सशस्त्र सेना झंडा दिवस या झंडा दिवस भारतीय सशस्त्र बलों के कर्मियों के कल्याण हेतु भारत की जनता से धन-संग्रह के प्रति समर्पित एक दिन है। हर वर्ष 7 दिसंबर को सशस्त्र सेना झंडा दिवस मनाया जाता है।
‘सशस्त्र सेना झंडा दिवस‘ देश की सेना के प्रति सम्मान ज़ाहिर करने के रूप में मनाया जाता है। ये उन बहादुर सैनिकों के प्रति एकजुटता दिखाने का दिन है, जो देश की तरफ आंख उठाकर देखने वालों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए। सशस्त्र झंडा दिवस 7 दिसंबर, 1949 से भारतीय सेना द्वारा हर साल मनाया जा रहा है।
इस दिवस पर धन-संग्रह सशस्त्र सेना के प्रतीक चिन्ह झंडे को बाँट कर किया जाता है। इस झंडे में तीन रंग (लाल, गहरा नीला और हल्का नीला) तीनों सेनाओं को प्रदर्शित करते है।
क्यों मनाया जाता है ये दिन
‘सशस्त्र झंडा दिवस’ देश की सुरक्षा में शहीद हुए सैनिकों के परिवार के कल्याण के लिए मनाया जाता है। इस दिन झंडे की खरीद से जो पैसा इकठा होता है, उसे सैनिको के परिवार के कल्याण के लिए खर्च किया जाता है।
ऐसे मिला ‘सशस्त्र’ नाम
जब हमारा देश आज़ाद हुआ तो उस समय बहुत ही जान माल का नुक़साम हुआ था। जिसका अधिक नुकसान सैनिको के परिवार को उठाना पड़ा। इसी वजह से सैनकों के परिवारों की मदद करने के लिए 7 दिसंबर, 1949 का दिन चुना गया।
शुरुआत में यह दिन केवल झंडा दिवस के रूप में मनाया जाता था, लेकिन साल 1993 में इस दिन को ‘सशस्त्र झंडा दिवस’ का नाम दे दिया गया। इसके बाद से ये दिन प्रत्येक वर्ष सशस्त्र सेना द्वारा मनाया जाने लगा।
सशस्त्र झंडा दिवस पर जमा हुई राशि युद्ध वीरांगनाओं, सैनिकों की विधवाओं, दिव्यांग सैनिक और उनके परिवार वालों के कल्याण पर खर्च की जाती है।
तीन प्रमुख भाग
भारतीय सशस्त्र सेना में तीन प्रमुख भाग है, जिसमें भारतीय थलसेना, भारतीय जलसेना और भारतीय वायुसेना हैं। भारत के राष्ट्रपति भारतीय सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर हैं। भारतीय सशस्त्र बल भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के तहत आता है।