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राष्ट्रीय विज्ञान दिवस : जाने क्या है इतिहास और उदेश्य

हर साल 28 फरवरी को पूरे देश में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस “रमन प्रभाव” की खोज के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का उद्देश्य है विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों को बताना और दुनिया के सामने रखना है। इस अवसर के माध्यम से युवाओं को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।

इसके अलावा समाज में वैज्ञानिक सोच और तर्कसंगत दृष्टिकोण को बढ़ावा देना है। जिससे आने वाली पीढ़ियों को विज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिल सके और वे इस क्षेत्र में अपना भविष्य बना सके।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2024 के लिए थीम “विकसित भारत के लिए स्वदेशी प्रौद्योगिकियाँ ” रखी गई है।

“रमन प्रभाव” की खोज

सीवी रमन तमिल ब्राह्मण परिवार से आए थे। वह स्कूल और फिर विश्वविद्यालय के एक होनहार छात्र थे। रमन ने संगीत ध्वनियों की भौतिकी का अध्ययन किया और अंततः प्रकाश के बिखरने की घटना का निरीक्षण और विश्लेषण करना शुरू किया।

उन्होंने 1907 से 1933 तक इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस, कोलकाता, पश्चिम बंगाल में काम किया।

यहां उन्होंने भौतिकी के विभिन्न विषयों पर शोध किया था, जिनमें से एक “रमन प्रभाव” भी है, जो भारतीय इतिहास में विज्ञान के क्षेत्र में सबसे बड़ी खोज थी। जिसके लिए उन्हें 1930 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

1986 में राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार परिषद (एनसीएसटीसी) ने भारत सरकार से 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में नामित करने के लिए कहा था। जिसे सरकार ने स्वीकार कर लिया और पहला राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 28 फरवरी 1987 को मनाया गया था।

क्या है रमन प्रभाव?

रमन प्रभाव स्पेक्ट्रोस्कोपी में एक घटना है जिसे प्रख्यात भौतिक विज्ञानी ने “इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस” कोलकाता की प्रयोगशाला में काम करते समय खोजा था।

रमन प्रभाव अणुओं द्वारा फोटॉन कणों का लचीला प्रकीर्णन है जो उच्च कंपन या घूर्णी ऊर्जा स्तरों को प्रोत्साहित करते हैं। इसे रमन स्कैटरिंग भी कहा जाता है।

सरल शब्दों में यह प्रकाश की तरंगदैर्ध्य में परिवर्तन है जो प्रकाश की किरणों के अणुओं द्वारा विक्षेपित होने के कारण होता है।

जब प्रकाश की एक किरण किसी रासायनिक यौगिक के धूल रहित एवं पारदर्शी नमूने से होकर गुज़रती है तो प्रकाश का एक छोटा हिस्सा आपतित किरण की दिशा से भिन्न अन्य दिशाओं में उभरता है।

इस प्रकिर्णित प्रकाश के अधिकांश हिस्से का तरंगदैर्ध्य अपरिवर्तित रहता है। हालाँकि प्रकाश का एक छोटा हिस्सा ऐसा भी होता है जिसका तरंगदैर्ध्य आपतित प्रकाश के तरंगदैर्ध्य से भिन्न होता है और इसकी उपस्थिति रमन प्रभाव का परिणाम है।

रमन प्रभाव रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी का आधार निर्मित करता है जिसका उपयोग रसायन विज्ञानियों और भौतिकविदों द्वारा सामग्री के बारे में जानकारी प्राप्त करने हेतु किया जाता है।

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