ज्ञान व्यक्ति का सबसे कीमती धन है, इस विषय को आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों के माध्यम से समझाया है। आचार्य चाणक्य को ज्ञान का मंदिर माना जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि चाणक्य नीति के कारण कई युवाओं ने अपने जीवन में एक बड़ा बदलाव महसूस किया है।
आचार्य चाणक्य की गिनती दुनिया के उन सर्वश्रेष्ठ विद्वानों में होती है जिन्हें सभी विषयों का विस्तृत ज्ञान था। राजनीति, अर्थशास्त्र, कूटनीति में कुशल आचार्य जी ने यह भी बताया था कि मनुष्य का सबसे कीमती आभूषण क्या है, जिसकी सहायता से वह विश्व का सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति बन सकता है।
आज हम इस पोस्ट में जानेगें कि चाणक्य नीति के अनुसार व्यक्ति के लिए सबसे कीमती आभूषण क्या है तो आइए जानते हैं:-
अधमा धनमिच्छन्ति धनं मानं च मध्यमाः।
उत्तमा मानमिच्छन्ति मानो हि महतां धनम्॥
इस श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य ने बताया है कि निम्न स्तर का व्यक्ति हमेशा धन की कामना करता है, मध्यम वर्ग धन और सम्मान की कामना करता है। वहीं, उच्च स्तर के व्यक्ति को केवल सम्मान की चिंता रहती है।
इसलिए सम्मान सबसे कीमती आभूषण है। इसलिए किसी भी व्यक्ति को पैसा कमाने से ज्यादा सम्मान अर्जित करना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि एक सम्मानित व्यक्ति को कभी भी पैसे की चिंता नहीं होती है।
हस्तस्य भूषणं दानं सत्यं कण्ठस्य भूषणम् ।
श्रोत्रस्य भूषणं शास्त्रं भूषणैः किं प्रयोजनम् ॥
चाणक्य नीति के इस श्लोक में बताया गया है कि व्यक्ति के हाथ का आभूषण दान है, गले का आभूषण सत्य है और कान केवल शास्त्रों को सुनने से ही सुशोभित होते हैं, इन आभूषणों के होने पर अन्य आभूषणों की क्या आवश्यकता है।
इसलिए आचार्य चाणक्य कह रहे हैं कि ऐसे गहनों के पीछे नहीं भागना चाहिए जिनमें खो जाने का भय हो या हमेशा खो जाने का खतरा बना रहता हो।
बल्कि उसे अपने व्यावहारिक आभूषण को और परिष्कृत करना चाहिए। उसे खोने का डर नहीं होता और जो ज्यादा पाता है वही इंसान को दुनिया का सबसे अच्छा इंसान बनाता है।
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