भारत के कुछ रहस्यमयी पर्यटन स्थल

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भारत में बहुत से रहस्यमयी पर्यटन स्थल है.हमने अक्सर लोगों को यह कहते सुना है कि भारत रहस्यों का देश है. हमारे पास आपके लिए इसका जवाब है! हाँ ! भारत वास्तव में अपने सबसे विचित्र स्थानों में गहरे गहरे रहस्य दफन किए हुए है, जो कि लोगों को चौंका देते हैं जब वे उनके बारे में जानते हैं. हमने भारत के उन रहस्यमय स्थानों में से कुछ सूचीबद्ध किए हैं जो आपको इस आश्चर्यजनक देश के अद्भुत चमत्कारों के बारे में बताते हैं।

नीला कुरिंजी फूल, मुन्नार (केरल)

कई अदभुतप्राकृतिक नज़रों की भूमि केरल में एक अदभुत नज़ारा है यहाँ 12 वर्षों में एक बार खिलने वाला नीलाकुरिंजी फूल. वनस्पति विज्ञानी इन फूलों को “स्ट्रोबिलान्थिस कुन्थिएनम” भी कहते है क्योंकि ये सिर्फ 12 वर्ष बाद ही खिलते है वह भी मुन्नार के पर्वतों पर.यह अगस्त से उगने शुरू होते है और अक्टूबर तक खिलते रहते है. नीलाकुरिंजी फूलों के मध्य खड़े होने का अनुभव बहुत निराला होता है. अधिकतर प्रयटक वर्ष के इस समय के दौरान ही वहां जाते है ताकि यह अदभुत नज़ारा देख सकें

चुम्बकीय पर्वत, लदाख (जम्मू कश्मीर)

कल्पना करें कि जब अपकी कार पूरी तरह बंद हो तब भी यह पर्वत के ऊपर की और जाती हो, जी हाँ समुद्र तल से 11 हज़ार फुट की ऊंचाई पर लदाख में एक चुम्बकीय पर्वत स्थित है जो एक कार को तब भी अपने ऊपर की और खींचता है जब कार बंद हो यानी इसका इंजन ऑफ हो. यह सभी पर्यटकों  के लिए एक रोमांचक अनुभव है और लेह के रास्ते में अवश्य देखा जाने वाला अदभुत अविश्वसनीय नज़ारा.

उड़ता पत्थर, शिवपुर (महाराष्ट्र)

हजरत कमर अली दरवेश पुणे में स्थित दरगाह है, जिसके साथ एक जादुई कथा जुडी हुई है. ऐसा माना जाता है कि लगभग 800 वर्ष पहले यह दरगाह एक व्यायामशाला हुआ करती थी और कमर अली नामक सूफी संत का यहाँ मौजूद पहलवानों ने मजाक उड़ाया था. इससे हताश होकर कमर अली ने पहलवानों द्वारा बॉडी बिल्डिंग के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पत्थरों पर जादू कर दिया. आज भी यहाँ 70 किलोग्राम वजनी एक चट्टान को 11 उँगलियों के स्पर्श तथा उस संत का नाम ऊँची आवाज़ में उच्चारण करके उठाया जाता है.

पक्षियों की सामूहिक आत्महत्या, जतिंगा (असम)

जतिंगा का प्राचीन नगर असम के बोरेल पर्वतों में स्थित है. प्रत्येक मानसून से यह नगर एक सर्वाधिक असामान्य परिदृश्य का गवाह बनता है. सितम्बर-अक्टूबर के आसपास विशेष काली अँधेरी रातों में सैंकड़ों की संख्या में प्रवासी पक्षी भवनों की ओर उड़ान भरते है और उनसे टकरा कर मर जाते है.यह रहस्य अब तक अनसुलझा है.

लोनार क्रेटर झील, महाराष्ट्र

1.8 किलोमीटर ब्यास और 150 मीटर की गहराई वाली यह क्रेटर झील 50 हज़ार वर्ष पूर्व उस समय बनी थी जब इस क्षेत्र में एक क्षुद्र ग्रह टकराया था जिसे अब दक्षिणी पठार भी कहा जाता है. ट्रैकिंग के शौक़ीन लोगों के लिए यह एक लोकप्रिय डेस्टिनेशन है जो औरंगाबाद से 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

कंकालों की झील-रूपकुंड झील, चमोली (उत्तराखंड)

रूपकुंड झील हिमालय के एक निर्जन हिस्से में 16500 फुट की ऊंचाई पर स्थित है. यह झील हिम से ढंकी रहती है और इसके आसपास चट्टानी ग्लेशियर स्थित है.इस स्थान के बारे में सर्वाधिक रहस्यमई बात यह है कि यहाँ पर 600 मानवीय कंकाल मिले थे. इनका संबंध 9 ईस्वी से माना जाता था.जब हिम पिघलती है झील के संकरे तल में से ये कंकाल दिखाई देने लगते है.

तैरते द्वीप, लोकटक झील(मणिपुर)

मणिपुर की लोकटक झील को विश्व की एकमात्र तैरती झील कहा जाता है.यह भारत की सर्वाधिक असामान्य जगहों में से एक है. इस झील में वनस्पति के बड़े बड़े पुंज है जो शानदार ढंग से गोलाकार है और सतह पर तैरते है. इन्हें फुमडी के नाम से जाना जाता है. तैरने वाली चीज़ें वनस्पति, मिट्टी तथा जैविक पदार्थों के झुंड है. इनमे से कुछ द्वीप इतने बड़े है कि उन पर रेसोर्ट्स तक बनाए गए है.

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क्या जिंदा होंगे मैमथ 21वीं सदी में

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मैमथ एक विशालकाय हाथी सदृश जीव था जो अब विलुप्त हो चुका है। यह साइबेरिया के टुंड्रा प्रदेश में बर्फ में दबे एक हाथी का नाम है, जो अब विलुप्त हो चुका है, परन्तु बर्फ के कारण जिसका संपूर्ण मृत शरीर आज भी सुरक्षित मिला है। आकार में मैमथ वर्तमान हाथियों के ही बराबर होते थे, परंतु कई गुणों में उनसे भिन्न थे।

विश्व भर में देखी गई ब्लॉकबस्टर फिल्म “द जुरासिक पार्क” में पत्थरों में बने कीटों से निकाले गए. डी.एन.ए. द्वारा वैज्ञानिकों ने डायनासोरों के क्लोन को तैयार किया था.खैर वह तो एक काल्पनिक फिल्म थी परंतु कुछ इसी तरह की तकनीक को हार्वर्ड के वैज्ञानिक हकीक़त में बदलने के प्रयास कर रहे है.

उनके प्रयास सफल रहे तो इस तकनीक के बूते अपने अस्तित्व के खात्मे के 4000 वर्षों बाद प्राचीन हाथी यानी वूल्ली मैमथ एक बार फिर 21वीं सदी में जिंदा हो सकते है. हार्वर्ड के वैज्ञानिकों की एक टीम गत दो वर्षों से एक डी.एन.ए. एडिटिंग तकनीक पर काम कर रही है ताकि प्राचीन हाथियों का निर्माण किया जा सके.

इस टीम का लक्ष्य एक ऐसा हाईब्रिड भ्रूण तैयार करना है जो इन प्राचीन मैमथ और आधुनिक हाथियों के डी.एन.ए. से तैयार हो सके.वैज्ञानिकों का दावा है की वे सफलता के बेहद करीब है और अगले दो वर्षों में वे इस भ्रूण को बनाने में कामयाब होंगे.

इसके बाद इस भ्रूण को किसी असली हाथी के अंदर सुरक्षित रखा जाएगा या फिर किसी कृत्रिम कोख में रखा जाएगा. हालाँकि, इसे हाथी की कोख में रखना एक तरह से क्रूरता होगा इसलिए अधिक सम्भावना है कि कृत्रिम कोख का ही इस्तेमाल होगा

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मज़दूर का जीनियस बेटा-करोरों की संख्या को करता है सेकंड में गुणा

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12वर्षीय जीनियस चिराग राठी को जब 42,225 को 645 से गुणा करने को कहा जाता है तो इसका सही सही उतर’27235125′ बताने में उसे मुश्किल से आधा सेकंड लगता है. वह बड़े से बड़ा गुणा और भाग बिना कॉपी पेन के सेकंडों में कर लेता है. 20 करोड़ तक अंकों को जमा,घटा तथा गुणा करने की चिराग की क्षमता जिले में करामाती बच्चे के रूप में मशहूर हो चुके इस छात्र के शिक्षकों के दावे को पुख्ता करती है. इतना ही नहीं,चिराग इतना जीनियस है की उसे 20 करोड़ तक का पहाडा याद है.चिराग जब क्लास चार में था तब उसकी उम्र सिर्फ 8 साल थी तब उसे 300 तक का टेबल याद था.

गणित के अध्यापक ने उसकी प्रतिभा को पहचाना और रोज़ उसे ज्यादा से ज्यादा पहाड़े याद करने को देते रहे. आज इस मेधावी छात्र को 20 करोड़ तक का पहाडा याद है.चिराग के एक शिक्षक का कहना है,”चिराग और बच्चों से थोडा अलग है.हर काम को वह तुरंत कर लेता है. गुणा,भाग वह कुछ ही पलों में हल करलेता है. उसकी यह प्रतिभा इश्वर का वरदान है.”

एक मजदूर के बेटे चिराग की इस अप्रत्याशित प्रतिभा को देख कर उसके स्कूल प्रशासन ने उसके साथ एक शिक्षक की विशेष ड्यूटी लगाई है जो 12वीं कक्षा तक गणित की उसकी तैयारी करवाने में मदद कर रहा है. चिराग को अपनी उम्र से बड़ी कक्षा के विषयों की तैयारी करने में भी कोई दिक्कत नहीं है.लाखों और करोड़ की संख्याओं को जमा करने में उसे और भी कम वक़्त लगता है.

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कोई दीवाना कहता है…….Dr. Kumar Vishvas

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Dr. Kumar Vishvas एक ऐसा नाम है जिससे हम कई रूपों से जानते है, कोई इन्हें कवि के तौर पर जानता है तो कोई पॉलिटिशियन के रूप में जानता है.कुमार विश्वास हिन्दी के एक अग्रणी कवि तथा सामाजिक-राजनैतिक कार्यकर्ता हैं. कुमार विश्वास का जन्म 10 फ़रवरी 1970 को  Gaziabad, Uttar Pradesh में हुआ था. चार भाईयों और एक बहन में सबसे छोटे कुमार विश्वास ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा लाला गंगा सहाय विद्यालय, पिलखुआ से प्राप्त की. उनके पिता डॉ॰ चन्द्रपाल शर्मा, आर एस एस डिग्री कॉलेज में प्रवक्ता थे. उनकी माता श्रीमती रमा शर्मा गृहिणी हैं. राजपूताना रेजिमेंट इंटर कॉलेज से बारहवीं में उनके उत्तीर्ण होने के बाद उनके पिता उन्हें इंजीनियर बनाना चाहते थे. डॉ. कुमार विश्वास का मन मशीनों की पढ़ाई में नहीं लगा और उन्होंने बीच में ही वह पढ़ाई छोड़ दी. उन्होंने स्नातक और फिर हिन्दी साहित्य में पोस्टग्रेजुएट किया, जिसमें उन्होंने स्वर्ण-पदक प्राप्त किया. तत्पश्चात उन्होंने “कौरवी लोकगीतों में लोकचेतना” विषय पर पीएचडी की. उनके इस शोध-कार्य को 2001 में पुरस्कृत भी किया गया. आईये आज हम आपको  Dr. kumar vishvas की बहुत चर्चित कविता बताते है.

कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है !
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है !!
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ , तू मुझसे दूर कैसी है !
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है !!

मोहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है !
कभी कबिरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है !!
यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं !
जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है !!

समंदर पीर का अन्दर है, लेकिन रो नही सकता !
यह आँसू प्यार का मोती है, इसको खो नही सकता !!
मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना, मगर सुन ले !
जो मेरा हो नही पाया, वो तेरा हो नही सकता !!

भ्रमर कोई कुमुदुनी पर मचल बैठा तो हंगामा!
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा!!
अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का!
मैं किस्से को हकीक़त में बदल बैठा तो हंगामा!!

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Dr. Kumar Vishvas

दूध से है एलर्जी तो कैल्शियम की कमी पूरी करेंगे ये आहार

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हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए शरीर में कैल्शियम पूरा होना बहुत जरूरी होता है. दूध इस कैल्शियम की कमी को पूरा करता है लेकिन कुछ लोगों को दूध से एलर्जी होती है. दूध और इससे बनी चीजों से परहेज करने से कैल्शियम की कमी हो जाती है, जिससे सेहत संबंधी बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. आप भी इस तरह की परेशानी से जूझ रहे हैं तो कैल्शियम से भरपूर दूसरी चीजों का सेवन कर सकते हैं। जिनसे कैल्शियम की कमी पूरी हो जाएगी.

  1. सोया मिल्क
    सोया मिल्क में कैल्शियम और न्यूट्रिशियंस भरपूर मात्रा में होता है. इसे रोजाना दूध की तरह पिया जा सकता हैं. डेयरी प्रॉडक्ट की तरह इसका पनीर, दही बनाकर अपनी डाइट में शामिल किया जा सकता हैं.
  2. रॉगी
    यह कैल्शियम और फाइबर का बहुत अच्छा स्त्रोत है. इसमें चावल से भी ज्यादा कैल्शियम होता है। इसे खाने से दूध की कमी पूरी हो जाती है. इसे डोसा,इडली के अलावा दूसरे आहारों के साथ मिलाकर भी खाया जा सकता है.
  3. लोबिया
    लोबिया को रौंगी के नाम से भी जाना जाता है. इसे सब्जी, सूप या सलाद के रूप में भी खा सकते हैं. दूध की तरह इसमें भी कैल्शियम भरपूर मात्र में पाया जाता है.
  4. संतरे का जूस
    संतरे में विटामिन सी के साथ कैल्शियम भी होता है. इसी लिए आप नाश्ते में दूध की जगह पर संतरे का जूस पी सकते हैं.
  5. अंजीर
    अंजीर एक फ्रूट है,जिसे सूखाकर ड्राइ फ्रूट की तरह भी इस्तेमाल किया जाता है. यह हड्डियों की मजबूती प्रदान करती हैं. कैल्शियम, आयरन के अलावा इसमें और भी जरूरी पोषक तत्व शामिल होते हैं, यह पाचन क्रिया दुरूस्त रखने में भी मददगार है.
  6. नॉन डेरी मिल्क                                                                                                              इन दिनों नॉन डेरी मिल्क बहुत प्रचलित है. नॉन डेरी मिल्क जैसे की बादाम,नारियल और चावल का मिल्क.  इसका एक गिलास आपको गाय के दूध की तुलना में बराबर स्तर का कैल्शियम देगा. दूध का यह एक अच्छा विकल्प हैं.
  7. टोफू                                                                                                                           टोफू को सोया दूध से प्रोटीन निकाल के बनाया जाता है. शाकाहारियों लोगों में  यह बहुत लोकप्रिय है , इसकी मांस से तुलना की जाती है. टोफू के साथ, आप कैल्शियम और प्रोटीन प्राप्त कर रहे हैं.
  8. पालक                                                                                                                         पालक एक आश्चर्यजनक कैल्शियम पैक है. यह एक सब्जी के रूप में खाई जाती है. इसे अकेले या पनीर या दाल के साथ खाया जा सकता है.पालक में एक सामान्य कैल्शियम सामग्री होती है जो ऑक्सलेट से प्रभावित हो सकती है.
  9. ओकरा (भिण्डी)                                                                                                             ओकरा में फाइबर अधिक होता और कैलोरी कम है, कैल्शियम सहित बहुत सारे विटामिन और खनिजों का पैक है ओकरा. भिण्डी एक सब्जी है. इसका वृक्ष लगभग १ मीटर लम्बा होता है. बनारस में इसे ‘राम तरोई’ कहते हैं और छत्तीसगढ़ में इसे ‘रामकलीय’ कहते हैं.
  10. बादाम                                                                                                                         बादाम में कैल्शियम भरपूर मात्रा में होता है. कैल्शियम हड्डियों के लिए जरूरी होता है. इसलिए बादाम का सेवन करने वालों को हड्डियों की बीमारी यानी ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा कम होता है.बादाम में प्रोटीन, वसा, विटामिन और मिनेरल पर्याप्त मात्रा में होते हैं, इसलिए यह स्वास्‍थ्‍य के लिए तो अच्छा है ही, त्वचा के लिए भी अच्छा है.

जानिये, आप पर क्या असर पड़ेगा 2018 के पहले चंद्रग्रहण का

31 जनवरी, सन 2018, दिन बुधवार, माघ पूर्णिमा के दिन सायंकाल से सारे भारतवर्ष में चंद्रग्रहण दिखाई देगा. इस ग्रहण की आकृति सारे भारत में देखी जाएगी. यह ग्रहण मिजोरम, अरुणाचल-प्रदेश, आसाम, सिक्किम, मेघालय, पूर्वी पश्चिम बंगाल में चन्द्रोदय के बाद आरम्भ होगा. भारत के अन्य भागों में इस ग्रहण का आरंभ चन्द्रोदय से पहले ही हो जाएगा, इसका अर्थ है कि वहाँ जब चन्द्र उदय होगा तो ग्रहण शुरु हो चुका होगा.

भारत के अलावा यह ग्रहण उत्तरी अमेरीका, उत्तरी-पूर्वी दक्षिणी अमेरीका में चन्द्र अस्त के साथ ही समाप्त हो जाएगा. जबकि उत्तरी पूर्वी यूरोप, एशिया, हिन्द महासागर में चन्द्रोदय के समय यह ग्रहण प्रारम्भ होगा.अॉस्ट्रेलिया तथा न्यूजीलैण्ड में यह चंद्रग्रहण प्रारंभ से समाप्ति काल तक पूर्ण रुप में दृश्य होगा. इस दिन चंद्रमा तीन रंगों में दिखाई देगा. 35 सालों बाद ऐसा हो रहा है.

चंद्रग्रह कब होता है:- 

चंद्रग्रहण तब होता है जब सूर्य और चांद के बीच में धरती आ जाती है। इसके बाद पृथ्वी की वजह से चांद पर पड़ने वाली सूरज की किरणें रुक जाती हैं। इसी को चंद्रग्रहण कहते हैं।

चंद्रग्रहण का समय:

चन्द्र ग्रहण की अवधि कुल 3 घंटे 23 मिनट की होगी। पूर्णिमा तिथि होने के कारण भगवान शिव और भगवान विष्णु की उपासना के लिए सुबह 8:28 तक का समय सही माना जा रहा है।

चंद्रग्रहण का समय – 05:58:00 से  08:41:10 तक
चंद्रग्रहण की अवधि  – 2 घंटे  43 मिनट 10 सेकंड
सूतक काल प्रारंभ – प्रातः 07:07:21 AM
सूतक काल की समाप्ति – रात्रि 08:41:10 PM

चंद्रग्रहण का राशियों पर असर:-

मेष:-

नौकरी और व्यवसाय में सफलता मिलेगी. कार्यस्थल पर आपकी मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी. आजीविका से जुड़े सभी क्षेत्रों में लाभ की प्राप्ति होगी. स्वास्थ्य का ध्यान रखें. संपत्ति सम्बन्धी समस्याएं हो सकती हैं.ग्रहणकाल में शिव जी की उपासना करें.

वृषभ:-

करियर में बदलाव के योग हैं. नौकरी और व्यापार में उन्नति होगी. निर्णयों में सावधानी रखें. अचानक धन लाभ होने की संभावना. ग्रहणकाल में कृष्ण जी की उपासना करें.

मिथुन:-

धन हानि हो सकती है. सेहत का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि मानसिक अवसाद के शिकार हो सकते हैं. आंखों और कान नाक गले का ध्यान रखें. ग्रहणकाल में बजरंग बाण का पाठ करें.

कर्क:-

दुर्घटनाओं और शल्य चिकित्सा के योग. शारीरिक कष्ट से समस्या हो सकती है. वाहन सावधानी से चलाएं. मुकदमेबाज़ी और विवादों से बचें. ग्रहणकाल में चन्द्रमा के मंत्र का जाप करें.

सिंह:-

धन हानि होने की संभावना है. आँखों की समस्या का ध्यान दें. पारिवारिक विवादों से बचाव करें. ग्रहणकाल में यथाशक्ति हनुमान चालीसा का पाठ करें.

कन्या:-

आकस्मिक धन लाभ हो सकता है. नौकरी के निर्णयों में सावधानी रखें. साहस और परामक्रम में वृद्धि होगी. छोटी दूरी की यात्रा की संभावना है. भाई-बहन अच्छा समय व्यतीत करेंगे. ग्रहणकाल में रामरक्षा स्तोत्र का पाठ करें.

तुला:-

शारीरिक विकारों से परेशानी बढ़ सकती है. किसी बात का भय बना रह सकता है. जीवन में संघर्ष बढ़ेगा. पारिवारिक जीवन में भी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. करियर में अचानक समस्याएं आ सकती हैं किसी दुर्घटना के शिकार हो सकते हैं. ग्रहणकाल में दुर्गा कवच का पाठ करें.

वृश्चिक:-

प्रेम संबंधों में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. पढ़ाई-लिखाई में अड़चनें आ सकती हैं. अपयश और विवाद की संभावना बन सकती है. मूत्र विकार और धन हानि से बचाव करें. ग्रहणकाल के दौरान हनुमान चालीसा का पाठ करें.

धनु:-

नौकरी और करियर में संकट आ सकता है. विरोधियों से चुनौती मिल सकती है, वे कई तरह की समस्या उत्पन्न करेंगे. आर्थिक जीवन सामान्य रहेगा. धन लाभ के साथ-साथ खर्च भी बढ़ेंगे. किसी कानूनी मामले से परेशानी हो सकती है. वाहन दुर्घटना से बचें. ग्रहणकाल में चन्द्रमा के मंत्र का जाप करें.

मकर:-

जीवनसाथी के साथ रिश्तों का ध्यान दें. कारोबार में धन की बड़ी हानि से बचाव करें. ग्रहणकाल में हनुमान बाहुक का पाठ करें.

कुम्भ:-

करियर में मनचाही सफलता मिल सकती है. सेहत में लापरवाही न करें. ग्रहणकाल में शिव जी की उपासना करें.

मीन:-

अनावश्यक अपयश के शिकार हो सकते हैं. पेट और कारोबार की समस्यायें आ सकती हैं. गर्भवती महिलायें विशेष सावधानी रखें. ग्रहणकाल में श्रीकृष्ण की उपासना करें.

क्या ना करें ग्रहण में:-

  • ग्रहण के समय खाना पकाने और खाने से बचना चाहिए, इतना ही नहीं सोना से भी बचना चाहिए. ऐसा कहा जाता है कि ग्रहण के वक्त सोने से सेहत पर बुरा असर पड़ता है.
  • चंद्र ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को खास ध्यान रखने की जरूरत है. क्योंकि ग्रहण के वक्त वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो कि बच्चे और मां दोनों के लिए हानिकारक मानी जाती है.
  • ग्रहण के समय मूर्ति छूना, भोजन तथा नदी में स्नान करना वर्जित माना जाता है. सूतक काल के समय किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत नहीं करनी चाहिए.
  • इसके अलावा नाख़ून काटना, बात कटवाना, निद्रा मैथुन आदि जैसी गतिविधियों से भी ग्रहण व् सूतक काल के समय परहेज करना चाहिए.

 

“पैड मैन” अक्षय के खुलासे पर स्तब्ध रह गईं महिलायें दर्शक

दो हफ्ते पहले अक्षय कुमार सोनी पर प्रसारित होने वाले कॉमेडी शो द ड्रामा कंपनी में अपनी नयी फिल्म पैड मैन की  प्रमोशन के सिलसिले में आये थे. अक्षय कुमार ने दर्शकों से सवाल पूछा, “आप में से कितनी औरतें जानती हैं कि हिंदुस्तान में कितनी औरतें हैं जो पैड्स का इस्तेमाल नहीं कर पातीं? क्या आप जानतीं हैं” फिर उन्होंने खुद ही जवाब देते हुए कहा, 82%.

यानि अक्षय की माने तो भारत की कुल 59 करोड़ महिलाओं में से 48 करोड़ महिलायें माहवारी के दिनों में पैड्स का इस्तेमाल नहीं कर पाती और अभी भी दूसरे परंपरागत तरीकों और साधनों पर भी निर्भर हैं.

इसके कारणों का उल्लेख करते हुए अक्षय कहते हैं, “किसी के पास पैसे नहीं है, और कोई जानकारी नहीं है. कितनी औरतें हैं जो हाईजीन का ध्यान नहीं रखती (और जल्दी बीमारियों का शिकार हो जाती हैं). भारत में कितनी सारी औरतें हैं जो पीरिअड्स के दौरान मिट्टी का इस्तेमाल करती हैं, पत्तों का इस्तेमाल करती हैं, भूसे का इस्तेमाल करती हैं.. अजीब-2 चीज़ें इस्तेमाल करती हैं”

फिर उन्होंने पैड मैन फिल्म का डायलॉग दोहराया, “If you want to make your country strong, make your women strong.” फिर अक्षय ने भारत के रक्षा बजट का हवाला देते हुए कहा कि ऐसे डिफेन्स का क्या फायदा जहाँ देश की महिलाएं ही सुरक्षित नहीं हैं.

अक्षय ने कहा लोग बातें करते हैं, कि सेनेटरी पैड्स को GST फ्री रखना चाहिए. मैं कहता हूँ, “तेल लेने गया टैक्स फ्री it should be completely free”.

अक्षय कुमार की फिल्म पैड मैन 9 फरवरी 2018 को रीलिज़ हो रही है. यह फिल्म असल जिन्दगी के पैड मैन अरुणाचलम मुरुगनंतम के जीवन पर आधारित है.

ये रही वीडिओ:

https://youtu.be/bn6j8i4bmZc

 

 

खुश रहने के 7 आसान तरीके

खुश कौन नहीं रहना चाहता? दरअसल इस जिन्दगी का तमाम फलसफा ही हमारी खुशियों के पीछे की भागमभाग है. हर कोई अच्छा कमा, खा, पहन और रह रहा है फिर भी खुश नहीं है. दरअसल खुशियों की चाबी धन-दौलत, गाड़ी-बंगला, जमीन-जायदाद में नहीं है. ये तो नकली चाबियाँ हैं जो कभी भी काम करना बंद कर सकती हैं. खुश रहने की असली चाबी तो कुछ और ही है.

दरअसल खुश रहने की असली चाबी कुछ ऐसे अनजाने fundas हैं जिन्हें जान कर और अपना कर हर कोई खुश रहन सीख सकता है.

तो ये रहे खुश रहने के 7 आसान फंडे जिन्हें अपनाना बहुत ही आसान है.

बुरे अतीत यानि past को जाने दें

Past चाहे कितना भी बुरा रहा हो, है तो past ही! हमारे साथ बुरा हुआ या हमने कुछ ऐसा किया जिससे अंतर्मन पर बोझ बन गया. इस सोच और बोझ को अभी झटक दें. इसे ढ़ोने का कोई मतलब नहीं है. किसी और की गलतियों को ढोना तो सरासर बेवकूफी ही है. और अपनी गलतियों को ढ़ोने का मतलब है कि हमने अतीत से कोई सबक नहीं सीखा. तो अभी सही समय है. इस गलती को सुधारें और अपने present को past के काले साए से बचा लें. सच में खुश रहना चाहते हैं तो अतीत को पकड़ कर न बैठें, इसे बस जाने दें.

खुद को दूसरों के नजरिये से न देखें

बाहरी लोग आप के बारे में क्या सोचते हैं इससे आपको कोई लेना-देना नहीं होना चाहिए. न तो आप दूसरों की तरह हैं न ही वे आपकी तरह हैं. खुद को आप ही सबसे बेहतर समझ सकते हैं, न को दूसरे लोग. दूसरों की वजह से खुद को परेशान करना छोड़ दें. दूसरों की टीका-टिप्पणी पर बस मुस्करा दें, और आगे बढ़ जांए. यही सबसे बेहतर तरीका है उन्हें जवाब देने का. यकीन करें. खुश रहने का बहुत ही कारगर तरीका है यह!

समय सारे घाव भर देता है

समय सारे घाव भर देता है. लगभग सारे. फिर वे शारीरिक हों या मानसिक क्या फर्क पड़ता है? जिस तरह से मजबूत शरीर अधिक तेजी से ठीक होता है उसी तरह मजबूत मन विपरीत परिस्थितियों से तेजी से उबरने में मदद करता है. हिम्मत रखें और सब्र करें. सब ठीक हो जाएगा.

कोई आपको इतना खुश नहीं रख सकता जितना आप खुद

आपकी खुशियों का कारण आप और केवल आप ही हैं. कोई आपको इतना खुश नहीं रख सकता जितना आप खुद को रख सकते है. किसी से बहुत ज्यादा उम्मीद न करें. असली ख़ुशी अन्दर ही से आती हैं और कहीं नहीं जाती. बाहरी ख़ुशी अस्थायी (temporary) होती हैं.

खुद को दूसरों से compare न करें

खुद को दूसरों के साथ compare न करें. आप यह बात कभी पूरी तरह से नहीं जान सकते कि अगर वे इस मुकाम पर हैं तो इसके पीछे क्या हालात(circumstance), परिस्थितियां(situation) या क्या भूमिका (background) रही होगी. अपने लिए खुद का तरीका(method) और रास्ता(course) चुने और बस काम पर लग जाएँ.

आप हर चीज़ में परफेक्ट नहीं हो सकते

चीज़ों के बारे में बहुत ज्यादा न सोचें. जितना हो सकता है करें और पूरे तन-मन से करें. कोई भी हर चीज़ में माहिर नहीं हो सकता. जरूरी नहीं कि आपको सब कुछ पता होना चाहिए. जैसे एक डॉक्टर एक इंजीनियर का काम नहीं जानता और एक कृषि वैज्ञानिक एक अर्थशास्त्री नहीं हो सकता उसी तरह हर व्यक्ति हर कुछ नहीं कर सकता. अपना विषय चुने और उसमें बेहतर होने की कोशिश करते रहें.

मुस्कुराने पर कोई टैक्स नहीं है

इस बात को सोचना छोड़ दें कि आप ही सबसे ज्यादा परेशान हैं. जब आप मान लेते हैं कि आप की समस्या सबसे बड़ी है तो यह सचमुच में सबसे बड़ी होती है. वैसे इसके मतलब यह भी होता है कि समस्याओं का सामना करने में आप ही सबसे कमजोर हैं क्योंकि दुनिया में तो बहुत बड़ी-2 समस्याएँ हैं. तो अगली बार आप पर कोई समस्या आन पड़े तो एक सैकंड के लिए रुक कर सोचें, क्या यह दुनिया की सबसे बड़ी समस्या है या आप सबसे कमजोर है? बात समझ में आये तो मुस्कुराना न भूलें. मुस्कुराने पर कोई टैक्स नहीं है 🙂

पोस्ट अच्छी लगे तो शेयर करना न भूलें. आखिर खुश रहने का अधिकार सबको है. हम किसी न किसी रूप में किसी अपने-पराये के काम आ जाएँ तो इससे जो ख़ुशी मिलती है उससे बढ़ कर अन्दर की ख़ुशी कोई नहीं हो सकती. 🙂

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#Republicday2018: राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से नवाजे गए 18 बच्चों की बहादुरी की कहानियां

गणतंत्र दिवस के मौक़े पर इस बार देश के 18 बहादुर बच्चों को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. इन 18 बच्चों में 11 लड़के हैं और 7 लड़कियां हैं. तीन बच्चों को मरणोपरांत ये राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार दिया गया है.

राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार पांच श्रेणियों में दिए जाते हैं, जो इस प्रकार हैं, 1. भारत पुरस्कार, 2. गीता चोपड़ा पुरस्कार, 3. संजय चोपड़ा पुरस्कार, 4. बापू गैधानी पुरस्कार, 5. सामान्य राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार

नाजिया: बच्ची जो जुए-सट्टे के अवैध व्यवसाय के खिलाफ खड़ी हुई

आगरा के मंटोला की रहने वाली 16 साल की नाज़िया को अवैध जुए और सट्टेबाज़ी के अड्डों को बंद कराने के लिए सबसे ऊंचा राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार भारत अवार्ड दिया गया है. नाजिया ने जुए और सट्टे के अवैध व्यवसाय के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने अपने घर के पड़ोस में कई दशकों से चल रहे जुए और सट्टे के अवैध व्यवसाय के खिलाफ आवाज उठाई और भयावह अंजाम की संभावना का निर्भय होकर सामना किया। उन्हें धमकियां भी मिलीं. इसके बावजूद उन्होंने सबूत जुटाए और 13 जुलाई 2016 को पुलिस के सामने पूरा मामले का खुलासा किया।

नाजिया की शिकायत के बाद पुलिस ने कार्रवाई की जिसमें 4 लोगों की गिरफ्तारी हुई और सट्टे का अवैध व्यवसाय बंद हो गया। इस पूरे घटनाक्रम के बाद नाजिया का घर से निकलना मुश्किल हो गया। उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों को मामले की जानकारी दी, लेकिन उत्पीड़न जारी रहा। आखिर में उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री से मदद मांगी। जिसके बाद बदमाशों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई। साथ ही नाजिया की सुरक्षा भी सुनिश्चित की गई। नाज़िया ने लड़की होते हुए अद्वितीय पराक्रम से दूसरों के लिए आवाज उठाई और एक दुर्लभ मिसाल पेश की।

करनबीर सिंह: नाले में गिरी स्कूल बस, 15 बच्चों को बचाया

पंजाब के करनबीर सिंह ने स्कूल बस के नाले में गिर जाने पर अपनी जान की परवाह किए बगैर करीब 15 बच्चों को बचाया, इसके लिए उन्हें संजय चोपड़ा अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। करनबीर सिंह की उम्र महज 16 साल और 4 महीने थी, जब उन्होंने बहादुरी का यह काम किया। पूरा मामला 20 सितम्बर, 2016 का है जब कुछ बच्चे अपनी स्कूल की बस में वापिस लौट रहे थे। अटारी गाँव के पास एक पुल को पार करते समय, बस दीवार से टकराकर नाले में जा गिरी। बस में पानी भर गया और बच्चों का दम घुटने लगा। इसी दौरान करनबीर सिंह ने बहादुरीपूर्वक बस का दरवाजा तोड़ा और बच्चों को बाहर निकालना शुरू किया। करनबीर ने 15 बच्चों का जीवन बचाया। हालांकि 7 बच्चों को बचाया नहीं जा सका। करनबीर सिंह खुद भी घायल हो गया लेकिन उसने अपने अदम्य साहस से कई बच्चों की जान बचाई।

बेट्श्वाजॉन पेनलांग: घर में आग, 3 साल के भाई को बचाया

मेघालय के 12 साल, 11 महीने के बेट्श्वाजॉन पेनलांग को उनकी बहादुरी के लिए बापू गैधानी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। घटना 23 अक्तूबर, 2016 की है जब बेट्श्वाजॉन और उसका तीन वर्षीय भाई आरबियस घर पर अकेले थे। इसी दौरान उनकी झोपड़ी में आग लग गई। बेट्श्वाजॉन उस समय घर से बाहर आया हुआ था, उसने जैसे ही देखा कि झोपड़ी में आग लग गई है वह तुरंत अपनी अपने भाई को बचाने के लिए आग की लपटों के बीच झोपड़ी में गया। खतरे और दर्द को सहते हुए बेट्श्वाजॉन ने अपने तीन साल के भाई को सुरक्षित बाहर निकाला। हालांकि इसमें उसका दाहिना हाथ और चेहरा बुरी तरह से जल गया और हाथ की उंगलियां विकृत हो गईं।

ममता दलाई: मगरमच्छ से 7 साल की बच्ची की बचाई जान

ओडिशा की 6 साल 8 महीने की ममता दलाई को उनकी बहादुरी के लिए बापू गैधानी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। घटना 6 अप्रैल 2017 को ओडिशा के केन्द्रापाड़ा जिले की है। ममता दलाई और आसन्ती दलाई (7 वर्ष) नजदीक के तालाब में स्नान के लिए गई हुई थीं। उस तालाब में पास की नदी से एक मगरमच्छ आया हुआ था। जिसने अचानक ही आसन्ती पर हमला कर दिया। पांच फुट लम्बे मगरमच्छ ने आसन्ती का दाहिना हाथ अपने जबड़ों में जकड़ लिया और तालाब में खींचने लगा। इस दौरान ममता ने बिना डरे आसन्ती हाथ मगरमच्छ के मुंह से खींचने की कोशिश की। काफी मशक्कत के बाद ममता कामयाब हुई, उन्होंने आसन्ती को सुरक्षित बचा लिया।

सेबासटियन विनसेंट: तेज रफ्तार ट्रेन की चपेट में आने से बचाई दोस्त की जान

केरल के 12 साल 3 महीने के सेबासटियन विनसेंट ने अपनी बहादुरी से अपने दोस्त की जान बचाई। उनके इस कारनामे की वजह से उन्हें बापू गैधानी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। घटना 19 जुलाई 2016 की सुबह की है जब सेबासटियन विनसेन्ट और उसके मित्र साइकिल से अपने स्कूल जा रहे थे। जब वे सब एक रेलवे क्रासिंग को पार कर रहे थे तब उसके एक दोस्त अभिजीत का जूता रेलवे ट्रैक में फंस गया। इस कारण वह साइकिल और स्कूल बैग के साथ ट्रैक पर गिर गया। इसी दौरान एक रेलगाड़ी तेज रफ्तार से उनकी आ रही थी। खतरे को देखते हुए सेबासटियन ने तुरन्त अपने दोस्त को

बचाने की कोशिश की। सेबासटियन ने शीघ्रता दिखाते हुए अभिजीत को पूरी ताकत से ट्रैक से दूर धकेला और स्वयं भी रेलगाड़ी आने से तुरन्त पहले ट्रैक से दूर जाकर गिरा। इस घटना में सेबासटियन के दाहिने हाथ की हड्डी टूट गयी, हालांकि अपनी दोस्त की जान बचाने में कामयाब रहा।

लक्ष्मी देवी: तीन अपराधियों को पकड़वाने में की मदद

पूरा मामला 02 अगस्त 2016 की रात करीब आठ बजे का है जब रायपुर की 15 साल 11 महीने की लक्ष्मी यादव और उसके एक मित्र गणेश नगर मार्ग पर बाईक खड़ी करके कुछ बात कर रहे थे। उसी समय एक अपराधी अपने दो साथियों के साथ वहां पहुंचा। उन दोनों के साथ गाली-गलौज और मार-पीट करते हुए उन्होंने उनकी मोटर साइकिल की चाबी छीन ली। इसी दौरान एक अपराधी ने जबरदस्ती लक्ष्मी को खींचते हुए बाईक पर बैठाया और तीनों उसे अगवा करके यौन शौषण के इरादे से एक सुनसान जगह पर ले गये। हालांकि लक्ष्मी ने अपना संतुलन बनाए रखा और बाइक की चाबी निकाल कर छिपा दिया। बदमाशों ने उन्हें पकड़ने की कोशिश कि लेकिन वो उन्हें धक्का देकर फरार हो गई। लक्ष्मी सीधे पुलिस चौकी पहुंची और मामले की सूचना दी। जिसमें तीनों बदमाश पुलिस के हत्थे चढ़े। इसी के लिए लक्ष्मी को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

चिंगाई वांग्सा: बुजुर्ग को जिंदा जलने से बचाया

नागालैंड के 17 साल, 7 महीने के चिंगई वांग्सा ने बुजुर्ग की जान बचाई। घटना 4 सितम्बर 2016 की सुबह की है। अधिकांश ग्रामीण चर्च में थे जब एक घर में आग लग गई। 74 वर्षीय एक बुजुर्ग घर में सो रहे थे, कि उनकी रसोई से आग की लपटें उठने लगी। तभी पड़ोस में रहने वाले चिंगई वांग्सा ने बगल वाले घर की छत से आग की लपटें उठती हुई देखीं। चिंगई वांग्सा तुरन्त दरवाजा तोड़कर बुजुर्ग के घर में पहुंच गया। वृद्ध व्यक्ति निद्रावस्था में थे। चिंगई वांग्सा ने उन्हें उठाया और सुरक्षित बाहर लेकर आया। बाद में घर के पिछले हिस्से में बंधे पशुओं को बचाया। चिंगई की बहादुर के लिए उन्हें ये सम्मानित किया गया।

समृद्धि सुशील शर्मा: बदमाश से बचाई जान

गुजरात की समृद्धि सुशील शर्मा ने 16 साल 3 महीने की उम्र में बहादुरी पुरस्कार मिला है। पूरा मामला 1 जुलाई 2016 की दोपहर का है जब समृद्धि शर्मा घर पर अकेली थी। इसी दौरान दरवाजे की घंटी बजी। उसने दरवाजा खोला तो सामने खड़ा एक नकाबपोश व्यक्ति नौकरानी के विषय में पूछताछ करने लगा। समृद्धि ने उसे बताया कि वह अपना काम खत्म करके जा चुकी है। तब उसने पीने के लिए पानी मांगा। समृद्धि ने पानी के लिए मना किया तो उस शख्स ने चाकू निकाल लिया और उसकी गर्दन पर रख दिया। हालांकि किसी तरह समृद्धि ने उस शख्स का चाकू बाहर फेंक दिया और उसे भी दरवाजे से बाहर धकेल दिया। हंगामा बढ़ने पर आरोपी बदमाश भाग गया लेकिन समृद्धि को चोट आई। उसे दो बार ऑपरेशन करवाना पड़ा।

जोनुनतुआंगा: पिता पर भालू ने किया हमला, बचाई जान

15 साल 10 महीने के जोनुनतुआंगा मिजोरम के रहने वाले हैं। घटना 20 अगस्त 2016 की सुबह की जब जोनुनतुआंगा और उसके पिता मिजोरम के सरचिप जिले में स्थित एक छोटी नदी पर जा रहे थे। रास्ते में कुछ हलचल सुनकर, उसके पिता पता लगाने के लिए रुके तो अचानक एक जंगली भालू ने उन पर हमला कर दिया। पिता को अपने बचाव का एक भी मौका न देते हुए, जंगली जानवर ने अपना हमला जारी रखा और उनके चेहरे को भयानक रूप से घायल कर दिया। जोनुनतुआंगा कुछ दूर था जब उसने उनकी चीखें सुनी और दौड़कर वहां पहुंचा। उसने निडरता से भालू से मुकाबला किया। अपने साहसिक प्रयास से वह भालू को भगाने में सफल हो गया। पिता को बचाने के लिए उन्हें नेशनल ब्रेवरी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।

नदाफ इजाज अब्दुल रॉफ: दो लड़कियों की बचाई जान

महाराष्ट्र के नदाफ इजाज अब्दुल रॉफ की उम्र 16 साल, 6 महीने है। उन्होंने दो मासूम को डूबने से बचाया। घटना 30 अप्रैल 2017, गांव परडी, जिला नानदेड़, महाराष्ट्र की है। कुछ महिलायें और लड़कियां, एक नदी पर बने जलाशय के किनारे गई हुई थीं। अचानक उनमें से एक लड़की का पैर फिसला और वह पानी में गिर गयी। यह देख, शेख अफसर अपनी सहेली को बचाने के लिये जलाशय में उतरी। किन्तु पानी गहरा होने के कारण वह भी डूबने लगी। तब दो और लड़कियां शेख आफरीन और शेख तबस्सुम उन्हें बचाने के लिए गईं। हालांकि वो डूबने लगी। इसी दौरान इजाज अब्दुल रॉफ और दो अन्य व्यक्तियों ने पानी में छलांग लगा दी। वह तबस्सुम और आफरीन को बचाने में सफल हो गया। दुर्भाग्यवश दो अन्य लड़कियों को बचाया नहीं जा सका।

पंकज सेमवाल: गुलदार से अपनी मां की बचाई जान

उत्तराखंड के पंकज सेमवाल की उम्र 15 साल 10 महीने है। घटना 10 जुलाई 2016 की रात करीब एक बजे, उत्तराखण्ड के टीहरी गढ़वाल जिले में हुई। घर की दूसरी मंजिल पर बरामदे में, पंकज सेमवाल अपनी मां और भाई-बहनों के साथ सोया हुआ था। एक गुलदार, सीढ़ी के रास्ते होता हुआ बरामदे में पहुंचा और अपने पंजों से उसकी मां पर हमला कर दिया। मां की चीखें सुनकर, पंकज उठा और एक डंडा लेकर गुलदार को भगाने का प्रयास करने लगा। बाद में गांव वाले भी इकट्ठा हो गए। हालांकि पंकज अपनी मां को बचाने में कामयाब रहा।

पंकज कुमार माहंत: तीन की बचाई जान

पंकज कुमार माहंत ओडिशा के रहने वाले हैं, उनकी उम्र 13 साल, 11 महीने है। घटना 22 मई 2017 की सुबह, ओडिशा के केंदुझर जिले में घटी। तीन महिलाएं बैजयन्ती (25 वर्ष), पुष्पलता (22 वर्ष) एवं सुचिता (34 वर्ष) स्नान के लिए बैतारनी नदी पर गई हुई थीं। स्नान करते समय, गीली रेत पर बैजयन्ती का पैर फिसला और वह 20 फुट गहरे पानी में जा गिरी। अन्य दो महिलाओं ने उसे बचाने का प्रयास किया परन्तु वे भी डूबने लगी। यह देख, पंकज तुरन्त उन्हें बचाने के लिए दौड़ा और तैरकर पानी की गहराई में पहुंचा। तीनों महिलाओं का वजन, पंकज के वजन और ताकत से कहीं अधिक था। अपने जीवन को दांव पर लगाकर, उसने उन तीनों को एक-एक कर बाहर निकाला। पंकज कुमार माहंत ने अपने निर्भीक एवं साहसिक कृत्य से तीन जीवन बचाए। जिसके लिए पंकज को बहादुरी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।

एफ. ललछंदामा: दोस्त को बचाने के लिए गंवाई अपनी जान

17 साल, 11 महीने के मिजोरण के एफ. ललछंदामा को मरणोपरांत बहादुरी अवॉर्ड मिला है। घटना 7 मई 2017 की दोपहर, ललछंदामा अपने सहपाठियों के साथ शहर से आठ किलोमीटर दूर त्लांग नदी पर गया जो कि मिजोरम की सबसे बड़ी नदी है। उन्होंने एक घंटे तैराकी का आनन्द लिया। जब वे वापसी की तैयारी कर रहे थे, तो अचानक उनके एक मित्र ललरेमकीमा का पैर, चट्टान पर जमी काई के कारण, फिसल गया और संतुलन बिगड़ने से वह नदी में जा गिरा। घबराहट की वजह से, वह तैर नहीं सका और मदद के लिए चिल्लाने लगा। ललछंदामा और ललमुंआसांगा ने तुरन्त पानी में छलांग लगा दी और तैरकर अपने असहाय मित्र के पास पहुंचे। डूबते हुए लड़के ने ललमुंआसांगा की गर्दन पकड़ ली जिस कारण उसे सांस लेने और तैरने में कठिनाई होने लगी। परिणामस्वरूप वे दोनों डूबने लगे। ललछंदामा ने साहस से ललमुंआसांगा को ललरेमकीमा की पकड़ से छुड़वाया और उसे किसी तरह किनारे तक पहुंचाने में सफल रहा। परिणाम की परवाह किए बिना, बहादुर ललछंदामा बगैर हिचकिचाहट, अपने दूसरे मित्र को बचाने के लिए एक बार फिर गहरे पानी में गया। निरन्तर कोशिश के बावजूद, वह अपने प्रयास में विफल हो गया और दोनों को अपने प्राण गंवाने पड़े।

नेत्रावती चव्हान: डूब रहे दो बच्चों को बचाने में गंवाई जान

कर्नाटक की 14 साल, 10 महीने की नेत्रावती चव्हान को मरणोपरांत गीता चोपड़ा अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। नेत्रावती ने अपनी बहादुरी का परिचय देते हुए तालाब में डूब रहे दो बच्चों को बचाने की कोशिश की। जिसमें उनकी मौत हो गई। मामला 13 मई, 2017 का है जब नेत्रावती चव्हान, एक पत्थर की खदान के पास बने तालाब के किनारे कपड़े धो रही थी। इसी दौरान दो लड़के गणेश और मुथू तालाब में तैराकी के लिए पहुंचे, लेकिन अचानक ही ये बच्चे तालाब में डूबने लगे। नेत्रावती तुरंत ही इन बच्चों को बचाने के लिए पानी में कूद पड़ी। 30 फुट गहरे तालाब में नेत्रावती ने अपनी जान की परवाह नहीं करते हुए पहले 16 वर्षीय मुथु को सुरक्षित बाहर निकाल लाई। फिर वो 10 वर्षीय गणेश को बचाने के लिए तालाब में उतरी। इसी दौरान उनकी दम घुटने से मौत हो गई। उन्हें मरणोपरांत वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

मनशा एन, एन. शैंगपोन कोन्याक, योकनेई को बहादुरी अवॉर्ड

मेरीबनी (3 वर्ष) और चुम्बेन (6 वर्ष) की माता के देहान्त के बाद, मनशा उनकी देखभाल किया करती थी। 7 अगस्त 2016 की रात करीब डेढ़ बजे, मनशा ने मेरीबनी की दबी-घुटी आवाज सुनी। वह बच्ची को देखने के लिए गई। वहां मेरीबनी के पिता को उसका गला दबाकर मारने का प्रयास करते देख, वह आश्चर्यचकित रह गई। मनशा ने तुरन्त बच्ची को छीना और उसके पिता को धक्का देकर, बच्ची को अपने साथ ले गई। कुछ मिनट बाद, दुबारा उसने वैसी ही आवाज सुनी। वह तुरन्त भागकर वहां पहुंची तो देखा कि पिता अपने बेटे चुम्बेन का बेल्ट से गला घोंटने का प्रयास कर रहा था। मनशा ने उसे बच्चे से दूर धकेला और मदद के लिए चिल्लाई। इसी दौरान शेंगपॉन और योकनेई वहां पहुंचे। इसी दौरान वेनथंगो कुल्हाड़ी लेकर पहुंचा और अपने बच्चों को मारने की कोशिश की। हालांकि किसी तरह से उन बच्चों को बचाया गया। मनशा, शेंगपॉन और योकनेई की बहादुरी से मासूम बच्चों की जान बच गई।

लोकराकपाम राजेश्वरी चनु: अपनी जान देकर बचाई दो जानें

मणिपुर की 13 साल, 7 महीने लोकराकपाम राजेश्वरी चनु को बहादुरी अवॉर्ड मरणोपरांत मिला है। घटना 10 नवम्बर 2016 की है। ओगंबी केबीसाना अपनी बेटी इनंगंबी (तीन वर्षीय) और एक अन्य लड़की राजेश्वरी चनु के साथ एक लकड़ी का पुल पार कर रही थीं। छोटी बच्ची पुल पर बने छेद से नदी में गिर पड़ी। अपने बच्चे को बचाने के लिए उसकी मां भी तत्काल पानी में कूद पड़ी। परन्तु तैरना न आने के कारण, वह भी डूबने लगी। यह देख, राजेश्वरी चनु ने 30 फुट गहरे पानी में छलांग लगा दी। उसने बच्ची और उसकी मां को पकड़कर, किनारे की ओर धकेला। इस बीच कुछ लोगों ने चीख-पुकार सुनकर मां और बच्ची को बाहर निकाला। परन्तु राजेश्वरी चनु तीव्र जलधारा में बह गयी और उसे ढूंढा नहीं जा सका। राजेश्वरी चनु ने, अत्यन्त पराक्रम से, दो अमूल्य जीवन बचाने के प्रयास में, अपने प्राणों की आहूति दे दी।

साभार: @oneindia.com, @twitter

चीन-की-5 मंजिला बिल्डिंग के ऊपर बनी सड़क

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आज तक चीन दुनियाभर में अपने अनोखे अविष्कारों की वजह से मशहूर है, लेकिन एक और चीज़ चीन को मशहूर बनाती है, और वो  है वहां का ट्रैफिक। अगर आप चीन के चारों तरफ नजर घूमाओंगे तो आपको कोई न कोई नया अविष्कार देखने को मिल ही जाएगा।वहां आपको बहुत सी अजीबोगरीब तरीकों से बनी इमारते और बिल्डिंग नज़र आएंगी जिनकी कोई हद नहीं है।  आज हम आपसे एक ऐसे ही अनोखे अंदाज से बनी सड़क की बात करने जा रहे जिसको बनाने की वजह है वहां का बढता हुआ ट्रैफिक, जिसके बारे में सुनकर आप हैरत में पड़ जाएगे।

चीन के चोंगकिंग शहर में बनी इस सड़क को 5 मंजिला इमारत के ऊपर बनाया गया है। हैरानी की बात है कि मंजिल पर बनी इस 2-लेन रोड पर गाड़ियां उतनी ही तेज़ी से चलती हैं जितनी की वह एक आम सड़क पर चलती है । चोंगकिंग शहर की आबादी 8.5 मिलियन है और शहर ने  इसीलिये ये विचित्र फ़ैसला  लिया है। दरअसल, इस सड़क का निर्माण रोड कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिए किया गया है।

इस सड़क के नीचे रह रहे लोगों को किसी भी तरंह की कोई परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता क्योंकि उनके घरों में खास इक्विपमेंट्स लगाएं गए हैं ,जिनसे गाड़ियों का शोर उन तक नहीं पहुंच पाता। इसके अलावा भी चीन के चोंगकिंग शहर की रियाइशी इमारतें और एक से बढ़कर एक फ्लाईओवर देखने वाले है, जिनको देखकर आप भी यहीं कहेंगे कि सच में चीन का मुकाबला कोई नहीं कर सकता ।चीन ज़रूर जाएँ और वहां का मज़ा लें।