डब्लू डब्लू ई से जुड़े कुछ रोचक तथ्य!!!

डब्लू डब्लू ई को रेसलिंग का महाकुंभ माना जाता है। इस खेल में दुनिया भर के रेसलर्स शामिल होते हैं। डब्लू डब्लू ई में आपको रोमांच, फाइट और एंटरटेनमेंट सब कुछ देखने को मिलता है।

क्या आपको पता है कि डब्लू डब्लू ई की शुरुआत 1952 में दो पहलवान टूट्स मॉन्ड्ट और जेस मैकमहोन ने की थी और इसका नाम कैपिटल रेसलिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड (Capitol Wrestling Corporation Ltd.) रखा गया था।

आइए जानें डब्लू डब्लू ई के कुछ रोचक तथ्यों के बारे में …

  • इसका पूरा नाम वर्ल्ड रेसलिंग एनटरटेनमेन्ट, इंक (World Wrestling Entertainment, Inc.) है।
  • WWE का मुख्यालय ईस्ट मेन स्ट्रीट स्टैमफोर्ड (East Main Street Stamford,) अमेरिका में है।
  • इसका पहला टीवी प्रसारण सन 1970 में शुरू किया गया था।
  • WWE एक पब्लिकली ट्रेडेड कंपनी है।
  • विंस मैकमहोन (Vince McMahon) WWE के CEO है और कंपनी में करीब 52 फीसदी हिस्सेदारी है।
  • आप सब ने  रिंग के नीचे रखें हथियारों को देखा ही होगा जिन्हें रेसलर इस्तेमाल करते हैं। इन हथियारों में से अधिकतर हथियार असली होते हैं. जैसे कि स्टील चेयर, हथौड़ा, सीढ़ी इत्यादि।
  • WWE वर्ल्ड हेवीवेट चैंपियनशिप का टाइटल 1963 मे बनाया गया था। ब्रूनो समार्टीनो एक मात्र ऐसे रेसलर है जिनके पास यह चैंपियनशिप सात वर्ष से भी अधिक समय तक रही थी।BrunoSeasonParade
  • WWE में कुछ मूव्स बैन हो गए हैं। जैसे कि कुर्सी का सिर में मारना इत्यादि।
  • WWE के नियम के मुताबिक फाइट के दौरान रेसलर की कभी भी पिटाई हो सकती है इसलिए उसे और भी चौकन्ना रहना पड़ता है।
  • डब्लू डब्लू ई को पहले WWF के नाम से जाना जाता था। लेकिन 2002 में इसका नाम बदलकर WWE रखा गया था।
  • डब्लू डब्लू ई के अंतर्राष्ट्रीय कार्यालय (International Office) लंदन और टोरंटो दोनों स्थानों पर हैं।
  • क्या आपको पता है कि WWE के रिंग के नीचे माइक लगाया जाता है ताकि रेसलर्स की आवाज़ सुनाई दी जाए।
  • WWE यूनाइटेड स्टेटस्‌ चैंपियनशिप का निर्माण सन् 1975 में किया गया था।

डब्ल्यूडब्ल्यूई में शीर्ष 10 सबसे अमीर रेसलरों की सूची:

रेसलर मिलियन
1. रॉक (The Rock) 125 मिलियन
2. जॉन सीना (John Cena) 35 मिलियन
3. ट्रिपल एच (Triple H ) 25 मिलियन
4. कर्ट एंगल (Kurt Angle) 20 मिलियन
5. अंडरटेकर(Undertaker) 18 मिलियन
6. रैंडी ऑर्टन(Randy Orton) 15 मिलियन
7. बिग शो (Big Show) 13 मिलियन
8. शेमस (Sheamus) 12 मिलियन
9. डोल्फ ज़िग्गलर (Dolph Ziggler) 9 मिलियन
10. रे मिस्टेरियो (Rey Mysterio) 7.5 मिलियन

जतिंगा वैली में पक्षियों द्वारा ‘आत्महत्या’ करने का रहस्य!!

पिछले लेख में हमने बताया था कि असम की जतिंगा वैली हर साल बड़े पैमाने पर पक्षी ‘आत्महत्या’ करते हैं. अब इस लेख में पढ़ें इसके पीछे के संभावित कारण.

वैज्ञानिक अध्ययनों और प्रयोगों के बाद यह निष्कर्ष निकला है कि पक्षी आमतौर पर यहाँ की गहरी धुंध या कोहरे से विचलित हो जाते हैं और वे गांव की रोशनी की तरफ आकर्षित होते हैं और बदहवासी में रोशनी की तरफ उड़ते हैं. रोशनी की तरफ उड़ते समय वह पेड़ों, कंटीली झाडियों और रास्ते में आने वाली किसी भी चीज़ से टकरा जाते हैं. जिसके कारण कुछ पक्षी मर जाते हैं, जबकि अन्य गंभीर रूप से घायल होते हैं.

अध्ययन से यह भी पता चला है कि पक्षी केवल गांव के उत्तरी छोर से ही आते हैं और लगभग 1.5 किलोमीटर लम्बी और 200 मीटर चौड़ी पट्टी में ही इन हादसों का शिकार होते हैं. अध्ययनों दौरान पक्षी गांव के दक्षिणी किनारे में रखी गयी रोशनी की तरफ आकर्षित नहीं हुए.

मरने वाले पक्षियों में स्थानीय और प्रवासी पक्षियों की लगभग 40 प्रजातियां शामिल हैं और उनमें से अधिकांश पक्षी पास की घाटियों और पहाड़ी ढलानों से आते हैं. इनमें किंगफिशर (Kingfishers), ब्लैक बिटन (Black Bitterns), टाइगर बिटर्न्स (Tiger Bitterns) और पॉन्ड हेरस (Pond Herons) आदि पक्षी शामिल हैं.

यदि दूसरे वैज्ञानिकों के अध्ययन पर नजर डालें तो लगता है कि ज्यादातर आत्मघाती पक्षी मानसून के मौसम में अपने प्राकृतिक आवासों को खो देते हैं इसलिए वे आवास की तलाश में जतिंगा वैली में आते हैं. लेकिन अभी भी रहस्य बना हुआ है कि आखिरकार ये पक्षी रात में उड़ते ही क्यों हैं? और वे हर साल एक ही स्थान पर क्यों इन हादसों का शिकार हो जाते हैं?

प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी अनवरुद्दीन चौधरी का मानना है कि, “सही-सही कहें तो यह आत्महत्या नहीं है. लेकिन यह बात भी सच है कि यहाँ पर पक्षी रौशनी की तरफ आकर्षित हो रहे हैं. यह बात पक्षी विज्ञान के लिहाज से बहुत ही अजीब है.”

भारत के सबसे प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी दिवंगत सलीम अली भी इस घटना से चकित थे. “मेरे लिए सबसे अजीब चीज़ यह है कि पक्षियों की इतनी सारी प्रजातियां उस समय उड़ रही होती हैं जिस समय उन्हें गहरी नींद में होना चाहिए। इस समस्या का विभिन्न कोणों से गहरा वैज्ञानिक अध्ययन किये जाने की जरुरत है“, उन्होंने लिखा था।

स्थानीय लोगों का कहना है कि आत्महत्या की पहली बार ऐसी घटना 1900 के दशक में हुयी थी, जिसने गांव वासियों को बुरी तरह डरा दिया था. इसकी वजह से उन्होंने अपनी जमीन जतियंज (Jaintias) को बेची और 1905 में जगह छोड़ दी थी. जब फिर से Jaintias लोग इस जगह पर बसे तो उन्होंने इसे भगवान द्वारा दिया गया उपहार मान लिया.

आखिर हो भी क्यों नहीं. इस घटना ने गाँव को देश-विदेश में प्रसिद्ध कर दिया है. दुनिया भर के वन्य-जीव विज्ञानी, शौधकर्ता और टूरिस्ट इस घटना का गवाह बनने और खोज करने के लिए यहाँ आते हैं. मानसून के महीनों के दौरान भारी संख्या में पर्यटक यहाँ आते हैं. ये पक्षी खाने में स्वादिष्ट होते हैं और लोग इनके विभिन्न व्यंजनों का लुत्फ़ उठाते हैं. हर साल लोग पक्षियों को आकर्षित करने और उन्हें पकड़ने के लिए घरों की रौशनी और लालटेन आदि का प्रयोग करते है.

जिला प्रशासन ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पक्षी आत्महत्या के समय एक त्योहार आयोजित किया जाता है, जिसे जतिंगा महोत्सव कहा जाता है. जतिना महोत्सव सबसे पहले 2010 में आयोजित किया गया था.

 

रहस्यमयी जतिंगा वैली, जहाँ पक्षी करते हैं सुसाइड!!

दुनिया में बहुत सी चीजें ऐसी हैं जो अभी तक वैज्ञानिकों के लिए रहस्य बनी हुई हैं. ऐसी ही एक जगह दक्षिणी आसाम के दीमा हसाओ जिले में स्थित है. इस जगह को जतिंगा वैली (Jatinga Valley) के नाम से जाना जाता है. जतिंगा गांव में सितंबर और अक्टूबर के दौरान हर साल बड़े पैमाने पर पक्षी ‘आत्महत्या’ करते हैं.

जतिंगा वैली

सितंबर और अक्टूबर के महीनों में कृष्ण पक्ष (Second and darker fortnight) की रातों में जतिंगा वैली में यह अजीबोगरीब हादसे बहुत अधिक बढ़ जाते हैं. इन दिनों में यहाँ शाम के समय गहरी धुंध रहती है और साथ ही तेज हवाएं चलती हैं.

पक्षियों द्वारा आत्महत्या करने की  ये घटनाएं अधिकतर शाम 7 बजे से रात 10 बजे की बीच होती हैं. अचानक आसमान से पक्षी कीट पतंगों की तरह गिरते हैं और धरती में मौजूद विभिन्न चीज़ों से टकरा कर मर जाते हैं या बुरी तरह घायल हो जाते हैं जिन्हें पकड़ कर ग्रामीण पका कर खा लेते हैं.

क्या है जतिंगा वैली का रहस्य?

पक्षियों के इस तरह से आत्महत्या करने पर या शायद मरने पर वैज्ञानिक अलग-अलग तर्क देते हैं, लेकिन इस घटना की  असली वजह का पता अभी तक नहीं लग पाया है.

कुछ लोग मानते हैं कि तेज हवाओं से पक्ष‌ियों का संतुलन ब‌िगड़ जाता है और वह आसपास मौजूद पेडों से टकराकर मर जाते हैं. मरने वाले पक्षियों में स्थानीय और प्रवासी चिड़ियों की लगभग 40 प्रजातियां शामिल हैं.

जतिंगा वैली में पक्ष‌ियों के आत्महत्या का रहस्य क्या है इस बात को लेकर स्थानीय लोगों में कई तरह की बातें प्रचलित है. स्थानीय लोगों का मानना है कि यह भूत-प्रेत और अदृश्य ताकतों का काम है.

चाहे जो भी बात हो लेक‌िन अभी भी जतिंगा वैली में हो रही पक्ष‌ियों की आत्म हत्या, दुन‌िया भर में रहस्य बनी हुई हैं.

आगे पढ़ें >> क्या है पक्षियों द्वारा ‘आत्महत्या’ करने का रहस्य??

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फ़्रांस के हाईवे पर बिना सवार के दौड़ी ‘भुतहा’ बाइक!

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फ्रांस की एक घटना है जिसे देखकर आप भी हैरान रह जायेंगे. यह घटना देखकर लोगों को समझ ही नहीं आया कि यह हो क्या रहा है। एक फ्रेंच न्यूज पेपर Le Parisien ने अपने फेसबुक पेज में अपने आप चल रही हर्ले डेविडसन मोटरसाइकिल का वीडियो शेयर किया है। इस बाइक के मालिक ने बताया कि यह घटना तब हुई जब वह हाइवे पर कहीं जा रहा था। अचानक एक कार ने उसे टक्कर मार दी।

उसके बाद क्या हुआ, देख कर आप भी दंग रह जायेंगे… देखिये वीडिओ:

इस मोटरसाइकिल के मालिक ने बाद में फ्रेंच अख़बार से इंटरव्यू में कहा कि टक्कर लगने से वह बाइक से गिर गया. अस्पताल जाने से पहले उनसे बाइक को ढूँढने की कोशिश की लेकिन वह कहीं नज़र नहीं आई. हुआ यह कि उसकी बाइक 600 मीटर तक अपने आप ही दौड़ती चली गई और गिर गयी। उस ने कहा कि वह खुद भी हैरान है कि ऐसा कैसे हो सकता है।

मोटरसाइकिल से स्टंट करने के लिए मशहूर जेन पेरी ने बताया कि ऐसा तो सोचा भी नहीं जा सकता है कि एक मोटरसाइकिल 600 मीटर तक बिना किसी राइडर के भागते हुए चली जाए।

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जब नन्हे ‘ट्यूबलाइट’ स्टार Matin ने की पत्रकार की बोलती बंद!

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Matin

“Tubelight” फिल्म की प्रमोशन में मातिन रे तान्गु (Matin Rey Tangu) को Introduce करवाया गया. रिलीज़ से 4 दिन पहले ये फ़िल्ममेकर्स का मास्टर स्ट्रोक था.

मातिन, अरुणाचल प्रदेश की राजधानी इटानगर के रहने वाले हैं और उन्हें अब तक सिर्फ़ फ़िल्म के ट्रेलर में ही देखा गया था. लेकिन उन्हें सोमवार को हुई प्रेस मीट में दर्शकों और पत्रकारों के बीच Introduce करवाया गया.

फ़िल्म के प्रमोशन में सबकुछ ठीक चल रहा था, लेकिन एक पत्रकार ने मातिन से एक बेहूदा और Racist प्रश्न पूछ डाला. पत्रकार को लगा कि मातिन चीन से हैं, ज़ाहिर सी बात है कि पत्रकार बिना तैयारी के ही आ गईं थीं.

जब पत्रकार ने मातिन (Matin) से पूछा, ‘क्या आप पहली बार भारत आए हैं?’

मातिन को शायद प्रश्न ठीक से समझ नहीं आया था, फिर मातिन ने दुबारा प्रश्न दोहराने को कहा तो सलमान ने प्रश्न को दोहराया. इसके बाद मातिन ने जो जवाब दिया उसने सबका दिल जीत लिया.

मातिन ने मुस्कुराते हुए कहा,

‘हम इंडिया पर ही बैठता है, तो इंडिया पर आएगा ही कैसे?’  🙂

मातिन के कहने का मतलब ये था कि जब मैं भारत में ही रहता हूँ तो भारत में आने का सवाल ही पैदा नहीं होता.

मातिन के इस जवाब से उस पत्रकार को समझ तो आ ही गई होगी. Matin ने अपनी Cuteness और हाज़िरजवाबी से सबका दिल जीत लिया.

जानिये, कैसे आपके बच्चे के लिए हानिकारक है स्मार्टफोन!

हानिकारकअक्सर यह देखा गया है कि छोटी उम्र के बच्चों का मन बहलाने के लिए माँ-बाप उन्हें स्मार्टफोन* खेलने के लिए दे देते हैं. यदि आपके साथ भी ऐसा ही है तो सतर्क हो जाइए क्योंकि ऐसा करना आपके बच्चे की सेहत के लिए बहुत ही ज्यादा हानिकारक है. रिसर्च से भी इस बात की पुष्टि हुई है कि बच्चों को स्मार्टफोन का अधिक उपयोग करने देना उतना ही खतरनाक है जितना ड्रग्स जैसी नशीली चीजों का सेवन करवाना.

बच्चों पर स्मार्टफोन के हानिकारक प्रभाव

  • कैंसर का खतरा – बच्चों की त्वचा, हड्डियाँ, खोपड़ी की हड्डी, टिश्यू आदि कोमल(soft) होते हैं इसलिये मोबाइल से निकलने वाली रेडियो फ्रीक्वेंसी बच्चों में व्यस्कों की अपेक्षा 60 प्रतिशत अधिक असर करती है. ऐसे में उनका तेजी विकसित हो रहा स्नायु तंत्र (nervous system) कैंसर पैदा करने वाले कारकों के लिए उपयुक्त माहौल बना देता है.
  • दिमागी क्षमता – वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि केवल दो मिनट मोबाइल फोन पर बात करने से बच्चे के दिमाग की फैसला लेने की क्षमता एक घंटे तक सुस्त पड़ जाती है. मोबाइल से निकलने वाली रेडियो तरंगें केवल कान के पास ही नहीं बल्कि दिमाग के अंदरूनी हिस्से तक असर करती है. दिमाग की यह गड़बड़ बच्चे की सुनने की क्षमता के साथ-२ बच्चे के व्यवहार में असामान्य बदलाव कर सकती है. इससे बच्चे की सीखने की क्षमता प्रभावित होती है.
  • अन्य बीमारियाँ – स्मार्टफोन से निकलने वाली हानिकारक किरणें छोटे बच्चों में सिरदर्द और अन्य दूसरे प्रकार की दिमागी परेशानीयों के लिए जिम्मेदार हैं. स्मार्टफोन का अधिक इस्तेमाल करने से बच्चों में अनिद्रा की समस्या पैदा होती है.
    हानिकारकबाद में यह भी पढ़ें: सावधान! संभलकर उपयोग करें मोबाइल फ़ोन (नए पेज पर खुलेगी)
  • शारीरिक विकास में बाधा – रिसर्च में यह बात भी सामने आई है कि फोन का अधिक इस्तेमाल करने से बच्चों का शारीरिक गतिविधियों (physical activities) में कम ध्यान रहता है जिसके कारण उनका शारीरिक विकास पूरी तरह नहीं हो होता है. इसके कारण बच्चों में मोटापे की समस्या भी हो सकती है.
  • डिप्रेशन और पढाई में पिछड़ना – रिसर्च में पाया गया कि जो बच्चे स्मार्टफोन के साथ खेलते हैं वो अपने माँ-बाप, परिवार वालों से या अपने रिश्तेदारों के साथ बहुत ही कम बात करते हैं या कम समय बिताते हैं. इससे उनमें सामाजिक और व्यावहारिक ज्ञान की कमी रह जाती और आगे चल कर वे अकेलेपन और डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं. फोन पर अधिक टाइम बिताने के कारण वे पढाई में भी पिछड़ जाते हैं.
  • आंखों पर कुप्रभाव – स्मार्टफोन की रंगीन और अधिक रोशनी वाली स्क्रीन  बच्चों की आंखों पर काफी बुरा प्रभाव डालती है. इसके चलते भविष्य में उन्हें आँखों से संबधित गंभीर बीमारियों, यहाँ तक कि अंधेपन का शिकार भी होना पड़ सकता है.

मोबाइल फोन का वैसे तो आम व्यक्ति पर भी ठीक वैसा ही प्रभाव पड़ता है जैसा एक बच्चे पर पड़ता है, लेकिन बच्चों में यह प्रभाव एक व्यस्क व्यक्ति के मुकाबले ज्यादा असरदार और नुकसानदायक होता है. इसलिए सभी स्मार्टफोन यूजर्स से निवेदन है कि स्मार्टफ़ोन का कम उपयोग करें और बच्चों को भी इससे दूर रखें. आगे पढ़ें कि मोबाइल से निकलने वाली फ्रीक्वेंसी से हम कैसे बच सकते हैं.

* यह जानकारी स्मार्टफोन और मोबाइल फोन दोनों तरह के फोंस पर समान रूप से लागू होती है.

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जब रजनीकांत को असली भीख में मिले दस रुपये!

रजनीकांत के किस्से अपने आप में अद्भुत होते हैं. एक बस कंडक्टर का अभिनय जगत की बुलंदियों को छूना अपने आप में एक महान गाथा की तरह है. रजनीकांत से  जुड़े हुए ढेरों रोचक और प्रचलित किस्से हैं.  ऐसा ही एक  किस्सा सन 2015 का है जब उनकी चर्चित शिवाजी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट हुई थी.

फिल्म के सफल होने के कुछ दिन बाद रजनीकांत एक मंदिर में गये. वे हमेशा की तरह साधारण कपड़ों में थे. मंदिर में माथा टेकने के बाद वे कुछ देर विश्राम करने के लिए मंदिर के प्रांगण में एक खंबे के नीचे बैठे हुए थे जब यह किस्सा हुआ.

लगभग 35-36 साल की एक औरत आई जो रजनीकांत को इस साधारण रूप में नहीं पहचानती थी. उन के साधारण कपड़ों और रंग-रूप को देखकर उस औरत ने उन्हें भिखारी समझ लिया और उनको दस रुपए दान करने चाहे. रजनीकांत पहले तो थोड़ा चौंकें लेकिन फिर शीघ्र ही स्थिति को समझ गये और उन्होंने मुस्कुराते हुए 10 रुपये ले लिए.

संयोंग से कुछ देर बाद उस औरत ने  रजनीकांत को लोगों की भीड़ के बीच अपनी पॉर्श कार में बैठते हुए देखा. कुछ ही क्षण में वह सारा माजरा समझ गयी.  वह दौड़ कर रजनीकांत के पास गयी और अपनी भूल के लिए माफ़ी मांगी. साथ ही औरत रजनीकांत को दिए हुए अपने दस रुपए वापिस मांगे.

लेकिन उन्होंने बड़ी विनम्रता से कहा कि आपका मुझे दस रुपए देना एक तरह से परमात्मा के आशीर्वाद की तरह है. उसने मुझे एक बार फिर से यह एहसास कराया कि उसके लिए मैं एक सुपर-स्टार नहीं बल्कि आज भी एक साधारण आदमी ही हूँ. उसने आज फिर यह शिक्षा दी कि आप कितने भी अमीर हो जायें लेकिन आप परमात्मा के द्वार में आकर आप एक भिखारी की तरह हैं. औरत से याचना करके उन्होंने वह 10 रुपए परमात्मा का आशीर्वाद समझ कर रख लिए.

इस महान कलाकार का यह विनम्र व्यवहार  उस औरत के साथ-2 वहां मौजूद कर हर किसी की आँख को नम कर गया. लोगों की नज़रों में इस साधारण से दिखने वाले उनके देव-तुल्य और पूज्य सुपर-स्टार की कद्र और भी बढ़ गयी.

मरने से पहले अपनी मालकिन की जान बचा गई भैंस

आपने कुत्ते और घोड़े जैसे जानवरों की वफादारी और इनके द्वारा अपने मालिक की जान बचाए जाने की बातें सुनी होंगी. लेकिन क्या कभी सुना है कि एक भैंस की वजह से उसके मालिक या मालकिन की जान बच गयी?

सुनने में थोड़ा अजीब लगता है लेकिन हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के एक गाँव में एक भैंस के कारण उसकी मालकिन की जान बच गयी. मगर अफसोस! खुद भैंस मौत के मुंह में चली गयी.

दरअसल कांगड़ा के प्रसिद्ध धार्मिक स्थान और मंदिर चामुंडा देवी के साथ लगते एक गांव में मंगलवार को आंधी के कारण बिजली का खंबा टूटने से तार नीचे गिर गए थे। इसका पता किसी को नहीं चल सका। बारिश के कारण गीली हुई जमीन पर भी करंट आ गया था।

भैंस बिजली के खंबों को मजबूती देने के लिए लगाई गई स्टे वायर के साथ खुद को रगड़कर खुजाने लगी। इस तार में करंट था और भैंस उससे चिपक गई। हाई वोल्टेज करंट की चपेट में आने से भैंस तड़पने लगी। भैंस की मालकिन ने भैंस को तड़पते देखा तो बिना कुछ सोचे समझे वह भी भैस की तरफ जाने लगी। जैसे ही उसने भैस को हाथ लगाया वह भी करंट की वजह से भैंस के साथ चिपक गईं।

इन हालात में बचने की उम्मीद न के बराबर थी मगर तड़प रही भैंस के शरीर में हलचल हुई और उसकी एक जोरदार लात महिला को लगी। लात पड़ते ही जगदंबा देवी नाम की यह महिला छिटककर दूर खेत में जा गिरीं। उनकी जान तो बच गई मगर भैस वहीं मर गई।

 

 

तांबे के बर्तन में पानी पीने के आजमाए हुए फायदे!

तांबे के बर्तन में पानी रखना एक प्राकृतिक शुद्धि प्रक्रिया बनाता है. तांबा यानी कॉपर (copper), आपके शरीर में कॉपर की कमी को पूरा करता है और बीमारी पैदा करने वाले बैक्टीरिया से सुरक्षा देता है. अगर आप रात को तांबे के जग में पानी रख दें और सुबह इस पानी को पिएं तो अनेक फायदे होते हैं.

आयुर्वेद में कहा गया है कि यह पानी शरीर के कई दोषों को शांत करता है. इस पानी से शरीर के जहरीले तत्व भी बाहर निकल जाते हैं. आज हम इस लेख में उन चमत्कारी फायदों के बारें में बात करेंगे जो आपकी सेहत के लिए बहुत जरूरी है.

  1. तांबे के बर्तन में कम से कम 8 घंटे तक रखा हुआ पानी ही लाभकारी होता है.
  2. तांबे के बर्तन में पानी पीने से कैंसर की शुरुआत को रोका जा सकता है.
  3. पेट की सभी समस्याओं के लिए तांबे का पानी बेहद फायदेमंद होता है. प्रतिदिन इसका उपयोग करने से पेट दर्द, गैस, एसिडिटी और कब्ज जैसी परेशानियों से निजात मिल सकती है.
  4. तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से त्वचा पर किसी प्रकार की समस्याएं नहीं होती. यह फोड़े-फिंसी और त्वचा संबंधी अन्य रोगों को पनपने नहीं देता जिससे आपकी त्वचा साफ और चमकदार दिखाई देती है.
  5. शरीर की आंतरिक सफाई के लिए तांबे का पानी कारगर होता है. इसके अलावा यह लिवर और किडनी को स्वस्थ रखता है और किसी भी प्रकार के इन्फेक्शन से निपटने में तांबे के बर्तन में रखा पानी लाभदायक होता है.
  6. स्किन को हेल्दी बनाना चाहते हैं तो तांबे के बर्तन में रातभर पानी रखें और सुबह उस पानी को पी लें. नियमित रूप से इस नुस्खे को अपनाने से स्किन ग्लोइंग और स्वस्थ लगने लगेगी.
  7. थायराइड एक्सपर्ट मानते है कि कॉपर के स्पर्श वाला पानी शरीर में थायरेक्सीन हार्मोन को बैलेंस कर देता है. तांबे के बर्तन में रखे पानी को पीने से रोग नियंत्रित हो जाता है.
  8. आप जानते हैं कि अगर आप तांबे के बर्तन में जल को रखकर पिएं तो इससे त्वचा का ढीलापन आदि दूर हो जाता है. डेड स्किन भी निकल जाती है और चेहरा हमेशा चमकता हुआ दिखाई देता है.
  9. तांबे के किसी बर्तन में रखे हुए जल को पीने से पूरे शरीर में रक्त का संचार बेहतरीन रहता है. कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल में रहता है और दिल की बीमारियां दूर रहती हैं.
  10. अगर कोई भी व्यक्ति वजन घटाना चाहता है तो एक्सरसाइज के साथ ही उसे तांबे के बर्तन में रखा हुआ पानी पीना चाहिए. इस पानी को पीने से बॉडी का एक्स्ट्रा फैट कम हो जाता है और शरीर में कोई कमी या कमजोरी भी नहीं आती.

इन तस्वीरों को देखकर आप भी कहेंगे, ‘बेकार’ चीज़ें कभी बेकार नहीं होतीं!!

पिछले दिनों हमने अपने भारतीय पाठकों के लिए एक पोस्ट अपलोड की थी, जुगाड़ में हमारा कोई जबाव नहीं! उस पोस्ट में कुछ मनोरंजक(funny) और दुर्लभ(rare) तस्वीरों के साथ हमने बताया था कि भारतीय कितने जुगाडू हैं और हर चीज़ का जुगाड़ ढूंढ ही लेते हैं (पढ़ें पोस्ट). अब यह नई पोस्ट कबाड़ को innovative तरीके से ठिकाने लगाने के बारे में है.

हमारे घरों में कई बार ऐसा सामान होता है, जिसे हम कबाड़ समझकर फेंक देते हैं. लेकिन कुछ लोग थोड़ी मेहनत, लगन और रचनात्मकता (creativity) से घर में रखे बेकार सामान को कुछ ऐसी उपयोगी चीज़ों में बदल देते हैं कि देखने वाले दांतों तले उँगलियाँ दबा लेते हैं. कुछ ऐसी ही क्रिएटविटी नीचे देखें इन तस्वीरों में.

पुराने टायर्स का इस्तेमाल करके इन जनाब ने कुर्सियां और टेबल बना डाले! हैं न कमाल की बात?

पुराने कपड़ों का इस्तेमाल सिरहाना (Pillow) बनाने या भरने के लिए किया जा सकता है.

टूटे हुए गमलों का इससे बेहतरीन उपयोग आपने शायद ही पहले कहीं देखा होगा!

कप के हैंडल को इन जनाब ने Polymer Clay के साथ जोड़ कर सुंदर डिजाईन का रूप दे दिया.

अब गाड़ी में डेंट या स्क्रैच होने पर घबराने की जरुरत नहीं है. बस थोड़ी सी क्रिएटिविटी और डिजाईन स्केचिंग की जरुरत है.

इस आपकी दाहिनी तरफ की फोटो को देख कर कोई कह सकता है की आपका सोफ़ा फट गया या पुराना हो गया है?

दीवारों की दरारों को छुपाने का सबसे सही तरीका तो यही है. इसे देखकर अब आप भी अपने घरों में दरारें ढूँढने लगेंगे. करना तो मत ही!! 😉

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