भाई दूज का त्यौहार भाई बहन के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। भाई दूज का त्यौहार दिवाली के दो दिन बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है।
इस दिन बहनें अपने भाइयों के हाथ पर कलावा बांधती है और माथे पर तिलक लगाकर एवं देवता से उसकी लंबी उम्र की कामना करती है।
दिवाली के 2 दिन बाद आने वाले इस पर्व का महत्व माना जाता है कि इस पर्व को सबसे पहले यमराज और उसकी बहन यमुना द्वारा बनाया गया था।
तो आइये जानते हैं भाई दूज का शुभ मुहूर्त और तिलक करने की विधि:-
भाई दूज तिलक शुभ मुहूर्त
इस साल भाई दूज का त्योहार दो दिन यानी 14 और 15 नवंबर 2023 को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल द्वितीया तिथि की शुरुआत 14 नवंबर 2023 को दोपहर 02 बजकर 36 से शुरू हो रही है। इसका समापन 15 नवंबर 2023 को दोपहर 01 बजकर 47 पर होगा।
तिलक करने की विधि
भाईदूज के दिन सुबह स्नान करें। उसके बाद भगवान् की पूजा करनी चाहिए। फिर सूर्य देव को अर्द्ध दें और सूर्य देव की पूजा करें और कहें कि मेरे भाई को चिरंजीवी होने का वरदान दें।
इसी वरदान के साथ भाई को टीका लगाने की विधि शुरू करनी चाहिए। इसके लिए आप पिसे हुए चावल के आटे या घोल से चौक बनाएं और शुभ मुहूर्त में इस चौक पर भाई को बिठाएं।
फिर भाई के माथे पर चावल का तिलक लगाएं, हाथ में कलावा बांधें और उन्हें सूखा नारियल, पान सुपारी, कुछ पैसे देकर मुंह मीठा करें और उन्हें भोजन कराएं।
भाईदूज से जुड़ी पौराणिक कथा
कई ऐसी पौराणिक कहानियां प्रचलित हैं, जिन्हें भाईदूज की शुरुआत का कारण मानते हैं। जिनमें से एक भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी है।
एक पौराणिक कथा के अनुसार, जब वह राक्षस नरकासुर को मारने के बाद घर लौटे तो उनका स्वागत उनकी बहन (सुभद्रा) ने फूल, फल और मिठाई से किया।
सुभद्रा ने दीया जलाकर और भगवान श्रीकृष्ण के माथे पर तिलक लगाकर एक हजार से ज्यादा सालों तक भाई के जीवित रहने की कामना की। कहते हैं कि इसके बाद ही भाईदूज मनाने की परपंरा बन गई।
भाई का बहन के घर जाकर भोजन करना काफी शुभ माना जाता है अगर वह शादीशुदा हो तो वह अपने भाई को अपने हाथों से बनाकर भोजन कराएं। भाई अपनी बहन को अपने सामर्थ्य के अनुसार कुछ ना कुछ भेंट अवश्य दे।