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एक ऐसे ‘इंजीनियर’ जिनके आगे अंग्रेज भी सिर झुकाते थे

15 सितंबर को प्रतिवर्ष हमारे देश में इंजीनियर्स को सम्मानित करने के लिए राष्ट्रीय अभियंता दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन महान इंजीनियर, भारत रत्न एवं ब्रिटिश नाइटहुड पुरस्कार से सम्मानित डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

भारत सरकार द्वारा साल 1968 में डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जन्मतिथि को ‘अभियंता दिवस’ घोषित किया गया था। उसके बाद से हर साल 15 सितंबर को अभियंता दिवस मनाया जाता है। विश्वेश्वरैया का जन्म 15 सितंबर 1860 को मैसूर (कर्नाटक) के कोलार जिले के एक तेलुगु परिवार में हुआ था।

एक इंजीनियर के रूप में डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का विशेष योगदान रहा है। उन्होंने देश में कई बांध बनवाए, जिसमें मैसूर में कृष्णराज सागर बांध, पुणे के खड़कवासला जलाशय में बांध और ग्वालियर में तिगरा बांध आदि महत्वपूर्ण हैं।

सिर्फ यही नहीं, हैदराबाद सिटी को बनाने का पूरा श्रेय डॉ. विश्वेश्वरैया को ही जाता है। उन्होंने वहां एक बाढ़ सुरक्षा प्रणाली तैयार की थी, जिसके बाद पूरे भारत में उनका नाम हो गया। विश्वेश्वरैया को मॉडर्न मैसूर स्टेट का पिता भी कहा जाता था।

इस वजह से अंग्रेज भी एम विश्वेश्वरैया के आगे सिर झुकाते थे

बात उस समय की है जब भारत अंग्रेजी गुलामी का दौर झेल रहा था। उस दौर में मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया ने अपनी इंजीनियरिंग के कौशल के साथ आम लोगों के हित का ऐसा दौर तैयार किया कि अंग्रेज भी उनकी तारीफ किए बिना नहीं रह सके।

ब्रिटिश काल के दौरान एक रेलगाड़ी में बहुत से अंग्रेज सवार थे वहीँ एक डिब्बे में एक भारतीय यात्री गंभीर मुद्रा में बैठा था। सांवले रंग और मंझले कद का वह यात्री सादे कपड़ों में था और वहां बैठे अंग्रेज उन्हें अनपढ़ समझकर मजाक उड़ा रहे थे।

अचानक उसने उठकर गाड़ी की जंजीर खींच दी। ट्रेन कुछ ही पलों में रुक गई। सभी यात्री चेन खींचने वाले को भलाबुरा कहने लगे।

थोड़ी देर में गार्ड आ गया और सवाल किया कि जंजीर किसने खींची तो उसने उत्तर दिया, “मेरा अंदाजा है कि यहां से लगभग कुछ दूरी पर रेल की पटरी उखड़ी हुई है।” गार्ड ने पूछा, “आपको कैसे पता?”

वह बोले, “गाड़ी की स्वाभाविक गति में अंतर आया है और इसकी आवाज से मुझे खतरे का आभास हो रहा है।” गार्ड उन्हें लेकर जब कुछ दूर पहुंचा तो देख कर दंग रह गया कि वास्तव में एक जगह से रेल की पटरी के जोड़ खुले हुए हैं। वह सांवले से व्यक्ति थे – मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया।

15 सितंबर 1860 में मैसूर के कोलार जिले में पैदा हुए डॉ. एम विश्वेश्वरैया के पिता श्रीनिवास शास्त्री संस्कृत के विद्वान और आयुर्वेद चिकित्सक थे। विश्वेश्वरैया की मां का नाम वेंकाचम्मा था।

साधारण परिवार में जन्मे एम विश्वेश्वरैया जब मात्र 12 वर्ष के थे, तो उनके पिता का निधन हो गया।  परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहा था, लिहाजा विश्वेश्वरैया गांव के ही सरकारी स्कूल में पढ़ते रहे।

बी.ए. करने के बाद उन्होंने कुछ समय शिक्षक के रूप में भी काम किया। उनकी योग्यता देख मैसूर सरकार ने उन्हें स्कॉलरशिप दी, जिसके बाद उन्होंने पुणे के साइंस कालेज में सिविल इंजीनियरिंग के पाठ्यक्रम में दाखिला लिया और प्रथम स्थान प्राप्त किया। इंजीनियर बनते ही उनकी योग्यता देख महाराष्ट्र सरकार ने इन्हें नासिक जिले के सहायक इंजीनियर के पद पर नियक्त किया।

इंजीनियर के रूप में विश्वेश्वरैया को असली ख्याति मिली पुणे के खड़कवासला बांध की भंडारण क्षमता में बिना ऊंचाई बढ़ाए बढ़ौतरी करने से।

बांधों की जल भंडारण स्तर में वृद्धि करने के लिए विश्वेश्वरैया ने स्वचालित जलद्वारों का उपयोग खड़कवासला बांध पर किया था।

वर्ष 1909 में उन्हें मैसर राज्य का मुख्य अभियंता नियुक्त किया गया। कृष्णराज सागर बांध के निर्माण के कारण मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का नाम पूरे विश्व में सबसे अधिक चर्चा में रहा।

इसका निर्माण स्वतंत्रता के करीब 40 वर्ष पहले हुआ था। वर्ष 1912 में उन्हें मैसूर राज्य का दीवान नियुक्त किया गया। उन्होंने चंदन तेल फैक्टरी, साबुन फैक्टरी, धातु फैक्टरी, क्रोम टेनिंग फैक्टरी प्रारंभ की। बांध निर्माण के साथ-साथ औद्योगिक विकास में भी उनका योगदान कम नहीं है।

वह उन शुरूआती लोगों में से एक थे, जिन्होंने बेंगलूर स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान में वैमानिकी एवं इंजीनियरिंग जैसे अनेक विभागों को आरंभ करने का स्वप्न देखा था। वह वर्ष 1918 में मैसूर के दीवान के रूप में सेवानिवृत्त हो गए।

उन्हें 1955 में देश के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न‘ से नवाजा गया। 101 वर्ष की दीर्घायु में काम करते रहने वाले विश्वेश्वरैया का कहना था कि ‘जंग लग जाने से बेहतर है, काम करते रहना।’

भारत के अलावा इन देशों में मनाया जाता है अभियंता दिवस

अभियंता दिवस सिर्फ भारत में ही नहीं मनाया जाता बल्कि कई अन्य देशों में भी यह दिवस मनाया जाता है। जैसे कि- अर्जेंटीना में 16 जून को, बांग्लादेश में 7 मई को, इटली में 15 जून को, तुर्की में 5 दिसंबर को, ईरान में 24 फरवरी को, बेल्जियम में 20 मार्च को और रोमानिया में 14 सितंबर को अभियंता दिवस के रूप में मनाया जाता है।

दरअसल, यह दिवस दुनियाभर के इंजीनियरों को प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जाता है, ताकि वो देश-दुनिया को अपने हुनर की बदौलत तरक्की की नई राह पर ले जाएं।

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