दिवाली रोशनी का त्यौहार है। हिन्दू धर्म और परंपरा के अनुसार पूजा के समय दीपक जलाने का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि दीपक के बिना पूजा अधूरी होती है।
पूजा के दौरान सुबह-शाम भगवान के समक्ष एक दीपक जलाया जाता है। दिवाली, नवरात्रि या विशेष अनुष्ठानों के दौरान चौबीस घंटे दीपक जलाया जाता है। दीपक को चमक का प्रतीक माना जाता है।
प्रकाश घर में शुद्धता, जीवंतता और सकारात्मकता लाता है इसलिए दीपक जलाना आशा की निशानी माना जाता है। भगवान के समक्ष दीपक जलाने के लिए हमें कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए :-
दीपक जलाने का महत्व
दीपक को ज्ञान और प्रकाश का प्रतीक भी माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार, दीपक को सकारात्मकता और गरीबी को कम करने का साधन माना जाता है।
घर में दीपक जलाना शुभ माना जाता है। इनडोर लाइट्स सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करती हैं। शास्त्रों के अनुसार, भगवान के समक्ष दीपक जलाना अनिवार्य माना जाता है।
भगवान के समक्ष कौन सा दीपक जलाना चाहिए?
किसी भी पूजा को शुरू करने से पहले, शुरुआत में दीपक जलाया जाता है और अग्नि देवता से प्राथना की जाती है कि वे तब तक स्थिर रहें जब तक पूजा करने का संकल्प पूरा नहीं हो जाता।
हम भगवान के पास समक्ष तेल और घी का दीपक जला सकते हैं। कहा जाता है कि घी का दीपक अधिक सकारात्मकता लाता है।
ऐसा माना जाता है कि भगवान के समक्ष दीपक जलाने से लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और वहां स्थिर होती हैं। शुद्ध घी का दीपक जलाना अत्यंत लाभकारी होता है।
दीपक किस दिशा में रखना चाहिए?
दीपक को किस दिशा में जलाना चाहिए उसके लिए कुछ नियम दिए गए हैं, जिस दिशा में दीपक को निर्देशित किया जाना चाहिए:- ऐसा कहा जाता है कि यदि आप एक तेल का दीपक जला रहे हैं, तो आपको इसे अपने बाएं हाथ की ओर रखना चाहिए और यदि आप घी का दीपक जला रहे हैं, तो यह आपके दाहिने हाथ की ओर होना चाहिए।
आर्थिक लाभ के लिए दीपक उत्तर की ओर रखें। अगर आपके घर में बार-बार बीमारी हो रही है, तो दीपक को पूर्व की ओर रखें। ये दोनों दिशाएँ अत्यंत शुभ मानी जाती हैं।
दीपक जलाते समय इन खास बातों ध्यान रखें
- दीपक जलाने से पहले उसको अच्छे से साफ़ करे लें। साफ़-सुथरा दीपक ही पूजा में मान्य है।
- पूजा में कभी भी खंडित दीपक नहीं जलाना चाहिए। नहीं तो शुभ फल मिलने की जगह आपको परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
- इस बात का खास ख्याल रखें कि दीपक हमेशा भगवान की मूर्ति के ठीक सामने लगाएं। कई बार हम भगवान की प्रतिमा के सामने दीपक न लगाकर कहीं और लगा देते है, तो सही नहीं होता है।
- ध्यान रखें कि पूजा के दौरान बीच में दीपक ना बुझे। ऐसा होना अशुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि ऐसा होने पर पूजा का पूर्ण फल प्राप्त नहीं हो पाता है।
- घी के दीपक के लिए सफेद रुई की बत्ती इस्तेमाल ही करें जबकि तेल के दीपक के लिए लाल धागे की बत्ती श्रेष्ठ रहती है।