह पानी से भरा तालाब पूरे साल इसी प्रकार से भरा रहता है.

इसके इतिहास की बात की जाए तो यह जगह 1940 में काफी पॉपुलर हुई थीं क्योंकि उस समय यहां के राजा और शेख यहाँ पर आया करते थे. आम जनता के लिए इस जगह का उपयोग 1990 के बाद से शुरू किया गया था. अब इस जगह को सांस्कृतिक विरासत स्थल (Cultural Heritage Site) के रूप में भी देखा जा सकता है. आपको इस जगह का चित्र पेरू की करेंसी पर भी देखने को मिलता है.

महासागरों के बारे में रोचक जानकारी..!!!

हम धरती के केवल एक तिहाई हिस्से में ही रहते हैं, पृथ्वी के बाकी हिस्से पर पानी यानी महासागर हैं. पृथ्वी पूरे सौरमंडल में एकमात्र ग्रह है, जहां पर महासागर पाए जाते हैं. समुद्र के बारे में तो सब ने पढ़ा ही होगा, लेकिन आज हम इस लेख में आपको समुद्र के बारे में ऐसे तथ्य बताने जा रहे हैं जो शायद ही कहीं पढ़े हो. आइये जाने समुद्र के बारे में कुछ रोचक और दिलचस्प जानकारी :-

  1. अटलांटिक महासागर को अंध महासागर के नाम से भी जाना जाता है. इस महासागर का नाम ग्रीक संस्कृति से लिया गया है जिसमें इसे नक्शे का समुद्र भी बोला जाता है.
  2. दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा महासागर प्रशांत महासागर है.
  3. समुद्र के वैज्ञानिक अध्ययन को समुद्र-विज्ञान (oceanography) कहते हैं. समुद्र-विज्ञान की शुरुआत कप्तान जेम्स कुक द्वारा 1768 और 1779 के की गयीं थी.
  4. समुद्र पृथ्वी की सतह के 70 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है.
  5. समुद्र के पानी में सोडियम क्लोराइड की मात्रा अधिक होने के कारण इसका स्वाद नमकीन या खारा हो जाता हैं.
  6. हिन्दू शास्त्रों में समुद्र को 7 भागों में बांटा गया है-
1. लवण का सागर, 2. इक्षुरस का सागर,
3. सुरा का सागर, 4. घृत का सागर,
5. दधि का सागर, 6. क्षीर का सागर
7. मीठे जल का सागर.
    1. वैज्ञानिकों की माने तो समुद्र का जन्म आज से लगभग 100 करोड़ वर्ष पहले हुआ होगा.
    2. क्या आपको है कि समुद्र में इतना नमक मौजूद है कि अगर कभी समुद्र का पानी सूख जाए तो धरती पर कम से कम 500 फीट मोटी नमक की परत फैलाई जा सकती है.
    3. हिंद महासागर का पानी कभी कभी इतना गर्म होता हैं कि वह 36 डिग्री तक को छू लेता है.
    4. सुनामी शब्द जापानी भाषा से लिया गया है. जिसका अर्थ ‘ऊँची समुद्री लहरें’ होता है.
    5. संयुक्त राज्य अमेरिका का पचास प्रतिशत भाग महासागर के नीचे स्थित है.
    6. अटलांटिक समुद्र में एक ऐसी जगह है जिसे बरमूडा त्रिभुज कहा जाता है और यह त्रिकोण उत्तर पश्चिम अटलांटिक महासागर का एक क्षेत्र है.
    7. वैज्ञानिक सिद्धांत के अनुसार, पृथ्वी में जीवन की उत्पत्ति सबसे पहले महासागर में ही हुई थी.
    8. समुद्र के एक लीटर पानी के 13 मिलियन हिस्से में एक ग्राम सोना होता है.
    9. अटलांटिक महासागर की कुछ ऐसी वनस्पतियां है जो कि खुद से चमकती हैं, क्योंकि यहां तो सूर्य की रोशनी नहीं पहुंचती है.
    10. विश्व में प्रमुख पांच महासागर हैं, जिनके नाम इस प्रकार हैं :-
# नाम क्षेत्रफल (हजार वर्ग कि.मी) अधिकतम गहराई (मीटर में)
1. प्रशांत महासागर (Pacific ocean) 1,65,384 11,033
2. अटलांटिक महासागर (Atlantic Ocean) 82,217 9,200
3. हिन्द महासागर (Indian Ocean) 73,481 8,047
4. आर्कटिक महासागर (Arctic Ocean) 14,057 5,450
5. भूमध्य सागर (Mediterranean Sea) 2,505 4,846

दुनिया के 10 सबसे खतरनाक खेलों के बारे में!

खेल-कूद शरीर के लिए सबसे अच्छा व्यायाम माना जाता है. खेल-कूद व्यायाम के साथ साथ मनोंरजन का भी एक अच्छा साधन है. लेकिन बहुत से लोग इन खेलों को शौक के लिए खेलते हैं. अगर इन खेलों में पैसे को जोड़ दे तो इन खेलों को पेशे के तौर पर खेला जाता है. लेकिन कुछ लोग ऐसे खेलों में ज्यादा शौक़ रखते हैं जिनमें जोखिम हो. आइए जानें दुनिया के कुछ ऐसे खतरनाक खेलों के बारे में ……………

बुलफाइटिंग

बुलफाइटिंग को दुनिया का सबसे खतरनाक और हिंसक खेल माना जाता है. इस खेल में सांड को शराब पिलाई जाती है और उसके शरीर को जगह-जगह से काट दिया जाता है जिससे वो पागल हो जाता है. फिर एक खिलाडी सांड का मुकाबला करने के लिए मैदान में उतरता है. यह खेल अब तक कई लोगों की जान ले चुका हैं. बुलफाइटिंग खेल अधिकतर स्पेन और उसके आस-पास के देशों में खेला जाता है.

बेस जंपिंग

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बेस जंपिंग एक बेहद रोमांचक खेल है जिसमें व्यक्ति किसी ऊंचे भवन, एंटेना व् पहाड़ों से नीचे कूदता है और गिरने से बचने के लिए पैराशूट का प्रयोग करता है. इस खेल में खिलाडी को ऊँचे पर्वत की चोटी या ऊँची बिल्डिंग से छलांग लगानी होती है. यह खेल सबसे खतरनाक खेलों में शुमार है और कई देशों ने तो इसके ऊपर प्रतिबंध भी लगाया हुआ है जिसमे अमेरिका भी शामिल है. लेकिन कुछ लोग अवैध तरीके से यह खेल खेलते हैं.

कैल्सियो स्टोरिको

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कैल्सियो स्टोरिको खेल रग्बी, फुटबॉल और पहलवानी को मिक्स करके बनाया गया एक खतरनाक खेल है. इसके बारे में लोग बहुत ही कम जानते है क्योंकि यह खेल लोकप्रिय नही है. यह एक पुराना ग्रीक-रोमन खेल है जिसमें कुल 27 खिलाड़ी होते हैं. गेंद को छिनने के लिए खिलाड़ी एक दूसरे से खूब मारपीट करते हैं. कभी-कभी यह खेल इतना हिंसक हो जाता है कि किसी की जान तक चली जाती है.

पर्वतारोहण

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पर्वतारोहण, दुनिया के सबसे खतरनाक खेलों में से एक माना जाता है जिसमे किसी को यह पता नही होता की अगले ही पल क्या हो जाए. ऊँचे-ऊँचे पहाडों पर चढ़ना कोई आसन काम नही होता है. इसमे बहुत से जोखिम होते हैं. जैसे कि पहाड़ों पर चड़ते हुए पैर फिसलना, रस्सी का टूटना, बीच रास्ते में फँस जाना आदि. इस खेल में जोखिम होने के बावजूद भी लोग ऐसे काम करते हैं.

हर्लिंग

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हर्लिंग नामक खेल की शुरुआत आयरलैंड से हुई थी. यह खेल यूरोपीय देशों में काफी लोकप्रिय है. इस खेल को फुटबॉल और हॉकी का सम्मिश्रण कहा जाता है. हर्लिंग में खिलाड़ी कोई सुरक्षित हेलमेटकपड़ो का उपयोग नही करते है जिसकी वजह से खिलाड़ी हमेशा खतरे मे रहते हैं.

सर्फिंग

surfing

सर्फिंग पानी में खेला जाने वाला शायद सबसे रोमांचक खेल है जिसमे पहले खिलाड़ी को खुद ही सर्फिंग बोर्ड के साथ तैरते हुए बड़ी लहरों तक जाना पड़ता है जो कम से कम 20 फीट ऊँची हो. वैसे सर्फिंग का सबसे बड़ा रिकॉर्ड 100 फीट ऊँची लहरों पर सर्फिंग करने का है, जिसका इनाम एक लाख डॉलर तक होता है. इस खेल में जितना पैसा मिलता है, उतना ही इस खेल में रिस्क भी है. ऊँची लहरों में सर्फर का बैलेंस कभी भी बिगड़ सकता है और वह डूब सकता है या लहरों के साथ बह सकता है.

बॉक्सिंग

boxing

इस खेल में लगातार पडऩे वाले मुक्के कईयों की जान तक ले लेते हैं. कई जगह जहां पैसों की बोलियां लगती हैं वहाँ मुक्केबाज हेलमेटग्लव्स के बिना खेलते हैं. जहां पैसे लगे हों वहाँ यह खेल खासा हिंसक हो जाता है. और यहाँ तक की लोगों की जान भी चली जाती है.

हेली स्कीइंग

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हेली स्कीइंग में खिलाडी हेलीकाप्टर की सहायता से स्कीइंग करता है, जिसमे हेलीकाप्टर खिलाड़ी से एक निश्चित दूरी पर रहता है और उसकी हवा की सहायता से खिलाडी तेजी से स्कीइंग करता है. इस खेल के दीवाने प्रतिबर्ष इसके ऊपर एक किताब लिखते हैं जिसमे इस खेल के बारे में टिप्स दिए होते हैं. कुछ ऐसी संस्थाए भी है जो अमेरिकी सरकार से प्रमाणित है और इस खेल को ऑर्गनाइज कराती है. यह खेल बहुत ही जोखिम भरा है जैसे कि अचानक मौसम बदलना, हिमस्खलन से मौत और हेलीकाप्टर की चपेट में आ जाना आदि.

आइस हॉकी

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आइस हॉकी या बर्फ हॉकी, बर्फ पर खेला जाने वाला खेल है. यह खेल कनाडा एवं संयुक्त राज्य अमेरिका में खेला जाता है. इस खेल में चोट लगने की भारी संभावनाए होती हैं. खिलाड़ी इतनी तेज गति से आगे-पीछे बढ़ते है कि दुर्घटनाएं होना स्वाभाविक है. साथ ही इन मुकाबलों में खिलाडिय़ों का आपस में लड़ जाना तो दूसरी ही कहानी बयान करता है.

मिक्सड मार्शल आर्ट (Mixed Martial Arts)

मिक्सड मार्शल आर्ट एक ऐसा खतरनाक खेल है जिसमें सभी प्रकार के मार्शल आर्ट तकनीकों का प्रयोग किया जाता है. मिक्सड मार्शल आर्ट खेल अमरीका, ब्राजील व् जापान जैसे देशों में बहुत लोकप्रिय है. यह खेल अब तक कई लोगों की जान ले चुका हैं.

भारत के 5 सबसे अमीर मंदिर, तस्वीरों सहित

भारत के हर कोने में आपको मंदिर देखने को मिलेगे और हर मंदिर में आपको भक्तों की भीड़ नजर आएगी. देश के हर मंदिर में भक्तों द्वारा किए गए खुले मन से दान से मंदिरों की संपत्ति अरबों-खरबों में हैं. आज हम इस लेख में भारत के 5 सबसे अमीर मंदिरों की सूची लेकर आए हैं.

पद्मनाभ स्वामी मंदिर, त्रिवेंद्र

भारत के सबसे अमीर मंदिर का नाम पद्मनाभ स्वामी मंदिर हैं. यह मंदिर केरल प्रान्त की राजधानी तिरुवनन्तपुरम (त्रिवेन्द्रम) शहर के बीच स्थित है. पद्मनाभ स्वामी मंदिर प्राचीन और द्रविड़ शैली में बनाया गया है. इस मंदिर की देखभाल त्रावणकोर के पूर्व शाही परिवार द्वारा की जाती है. तथा ऐसा माना जाता है कि पद्मनाभ स्वामी मंदिर की कुल संपत्ति एक लाख करो़ड है. मंदिर के बीच में भगवान विष्णु की सुंदर व विशाल मूर्ति रखी गई है जिसे देखने के लिए हजारों की संख्या में भक्त दूर दूर से यहां आते हैं. ऐसा माना जाता है कि तिरुवनंतपुरम नाम भगवान के अनंत नामक नाग के नाम पर रखा गया है और भगवान विष्णु की विश्राम अवस्था को पद्मनाभ कहा जाता है.

तिरुपति बालाजी का मंदिर,आंध्र प्रदेश

तिरुपति वेन्कटेशवर मन्दिर, आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित एक प्रसिद्ध हिन्दू मन्दिर है. तिरुपति भारत के सबसे प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में से एक है. तिरुपति मंदिर, दक्षिण भारतीय वास्तुकला और शिल्पकला का अद्भुत उदाहरण है. इस तिरुपति मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर जी निवास करते है जो कि भगवान विष्णु जी का अवतार माना जाता है. तिरुपति मंदिर समुद्र तल से 2800 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और यह मंदिर सात पहाड़ों से मिलकर बने तिरूमाला के पहाड़ों पर स्थित है. तिरूमाला की पहाड़ी विश्व की दूसरी सबसे प्राचीन पहाड़ी मानी जाती है. इस मंदिर में लगभग 50,000 श्रद्धालु रोज दर्शन करने आते हैं और इस मंदिर की कुल संपत्ति लगभग 50,000 करोड़ बताई जाती है.

श्री जगन्नाथ मंदिर, पुरी

श्री जगन्नाथ मंदिर, भारत के उड़ीसा राज्य के तटवर्ती शहर पुरी में स्थित है. यह मंदिर एक हिन्दू मंदिर व् जगन्नाथ यानि श्री कृष्ण को समर्पित है. श्री जगन्नाथ मंदिर को हिन्दुओं के चार धाम में से एक माना जाता है. जगन्नाथ शब्द का अर्थ जगत के स्वामी होता है. श्री जगन्नाथ मंदिर लगभग 4,00,000 वर्ग फुट में फैला है. श्री जगन्नाथ मंदिर भारत को भारत के 5 अमीर मंदिरों में से एक माना जाता है. भक्तों द्वारा चढ़ाए गए दान को मंदिर की व्यवस्था और सामाजिक कामों में खर्च किया जाता है.

साईं बाबा मंदिर, शिरडी

आज से करीब 70 साल पहले बनवाया शिरडी साई बाबा मंदिर एक प्रसिद्ध स्थान है लो कि 1.5 एकड़ में फैला हुआ है. यह मंदिर सबसे बड़े साई बाबा मंदिरों में एक माना गया है. साईं बाबा एक भारतीय गुरु, योगी और फकीर थे, उन्हें उनके भक्तों द्वारा संत कहा जाता है. सांई बाबा मंदिर भारत के अमीर मंदिरों में से एक माना जाता है.  साई बाबा मंदिर की संपत्ति और आय दोनों ही करोड़ों में है और मंदिर के पास लगभग करोड़ों का सोना और चांदी हैं. मंदिर में हर साल लगभग 350 करोड़ का दान भक्तों द्वारा चढ़ाया जाता है.

सिद्धिविनायक मंदिर, मुंबई

सिद्धिविनायक मंदिर, मुंबई के प्रभादेवी में स्थित सबसे पूजनीय मंदिरों में से एक है. यह मंदिर भगवान गणेश को समर्पित है. इस मंदिर का निर्माण 1801 में विट्ठु और देउबाई पाटिल ने किया था. इस मंदिर में गणपति का दर्शन करने सभी धर्म, जाति और समुदाय के लोग आते हैं. सिद्धिविनायक मंदिर की महिमा अपरंपार है, वेभक्तों की मनोकामनाओं को तुरंत पूरा करते हैं. सिद्धिविनायक मंदिर भारत के अमीर मंदिरों में से एक माना जाता है. इस मंदिर की वार्षिक आय 46 करोड़ रुपये हैं.

भारत की 5 महान यूनिवर्सिटीज जो विश्व पर करती थी राज!!

वर्तमान में भारत में शिक्षा-व्यवस्थाप्रणाली के अवमूल्यन और इसमें फैले भ्रष्टाचार को देखते हुए इसमें कोई अचरज नहीं कि विश्व के शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों यानी यूनिवर्सिटीज में भारत की एक भी यूनिवर्सिटी शामिल नहीं है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि विश्व का सबसे पहला विश्वविद्यालय भारत में ही था. वैदिक काल से ही भारत में गुरुकुल और आश्रम की परंपरा थी जिसके तहत इन केन्द्रों में शिक्षा दी जाती थी. यहाँ तक कि भारत  8वीं शताब्दी से लेकर 12वीं शताब्दी तक विश्व में शिक्षा का सबसे प्रसिद्ध केंद्र था. आज हम ऐसे ही प्राचीन विश्वविद्यालयों की बात करेंगे जो कि उस समय शिक्षा के मंदिर थे. अफ़सोस कि अब यह सब इतिहास की बातें हैं.

नालंदा

नालंदा विश्वविद्यालयप्राचीन काल में नालंदा यूनिवर्सिटी भारत ही नहीं बल्कि विश्व में उच्च शिक्षा का सबसे प्रसिद्ध और प्रमुख केन्द्र हुआ करता था. यह वर्तमान बिहार राज्य के पटना शहर से 88.5 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व और राजगीर से 11.5 किलोमीटर में स्थित था. भारत घूमने आए चीनी यात्री ह्वेनसांग और इत्सिंग की यात्रा-वृतांत और संस्मरणों से इस विश्वविद्यालय का पता चला था. ऐसा माना जाता है कि इस विश्वविद्यालय में एक साथ लगभग दस हज़ार छात्रों को पढ़ाया जाता था और इसमें कम से कम दो हज़ार शिक्षक थे. नालंदा विश्वविद्यालय में न केवल भारत के बल्कि पूरी दुनिया से जैसे इंडोनेशिया, फारस, तुर्की, कोरिया, जापान, चीन, तिब्बत आदि देशों के विद्यार्थी पढने आते थे. नालंदा यूनिवर्सिटी में कम से कम 300 कमरे और विद्यार्थियों और शिक्षकों के अध्ययन के लिए नौ मंजिला विशालकाय पुस्तकालय भी था जिसमें लाखों पुस्तकें थी. इस विश्वविद्यालय की स्थापना गुप्त शासक कुमारगुप्त प्रथम ने 450-470 इस्वी के दौरान की थी.

तक्षशिला

तक्षशिला विश्वविद्यालयतक्षशिला विश्वविद्यालय की स्थापना 2700 वर्ष पहले हुई थी. यहाँ में दुनिया के विभिन्न देशों के लगभग दस हज़ार पांच सौ विद्यार्थी पढ़ते थे. ऐसा माना जाता है कि यहाँ का अनुशासन बहुत ही सख्त था और सभी को एक ही नजरिये से देखा जाता है, फिर चाहे विद्यार्थी राजा की संतान हो या सामान्य नागरिक. तक्षशिला में मुख्यतः राजनीति और शस्त्र विद्या की शिक्षा दी जाती थी.

तक्षशिला के एक शस्त्रविद्यालय में विभिन्न राज्यों के 103 राजकुमार पढ़ते थे. विधिशास्त्र और आयुर्वेद के इसमें विशेष वर्ग थे। कोसलराज प्रसेनजित, मल्ल सरदार बंधुल, लिच्छवि महालि, शल्यक जीवक और लुटेरे अंगुलिमाल के अलावा नीतिशास्त्र के महान ज्ञाता चाणक्य और संस्कृति के प्रकांड विद्वान् पाणिनि जैसे लोग यहीं पढ़े थे। कुछ इतिहासकारों के अनुसार तक्षशिला विश्विद्यालय नालंदा विश्वविद्यालय की तरह भव्य नहीं था। इसमें अलग-2 छोटे-2 गुरुकुल होते थे। इन गुरुकुलों में व्यक्तिगत रूप से विभिन्न विषयों के आचार्य विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान करते थे।

विक्रमशिला

vikramashila-universityविक्रमशिला विश्वविद्यालय बिहार राज्य के भागलपुर जिले में स्थित था. इस की स्थापना 775-800 ई में पाल वंश के राजा धर्मपाल ने की थी. 8वीं शताब्दी से 12वीं शताब्दी के अंत तक यह यूनिवर्सिटी नालंदा यूनिवर्सिटी की प्रतिद्वंद्वी मानी जाती था. विक्रमशिला विश्वविद्यालय तंत्र शास्त्र की पढ़ाई के लिए जाना जाता था. ऐसा माना जाता है कि विक्रमशिला में 1,000 विद्यार्थियों को कम से कम 100 अध्यापक पढ़ाते थे.

वल्लभी

valabhi-universityवल्लभी विश्वविद्यालय की स्थापना लगभग 470 ई. में मैत्रक वंश के संस्थापक सेनापति भट्टारक ने की थी. यह विश्वविद्यालय 6वीं से लेकर 12वीं शताब्दी तक दुनिया का सबसे अच्छा विश्वविद्यालय माना जाता था. यह शिक्षा-केंद्र गुणमति और स्थिरमति नाम की विद्याओं के साथ साथ धर्मनिरपेक्ष विषयों का मुख्य केन्द्र माना जाता था. इस खासियत के कारण पूरी दुनिया से विद्यार्थी यहां पढ़ने आते थे.

उदांतपुरी विश्वविद्यालय

odantapuriउदांतपुरी वर्तमान बिहार में स्थापित किया गया था। इसकी स्थापना पाल वंश के राजाओं ने की थी। आठवीं शताब्दी के अंत से 12वीं शताब्दी मतलब लगभग 400 सालों तक इसका विकास चरम पर था। इस विश्वविद्यालय में लगभग 12000 विद्यार्थी थे।

वीडियो: सबसे लम्बी जीभ का विश्व रिकॉर्ड

संयुक्त राज्य अमेरिका के कैलिफोर्निया के चौबीस वर्षीय निक स्टोबर्ल को सबसे लम्बी जीभ के लिए विश्व रिकॉर्ड मिला है. हास्य कलाकार निक जिनकी सुपर साइज जीभ का नाप 10.1 सेंटीमीटर है को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स 2015 किताब के नवीनतम अंक में जगह मिली है. निक का  पिता “चुंबन का एक बहुत बड़ा प्रशंसक था”. निक अभिनेता “जिनी सीमन्स” के कुख्यात जीभ एक्ट की नकल करते थे. बाद में उन्हें महसूस हुआ कि उनकी जीभ बाकी लोगों से काफी लम्बी है.

वीडियो: इशारों से कंप्यूटर को करें कंट्रोल

क्या आपने कभी सोचा था की आप कंप्यूटर को बिना छुएं उस पर काम कर सकते है. ‘लीप मोशन कंट्रोलर’  ने आपका काम कंप्यूटर पर और भी आसान कर दिया हैं. यह कंट्रोलर आपके कंप्यूटर के माउस से अधिक सटीक है, यह आपके कीबोर्ड की तरह भरोसेमंद है और आपके कंप्यूटर की टच स्क्रीन से भी ज्यादा संवेदनशील है.