आपकी दिनचर्या का आपके हंगर मीटर पर बहुत असर पड़ता है. जैसे आप डिनर करते वक़्त टी.वी. देखते है.ड्राइविंग करते वक़्त आप गाने सुनते है. इंटरनेट पर ब्राउज़िंग करते वक़्त फ़ोन पर चैटिंग करते है. क्यूंकि ज़िन्दगी अत्यधिक व्यस्त होती जा रही है इसलिए दिन भर में आप जो प्राप्त करना चाहते है उसके लिए मल्टीटास्किंग यानी एक साथ कई काम करने की योग्यता की ज़रुरत लगातार बदती जा रही है. इसके परिणामस्वरूप आप में से अधिकतर के लिए सचेत रहना वास्तविकता के विपरीत एक सूक्षम आदर्श बन गया है. हालांकि सचेत रहने को कमी के चलते कई भावनात्मक तथा मानसिक समस्याएं पैदा होती है. ऐसे में माईन्द्फुल ईटिंग यानी सावधान रह कर खाना बहुत ज़रूरी है.
आज कल भोजन सिर्फ स्वाद तक ही सीमित नहीं रेह गया है. आप भोजन का आनंद अपनी पांचों इन्द्रियों का पूरी तरह से प्रयोग करके लेने में सक्षम है. आप लगातार इस बात का ध्यान रखते है कि आपका शरीर आपकी भूख तथा संतुष्टि के बारे में आप क्या बताता है. अपने हंगर मीटर को सही रखने के लिए निम्र बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है. ज़िन्दगी में खाने से सम्बंधित बहुत सी हिदायतें दी जाती है, जैसे लाल मीट का सेवन नहीं करना चाहिए. शाम 7 बजे के बाद कार्बोहाइड्रेट्स का सेवन न करें और हर दो घंटे बाद कुछ न कुछ खाएं. इन सब बातों से लोगों का अपने शरीर की भूख और संतुष्टि के संकेतों से संपर्क टूट गया है.
हम एक ऐसी ऐसी पीडी में रहते है जो कैलोरीज की गिनती पर ही निर्भर है इसलिए हम जो खो जाते है और जिस तरह खाते है इन दोनों बातों के संबंध में नियम तथा संख्या महत्त्वपूर्ण रहती है न कि हमारी जागरूकता.हमें नहीं पता कि हमें अपने शरीर पर कैसे विश्वास करना चाहिए और भावनात्मक उत्तेजनाओं द्वारा शारीरिक भूख तथा संतुष्टि में फर्क करना भी हम नहीं जानते. हालांकि हम ऐसी क्षमता लेकर पैदा होते है, परन्तु कंडीशनिंग के चलते हम यह सम्पर्क गवां बैठते है. बचों को प्राकृतिक तौर पर पता होता है. कि जब भूख लगे तो उन्हें खाना है और जब पेट भर जाए तो खाना रोक देना है.
हम में से प्रत्येक के पास पहले ही वजन कम करने का सर्वाधिक प्रभावी उपकरण यानी हंगर स्केल है. इसमें एक से 10 तक लेवल होते है और यह हमारे शरीर की प्राकृतिक ज़रूरतों से हमें पुन: परिचित करवाने में सहायक होता है. इसकी सहायता से हमें पता चलता है कि हमें कितना भोजन करना चाहिए, तलब तथा वास्तविक भूख के मध्य फर्क करना भी यह टूल हमें सिखाता है. साथ ही यह अधिक खाने के खतरे का भी रोकता है. इस टूल के विभिन्न लेवल इस प्रकार है:-
Level 1:- खाली पेट– आपको बेहोशी या बिमारी का एहसास हो सकता है, क्यूंकि आप भूखे है और आपने जैसे कई दिनों से कुछ भी खाया नहीं है.
Level 2:- अत्यधिक भूख– आपका पेट बहुत परेशानी वाली आवस्था में है. आप आसानी से खीझ उठते है.
Level 3:- आप भूखे है– आपको उर्जा की कमी महसूस हो रही है और आप हल्का सा असुखद है.
Level 4:- आप हल्के से भूखे है. आपको भूख महसूस होती है. परंतु इसके संकेत तथा लक्षणों को आप काबु
Level 5:- न्यूट्रल– आपको भूख तो महसूस हो सकती है, परन्तु आप खाने से पहले कुछ देर इंतज़ार कर सकते है.
Level 6:- लगभग संतुष्ट – आप काबु में रेह कर खा सकते है.
Level 7:- आप आरामदायक ढंग से संतुष्ट है– खाना बंद कर दें या आप अभी खाना शुरू ना करें.
Level 8:- अत्यधिक भरा हुआ पेट– आप बहुत से निवाले खा चुके है.
Level 9:- असुखद ढंग से भरा हुआ पेट – आपको लगता है कि आपको अफारा हो गया है.
Level 10:- आपने ठूंस ठूंस कर खाया है– आप हिल तक नहीं सकते और भोजन पर दोबारा नज़र डालने की आपकी इच्छा नहीं है
अपने हंगर स्केल को लगातार चैक करते रहे जिससे आप इस बात में सक्षम हो सकें कि आपने खाना कब शुरू करना है और कब समाप्त. हमें भूख का एक न्यूट्रल लेवल प्राप्त करना चाहिए जो इस स्केल के मध्य में यानी level 3 तथा level 7 के बीच आता है. इसमें आपको लेवल 3 पर खाना शुरू करना चहिए और level 6 या 7 महसूस होते ही खाना रोक देना चाहिए. हमारी ज़िन्दगी स्थिर यानी निष्क्रिय है और हमारी जीवनशैली में लगातार परिवर्तन की ज़रुरत होती है. इसी तरह हमारे हंगर लेवल में भी परिवर्तन होगा. यदि हम अपने हंगर स्केल पर ध्यान देंगे तो हमारा वजन स्वास्थकर ढंग से चलेगा. कई मामलों में आपके शरीर को सही मात्रा में कितना भोजन चाहिए, इस बात को समझने में कई दिन या सप्ताह लग सकते है. यदि आप खुद की भोजन का चुनाव करने की स्वतंत्रताविकसित कर लेते है और आपको पता है कि आप कितना खाएंगे तो इससे आपका अपने शरीर तथा अपने भोजन के मध्य एक बेहतर रिश्ता बनाने में मदद मिलेगी.