दिवाली हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा त्यौहार है। धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक लिहाज से दिवाली भारत वर्ष और विश्व भर के हिंदू, सिख और अन्य धर्मों के बीच बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार है।
दिवाली की शुरुआत, नाम और उद्देश्य
दीपावली का अर्थ है दीपों की माला अर्थात बहुत सारे दीयों को एक साथ जलाना। अंधकार को बुराई, पाप और असत्य का प्रतीक माना जाता है जबकि प्रकाश को अच्छाई, पुण्य और सत्य का प्रतीक समझा जाता है।
इसलिए दीप जला कर यह प्रकट किया जाता है कि अच्छाई, पुण्य और सत्य के साथ हैं न कि बुराई के साथ। साथ ही यह छुट्टी, आराम, ख़ुशी, उत्सव और उल्लास का पर्व है। हिन्दू धर्म के साथ ही इस त्यौहार को सिख, बौद्ध तथा जैन धर्म के लोग भी मनाते हैं।
आईये देखते हैं कि विभिन्न धर्मों के लोग दिवाली को किन कारणों से मानते हैं।
हिन्दू धर्म में दिवाली
हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार जब आयोध्या के भावी राजा मर्यादा पुरषोतम भगवान राम चौदह वर्ष का वनवास काट कर आयोध्या वापिस लौटे तो आयोध्या के निवासियों ने घी के दीपक जला कर उनका स्वागत किया।
साथ ही राज्य भर में निवासियों ने अपने परमप्रिय राजा के वापिस आने की ख़ुशी में गाँव-२ नगर-२ में हर्षोउल्लास में कई दिनों तक नाच-गा कर उत्सव मनाये। उन्होंने एक दूसरे को गले लगा कर बधाईयां दी और उपहार आदि भेंट किये। हिन्दू धर्म में मर्यादा पुरषोतम राम को हिन्दुओं के मुख्य देवता भगवान् विष्णु का अवतार माना जाता है।
वनवास के अंतिम भाग में रावण ने माता सीता का अपहरण कर लिया था। श्री राम ने वानर, भालुओं की सेना लेकर रावण की स्वर्ण नगरी पर चढ़ाई कर रावण का वध किया और माता सीता को मुक्त करा लिया था।
उनकी इस जीत की ख़ुशी में भी आयोध्या वासियों के उल्लास को बढ़ा दिया था। हिन्दू कैलेंडर पञ्चाङ्ग के अनुसार हर वर्ष उसी दिन यह त्यौहार मनाया जाने लगा और इसे दिवाली या दीपावली का नाम दे दिया गया।
रावण को अंधकार, पाप और असत्य का प्रतीक माना गया है और श्री राम को प्रकाश, पुण्य और सत्य का। इसीलिए दिवाली को प्रकाश का पर्व भी माना जाता है। बृहदारण्यक उपनिषद में वर्णित ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ अर्थात् ‘अंधेरे से ज्योति अर्थात प्रकाश की ओर जाइए’ को यह त्यौहार सत्यापित करता है ऐसा माना जाता है।
सिख धर्म में दिवाली
सिख धर्म में दिवाली को बंदी-छोड़ दिवस के रूप में मनाया जाता है. दीपावली त्यौहार सिख समुदाय द्वारा ऐतिहासिक रूप से मनाया जाता है। इस दिन सिक्खों के छठे गुरु श्री गुरु हरगोविंद व अन्य राजाओं को मुग़ल राजा जहांगीर ने ग्वालियर किले की कैद से मुक्त किया था। उनके अमृतसर पहुंचने पर दिवाली मनाई गयी थी।
सिक्खों के लिए यह दिन इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि 1577 में इसी दिन सिखों के सबसे पवित्र स्थान अमृतसर के स्वर्ण मन्दिर का शिलान्यास हुआ था
जैन धर्म में दिवाली
जैन धर्म में दिवाली जैन तीर्थंकर महावीर जी के निर्वाण दिवस के रूप में मनाई जाती है। 527 ई. पू. में इसी दिन भगवान महावीर के परिनिर्वाण यानि मृत्यु पर उनके अनुयायी 18 राजाओं के समूह ने दीप जला कर उन्हें श्रद्धांजलि दी थी। ये सभी राजा महावीर के अंतिम प्रवचन के लिए एकत्र हुए थे।
उन्होंने यह कह कर दीप जलाये की एक महान प्रकाशपुंज के लिए एक प्रकाशदीप की श्रद्धांजलि से अच्छा भला क्या हो सकता है। तभी से जैन धर्म को मानने वाले दिवाली पर दीपक जलाते हैं। जैन लोग इस पर्व पर लक्ष्मी पूजन भी करते हैं।
बौद्ध धर्म में दिवाली
नेपाल के नेवाड़ लोग जो वज्रयाणा बोध धर्म के इष्टदेवों को मानते हैं वे लोग दिवाली पर लक्ष्मी का पूजन करते हैं। वे लोग पांच दिनों तक इस पर्व को मानते हैं।
इसी दिन आर्य समाज के प्रवर्तक स्वामी दयानंद तथा स्वामी रामतीर्थ का निर्वाण भी दिवस है जिस कारण दिवाली आर्य समाज के लिए दिवाली बहुत महत्व रखती है।
विभिन्न देशों में दिवाली
इसके अलावा विश्व भर में विभिन्न धर्मों के मानने वालों में दिवाली को बड़े पैमाने पर सौहार्द, भाईचारे और विश्व शान्ति की कामना के रूप में मनाया जाता है। ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, न्यूज़ीलैंड, फिजी आदि देशों में स्थानीय लोग प्रवासी भारतीयों के साथ इस पर्व को हर्षोउल्लास के साथ मनाते हैं।
दिवाली नेपाल, भारत, श्रीलंका, म्यांमार, मारीशस, गुयाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, सूरीनाम, मलेशिया, सिंगापुर, फिजी, पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया की बाहरी सीमा पर स्थित क्रिसमस द्वीप में एक सरकारी छुट्टी है।
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