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ये है पाकिस्तानी दंगल गर्ल्स

आज के युग में लड़कियां भी लड़को से कम नहीं यह बात अब इन पाकिस्तान की दंगल गर्ल्स ने भी साबित कर दी है, जी हां आपको बता दें कि सिंगापुर में आयोजित ओशिनिया पैसिफिक पॉवरलिफ्टिंग चैंपियनशिपस में पाकिस्तानी दंगल गर्ल्स ने 57 किलोग्राम वर्ग की स्कवैट, बैंच प्रेस, डैड लिफ्ट तथा एग्रीगेट वेट श्रेणियों में चार स्वर्ण पदक जीते.

स्वर्ण पदक जीतने वाली सनेहा गफूर कहती है, “वहां मुकाबला बहुत कठिन था. दूसरी लड़कियां बहुत अच्छी लग रही थी. हमें खुद से ज्यादा अपेक्षाएं नहीं थी. मेरा मुकाबला सिंगापुर की एक लड़की से था. मैंने पहले ही प्रयास में सफलतापूर्वक वजन उठा कर उसे हरा दिया. वह रो पड़ी क्योंकि मैंने उसका स्वर्ण पदक छीन लिया था.”

आपको बता दे कि सनेहा वेटलिफ्टिंग चैंपियंस के परिवार से संबंधित है. उनके पिता अब्दुल गफूर ने 1970 के कामनवेल्थ खेलों में रजत पदक जीता था. उनके भाई इशितयाक तथा अब्दुल्ला भी वेटलिफ्टर है जिन्होंने अंतराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में कई पदक जीते थे.

गत वर्ष सिंगापुर में केवल सानेहा ने ही नहीं, बल्कि दो बहनों ट्विंकल तथा साइबिल सोहेल ने भी 47 तथा 72 किलोग्राम वर्गों में 4 पदक अपने नाम किए. उन दोनों की दो अन्य बहनें 23 वर्षीय मरियम (57 किलो वर्ग) तथा 14 वर्षीय वेरोनिका (44 किलो वर्ग) भी पॉवरलिफ्टिंग की ट्रेनिंग ले रही है.

ट्विंकल बताती है, “हमारे घर में सभी खेलों से जुड़े है.” हमारा एक भाई नेशनल साइकिलिंग चैंपियन है. हमारे माता-पिता ने हमेशा हमारा होसला बढाया है. हमारी सफलता का श्रेय हमारे पिता को जाता है. उनके लिए भी यह आसान नहीं था. जब हम बहनों ने पॉवरलिफ्टिंग शुरू की तो हमारे दादा ने इसका विरोध किया था कि क्यों परिवार की लड़कियां वजन उठाने का खेल खेल रही है. लोगों के तानों के बावजूद पिता जी ने हमारा खेल रुकने नहीं दिया. लोगों की धारना तब बदली जब हम पदक जीत कर देश लौटीं और अब उन्हें हम पर गर्व है.

इसके बाद 2011 में कुलसूम ने फ्रांस की राजधानी पेरिस में आयोजित वर्ल्ड वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में पकिस्तान की और से हिस्सा लिया था. दोहरी नागरिकता की वजह से वह पाकिस्तान में न रहते हुए भी उसकी और से अंतराष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा ले सकी, परन्तु अक्टूबर 2015 में जाकर पकिस्तान की पहली महिला पॉवरलिफ्टिंग टीम ने किसी अंतराष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था .

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