हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का अत्यधिक महत्व है। पितृ पक्ष के 15 दिनों की अवधि के दौरान, लोग अपने पूर्वजों की आत्माओं की मुक्ति के लिए पिंडदान, तर्पण, ब्राह्मण भोज आदि करते हैं। मान्यताओं के अनुसार सिद्ध और धार्मिक स्थलों पर पिंडदान और तर्पण करने से व्यक्ति को उचित फल की प्राप्ति होती है।
ऐसे में भारत के अलग-अलग हिस्सों में कई ऐसे स्थान हैं जहां लोग सफलतापूर्वक पितृ पक्ष श्राद्ध कर सकते हैं। आज हम आपको इस पोस्ट में 10 ऐसी जगहों के बारे में बताएंगे जहां आप पिंडदान कर सकते हैं।
काशी – उत्तर प्रदेश के मोक्ष शहर से जाना जाने वाला काशी श्राद्ध और तर्पण के लिए सबसे उपयुक्त स्थान माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यहां किए गए अनुष्ठानों से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति अवश्य होती है।
गया-बिहार का गया शहर भी सिद्ध स्थानों में गिना जाता है। यही कारण है कि इस स्थान पर श्राद्ध कर्म करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
हरिद्वार– उत्तराखंड में स्थित हरिद्वार को देव नगरी के नाम से भी जाना जाता है। पितृ पक्ष के दौरान, लाखों लोग इस स्थान पर इकट्ठा होते हैं और श्राद्ध अनुष्ठान करते हैं।
पुष्कर– राजस्थान में मौजूद इस सिद्ध स्थल में एक प्राचीन सरोवर मौजूद है, जहां लोग मुक्ति कर्म करते हैं।
लक्ष्मण बाण– कर्नाटक में मौजूद इस सिद्ध स्थल के तार रामायण काल से जुड़े हुए हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री राम ने इसी स्थान पर अपने पिता का श्राद्ध कर्म किया था। ऐसे में तर्पण और पिंडदान के लिए इस स्थान का महत्व और भी बढ़ जाता है।
नासिक– गोदावरी नदी जिसे दक्षिण गंगा के नाम से भी जाना जाता है, महाराष्ट्र में स्थित नासिक शहर से बहती है। ऐसे में यह सिद्ध स्थान श्राद्ध के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है।
प्रयाग– उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर लोग श्राद्ध कर्म करते हैं। यह वह स्थान है जहाँ तीन देव नदियाँ गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदी मिलती है।
ब्रह्मकपाल– उत्तराखंड में स्थित यह धार्मिक स्थल श्राद्ध के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जिन पितरों को किसी अन्य स्थान पर मोक्ष नहीं मिलता, उन्हें इस स्थान पर मोक्ष अवश्य प्राप्त होता है।
पिंडारक– गुजरात में स्थित पिंडारक भी पिंडदान के लिए सबसे उपयुक्त स्थान माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार इस स्थान पर पांडवों ने पिंडदान किया था।
लौहनगर– राजस्थान में मौजूद इस स्थान का महत्व भी बहुत ज्यादा है। मान्यता है कि इस स्थान पर मौजूद सूरजकुंड में पांडवों ने अपने पूर्वजों की मुक्ति के लिए श्राद्ध किया था।