आपने देखा होगा कि बारिश के दौरान कई बार बर्फ के छोटे-छोटे टुकड़े भी गिरने लगते हैं, जिन्हें हम ओले कहते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि ये ओले कैसे बनते हैं और फिर अचानक जमीन पर क्यों गिरने लगते हैं? आइए जानते हैं आखिर क्यों होती है ओलावृष्टि क्या है इसके पीछे का कारण।
जैसे कि आप सब जानते हैं कि जब पानी का तापमान 0 डिग्री सेल्सियस होता है, तब पानी बर्फ बन जाता है। ऐसे ही जब आसमान में तापमान शून्य से कई डिग्री कम हो जाता है तो वहां हवा में मौजूद नमी ठंडी बूंदों के रूप में जम जाती है। धीरे-धीरे ये बर्फ के गोलों का रूप धारण कर लेती है, जिन्हें ओले कहते हैं।
समुद्र तटीय वाले हिस्से जैसे मुंबई, तेलंगाना आदि जगहों पर ओले नहीं गिरते हैं। जिन जगहों पर मौसम में ज्यादा नमी रहती है या फिर तापमान गर्म रहता है, ऐसी जगहों पर ओलावृष्टि ना के बराबर होती है।
एक बार ओले जब बड़े आकार में बदल जाते हैं, तो पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण इन्हें धरती की सतह पर ले आता है, जिसे ओले गिरना या ओलावृष्टि कहते हैं, आमतौर पर यह तेज आंधी के साथ होती है।
ओलावृष्टि में सबसे ज्यादा नुकसान फसलों को होता है। इसके अलावा इमारतों की कांच की खिड़कियां, बाहर रखी कांच की चीजें, विमान और कारों को नुकसान होने का खतरा रहता है।
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