मलाणा- एक प्राचीन गांव
मलाणा, हिमाचल राज्य की कुल्लू घाटी के उत्तर पूर्व में स्थित एक प्राचीन गांव है. यह गांव पार्वती घाटी में चंद्रखानी (Chandrakhani) और देओटिब्बा (Deotibba) नाम की पहाड़ियों से घिरा हुआ मलाणा नदी के किनारे स्थित है. मलाणा गांव आधुनिक दुनिया से अप्रभावित है और इस गांव में रहने वाले लोगों की अपनी जीवन शैली और सामाजिक सरंचना है. यहां के लोग अपने रीति-रिवाजों का बड़ी सख्ती से पालन करते हैं. इस गाँव पर बहुत सी डाक्यूमेंट्रीज, जैसे कि Malana: Globalization of a Himalayan Village, और Malana, A Lost Identity बनी हुई हैं.
इतिहास
मलाणा गांव का इतिहास बहुत पुराना है. बहुत समय पहले इस गांव में “जमलू ऋषि” रहा करते थे. उन्होंने ही इस गांव के नियम-कानून बनाए थे. इस गांव का लोकतंत्र दुनिया का सबसे प्राचीन लोकतंत्र है. ऐसा माना जाता है कि जमलू ऋषि को आर्यों के समय से भी पहले से पूजा जाता है. जमलू ऋषि का उल्लेख पुराणों में भी आता है.
मलाणा में रहने वाले निवासी आर्यों के वंशज माने जाते हैं. जबकि अन्य परंपरा के अनुसार मलाणा गांव के लोग अपने आपको सिकंदर के सैनिकों का वंशज मानते हैं. बहुत समय पहले मुगल शासक अकबर अपनी बीमारी का इलाज करवाने यहां पर आया था. जब अकबर पूरी तरह से ठीक हो गया, तो उसने यहां पर रहने वाले लोगों को कर से मुक्त करवा दिया था.
सामाजिक सरंचना
मलाणा गांव की सामाजिक सरंचना यहां के ऋषि जमलू देवता के अविचलित विश्वास व् श्रद्धा पर टिकी हुई है. पूरे गांव के प्रशासन को एक ग्राम परिषद के माध्यम से ऋषि जमलू के नियमों द्वारा नियंत्रित किया जाता है. इस ग्राम परिषद में 11 सदस्य होते हैं, जिनको ऋषि जमलू के प्रतिनिधियों के रूप में जाना जाता है. इस परिषद द्वारा लिया गया फैसला अंतिम होता है और यहां पर गांव के बाहर वालों के कोई नियम लागू नहीं होते. इस गांव की राजनीतिक व्यवस्था प्राचीन “ग्रीस” की राजनीतिक व्यवस्था से मिलती है. इस वजह से मलाणा गांव को “हिमालय का एथेंस” भी कहा जाता है.
भाषा व बोली
मलाणा के निवासी एक रहस्यमयी भाषा बोलते हैं, जो Kanashi / Raksh (रक्ष) के नाम से जानी जाती है. कुछ लोग इसे राक्षस बोली मानते हैं. मलाणा की भाषा, संस्कृत और कई तिब्बती बोलियों का एक मिश्रण लगती है, लेकिन यह आस पास बोली जाने वाली किसी भाषा या बोली से मेल नहीं खाती.
कुछ भी छुआ तो जुर्माना
मलाणा के निवासी अपने आप को हर हाल में श्रेष्ठ मानते हैं और बाहर से आने वाले किसी भी व्यक्ति को घर, पूजा-स्थलों, स्मारकों, कलाकृतियों या दीवारों को छूने की इजाजत नहीं देते. अपनी विचित्र परंपराओं लोकतांत्रिक व्यवस्था के कारण पहचाने जाने वाले इस गांव में हर साल हजारों की संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं. इनके रुकने की व्यवस्था इस गांव में नहीं है. पर्यटक गांव के बाहर टेंट में रहते हैं.
अगर इस गांव में किसी ने मकान-दुकान या यहां के किसी निवासी को छू (टच) लिया, तो यहां के लोग उस व्यक्ति से एक हजार से दो हज़ार तक रुपए वसूलते हैं. इस सूचना को दर्शाने के लिए जगह-जगह बोर्ड लगे हैं.
कुख्यात “मलाणा क्रीम”
मलाणा क्रीम “भांग/चरस मार्किट” में सबसे महंगी और सबसे अच्छी चरस मानी जाती है. इसका कारण यहाँ की चरस में पाया जाने वाला उच्च-गुणवता का तेल है. स्थानीय पुलिस व प्रशासन मलाणा में भांग की खेती को हतोत्साहित करने के लिए समय समय पर अभियान चलाते हैं, फिर भी काफी मात्रा में यहाँ से भांग की तस्करी बाहरी देशों में की जाती है.
मलाणा गाँव सदा से ही इतिहासकारों के लिए शोध का विषय रहा है और आगे भी रहेगा.
यह भी पढ़ें:-
- उत्तराखंड का एक गांव, जहां इंसान नहीं सिर्फ भूत रहते है!!
- भारत का एक अनोखा गांव जो व्हिसलिंग विलेज के नाम से मश्हूर है
- अजब- रेगिस्तान के बीचों-बीच बसा हुआ है ये गांव
- अजब, भारत का एकमात्र जुड़वाँ लोगों का गाँव!
- यहाँ जमीन के नीचे बसा है अनोखा गाँव, दिलचस्प है कारण!