भारत में बहुत से रहस्यमयी पर्यटन स्थल है.हमने अक्सर लोगों को यह कहते सुना है कि भारत रहस्यों का देश है. हमारे पास आपके लिए इसका जवाब है! हाँ ! भारत वास्तव में अपने सबसे विचित्र स्थानों में गहरे गहरे रहस्य दफन किए हुए है, जो कि लोगों को चौंका देते हैं जब वे उनके बारे में जानते हैं. हमने भारत के उन रहस्यमय स्थानों में से कुछ सूचीबद्ध किए हैं जो आपको इस आश्चर्यजनक देश के अद्भुत चमत्कारों के बारे में बताते हैं।
नीला कुरिंजी फूल, मुन्नार (केरल)
कई अदभुतप्राकृतिक नज़रों की भूमि केरल में एक अदभुत नज़ारा है यहाँ 12 वर्षों में एक बार खिलने वाला नीलाकुरिंजी फूल. वनस्पति विज्ञानी इन फूलों को “स्ट्रोबिलान्थिस कुन्थिएनम” भी कहते है क्योंकि ये सिर्फ 12 वर्ष बाद ही खिलते है वह भी मुन्नार के पर्वतों पर.यह अगस्त से उगने शुरू होते है और अक्टूबर तक खिलते रहते है. नीलाकुरिंजी फूलों के मध्य खड़े होने का अनुभव बहुत निराला होता है. अधिकतर प्रयटक वर्ष के इस समय के दौरान ही वहां जाते है ताकि यह अदभुत नज़ारा देख सकें
चुम्बकीय पर्वत, लदाख (जम्मू कश्मीर)
कल्पना करें कि जब अपकी कार पूरी तरह बंद हो तब भी यह पर्वत के ऊपर की और जाती हो, जी हाँ समुद्र तल से 11 हज़ार फुट की ऊंचाई पर लदाख में एक चुम्बकीय पर्वत स्थित है जो एक कार को तब भी अपने ऊपर की और खींचता है जब कार बंद हो यानी इसका इंजन ऑफ हो. यह सभी पर्यटकों के लिए एक रोमांचक अनुभव है और लेह के रास्ते में अवश्य देखा जाने वाला अदभुत अविश्वसनीय नज़ारा.
उड़ता पत्थर, शिवपुर (महाराष्ट्र)
हजरत कमर अली दरवेश पुणे में स्थित दरगाह है, जिसके साथ एक जादुई कथा जुडी हुई है. ऐसा माना जाता है कि लगभग 800 वर्ष पहले यह दरगाह एक व्यायामशाला हुआ करती थी और कमर अली नामक सूफी संत का यहाँ मौजूद पहलवानों ने मजाक उड़ाया था. इससे हताश होकर कमर अली ने पहलवानों द्वारा बॉडी बिल्डिंग के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पत्थरों पर जादू कर दिया. आज भी यहाँ 70 किलोग्राम वजनी एक चट्टान को 11 उँगलियों के स्पर्श तथा उस संत का नाम ऊँची आवाज़ में उच्चारण करके उठाया जाता है.
पक्षियों की सामूहिक आत्महत्या, जतिंगा (असम)
जतिंगा का प्राचीन नगर असम के बोरेल पर्वतों में स्थित है. प्रत्येक मानसून से यह नगर एक सर्वाधिक असामान्य परिदृश्य का गवाह बनता है. सितम्बर-अक्टूबर के आसपास विशेष काली अँधेरी रातों में सैंकड़ों की संख्या में प्रवासी पक्षी भवनों की ओर उड़ान भरते है और उनसे टकरा कर मर जाते है.यह रहस्य अब तक अनसुलझा है.
लोनार क्रेटर झील, महाराष्ट्र
1.8 किलोमीटर ब्यास और 150 मीटर की गहराई वाली यह क्रेटर झील 50 हज़ार वर्ष पूर्व उस समय बनी थी जब इस क्षेत्र में एक क्षुद्र ग्रह टकराया था जिसे अब दक्षिणी पठार भी कहा जाता है. ट्रैकिंग के शौक़ीन लोगों के लिए यह एक लोकप्रिय डेस्टिनेशन है जो औरंगाबाद से 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
कंकालों की झील-रूपकुंड झील, चमोली (उत्तराखंड)
रूपकुंड झील हिमालय के एक निर्जन हिस्से में 16500 फुट की ऊंचाई पर स्थित है. यह झील हिम से ढंकी रहती है और इसके आसपास चट्टानी ग्लेशियर स्थित है.इस स्थान के बारे में सर्वाधिक रहस्यमई बात यह है कि यहाँ पर 600 मानवीय कंकाल मिले थे. इनका संबंध 9 ईस्वी से माना जाता था.जब हिम पिघलती है झील के संकरे तल में से ये कंकाल दिखाई देने लगते है.
तैरते द्वीप, लोकटक झील(मणिपुर)
मणिपुर की लोकटक झील को विश्व की एकमात्र तैरती झील कहा जाता है.यह भारत की सर्वाधिक असामान्य जगहों में से एक है. इस झील में वनस्पति के बड़े बड़े पुंज है जो शानदार ढंग से गोलाकार है और सतह पर तैरते है. इन्हें फुमडी के नाम से जाना जाता है. तैरने वाली चीज़ें वनस्पति, मिट्टी तथा जैविक पदार्थों के झुंड है. इनमे से कुछ द्वीप इतने बड़े है कि उन पर रेसोर्ट्स तक बनाए गए है.
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