एनेस्थीसिया लेकर पौधे भी जानवरों तथा इंसानों जैसी ही प्रतिक्रिया करते है. एक शोध में इस बात का पता चला है और भविष्य में एनैस्थटिक्स प्रभावों के बारे में जानने के लिए पौधों पर ही प्रयोग करने की संभावनाएं भी देखी जाने लगी है.
ईथर गैस सूंघने के बाद ऑपरेशन के दौरान रोगियों को दर्द का एहसास ना होने की खोज के बाद 19वीं सदी में सर्वप्रथम एनेस्थीसिया का इस्तेमाल शुरू हुआ था. तब से एनेस्थीसिया में सहायक कई प्रकार के रसायनों का पता लगाया जा चूका है.
ताजा शोध को जर्मनी की यूनिवर्सिटी ऑफ बोन के विशेषज्ञ फ्रेंटीसेक बालुस्का के नेतृत्व में किया गया है. इसमें देखने को मिला है कि एनैस्थटिक्स के सम्पर्क में आने के बाद छुईमुई व् मटर के पौधे छूने पर होने वाली हरकतें नहीं कर सके.
कीटों को तुरंत पकड़ने में सक्षम “वीनस फ्लाई ट्रैप्स” पौधे एनैस्थटिक्स के प्रभाव में आने के बाद अपने इलेक्ट्रिकल सिग्नल पैदा करने में अक्षम हो गए तथा मखियों को पकड़ने के लिए वे अपने ढक्कन जैसे पत्तों को बंद नहीं कर सके.
“वीनस फ्लाई ट्रैप्स” में ऐसा होने की वजह डाईथील ईथर एनेस्थीसिया दिए जाने से किसी भी तरह की हरकत करने की क्षमता खो देना पाया गया.
इसी तरह के एनेस्थीसिया के कारण मटर के छोटे छोटे पौधों में स्वत: होने वाली गतिविधियाँ भी बंद हो गई. इस शोध से साबित होता है कि पौधों पर भी एनैस्थटिक्स का असर ठीक जानवरों तथा इंसानों जैसा ही होता है यानी वह भी इसके प्रभाव से बेहोश हो जाते है.