हिंदू धर्म के अनुसार, शिवलिंग की पूजा करना अच्छा माना जाता है, और न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में जहां भी हिंदू रहते हैं, वे इस पूजा को करते हैं। शिव पुराण के अनुसार महादेव के अतिरिक्त अन्य कोई भी देवता साक्षात् ब्रह्मस्वरूप नहीं हैं।
संसार भगवान शिव के ब्रह्मस्वरूप को जान सके इसलिए ही भगवान शिव ज्योर्तिलिंग के रूप में प्रकट हुए ताकि शिवलिंग के रूप में इनकी पूजा होती है।
लेकिन हैरानी की बात यह है कि शिवलिंग को छूने और पूजा करने का अधिकार केवल पुरुषों को है और महिलाओं को ही आता हैं, अविवाहित लड़कियों के लिए यह बिल्कुल वर्जित है!
आज इस पोस्ट में जानेंगे कि आखिर क्यों अविवाहित लड़कियों को शिवलिंग को छूने की अनुमति क्यों नहीं होती, तो चलिए जानते हैं।
शिवलिंग का अर्थ
शिवलिंग, भगवान शिव का एक पवित्र प्रतीक है इसलिए उनके भक्तों द्वारा इसकी पूजा की जाती है। लिंग शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द ‘लिंगम’ से हुई है जिसका अर्थ है ‘लिंग’ इसलिए शिव लिंग का अर्थ है ‘भगवान शिव का लिंग‘ जिसे योनि के साथ दर्शाया गया है।
हिंदू धर्म की 4 प्रमुख संप्रदायों में से एक है। ‘शैव सिद्धांत’ जो शैव संप्रदाय की प्रमुख परम्पराओं में से एक है उसमें भगवान शिव की 3 परिपूर्णताएँ: परशिव, पराशक्ति और परमेश्वर बताई गई हैं।
आखिर क्या है इसके पीछे की वजह?
कथाओं के अनुसार माना जाता है कि भगवान शिव बहुत ही कठोर और पवित्र तपस्या करते थे और वो भी कहीं किसी जंगल में या किसी ऊंचे पहाड़ की चोटी पर, मानव सभ्यता से बहुत दूर। ऐसे में सिर्फ महिलाएं ही नहीं, किसी भी पुरुष का उनके आसपास रहना संभव नहीं था।
ऐसा माना जाता है कि जब भगवान शिव की पूजा की जाती है तो विधि-विधान का बहुत खयाल रखना पड़ता है। देवता व अप्सराएं भी भगवान शिव की पूजा करते समय बेहद सावधानी से उनकी पूजा करते हैं।
यह इसलिए कि कहीं देवों के देव महादेव की तपस्या भंग न हो जाए। जब शिव की तपस्या भंग होती है तो वे क्रोधित हो जाते हैं। इसी कारण से महिलाओं को शिव पूजा न करने के लिए कहा गया है।
ऐसा नहीं है कि अविवाहित लड़कियां भगवान शिव की पूजा नहीं कर सकती हैं। उनकी पूजा बिल्कुल कर सकते हैं लेकिन अकेले नहीं, बल्कि पार्वती जी के साथ।
लड़कियों को शिव-पार्वती की पूजा करने की अनुमति है। इसके अलावा लड़कियां भी अपनी पसंद का पति पाने के लिए 16 सोमवार का व्रत रखती हैं।
इसका कारण यह है कि भगवान शिव को सबसे अच्छा पति माना जाता है और लड़कियां उनसे अपने लिए उनके जैसा पति मांगती हैं।
लिंग पुराणम के अनुसार, सभी पुरुष भगवान शिव के अंश हैं और सभी लड़कियां पार्वती के अंश हैं। इसलिए भले ही लड़कियों को शिवलिंग को छूने की मनाही है, लेकिन इसमें जल चढ़ाने की कोई मनाही नहीं है।
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