हम सबने देखा है कि हर स्कूल की कैमिस्ट्री लैब में दीवारों पर विभिन्न एलीमैंट्स’ (तत्वों) को दर्शाता हुआ, पीरियोडिक टेबल यानी ‘आवर्त सारणी’ का पोस्टर लगा होता है। करीब 150 वर्षों से यह रासायनिक तत्वों के बारे में जानने के लिए एक सरल साधन रहा है।
आइये आज हम इस पोस्ट के माध्यम से पीरियोडिक टेबल के बारे में कुछ रोचक जानकारी शेयर करते हैं। साथ ही यह भी देखते हैं कि पीरियोडिक टेबल की खोज किसने की थी|
दमित्री मेंडेलीव ने पहली बार पहचाना टेबल को
पीरियोडिक टेबल के रूप में तत्वों के वर्गीकरण के लिए जरूरी नियमों की खोज का श्रेय अक्सर ही रूसी रसायनविद् दमित्री मेंडेलीव को दिया जाता है, परंतु ऐसा करने वाले वह अकेले नहीं थे, अन्य वैज्ञानिकों ने इसका पता कुछ साल पहले ही लगा लिया था, परंतु वे दमित्री मेंडेलीव की तरह पहचान नहीं सके।
इनमें से एक वैज्ञानिक अंग्रेज थे, जिनका का नाम रसायनविद् जॉन न्यूलैंड्स था। 1860 के दशक में उन्होंने इस बात पर ध्यान दिलाया था कि, एक जैसे गुणों वाले तत्वों को यदि उनके एटोमिक मास (आणविक भार) के अनुसार वर्गीकृत किया जाए, तो वे एक-दूसरे के करीब रहते हैं।
परंतु अपनी बात को अन्य वैज्ञानिकों के सामने रखते हुए, उन्होंने इस नियम को समझाने के लिए इसकी तुलना संगीत की धुनों से कर दी थी, और जिस पर उनका बहुत मज़ाक उड़ाया गया था, और उनकी बात भी नजरअंदाज कर दी गई थी। जॉन न्यूलैंड्स की खोज को उनसे पहले एक अंग्रेज रसायनविद् विलियम ओडलिंग ने भी पेश किया था, परंतु वह भी इसके प्रति वैज्ञानिकों में रुचि पैदा करने में असफल रहे थे।
इस संबंध में दमित्री मेंडेलीव की सफलता का राज इस बात में छुपा है कि उन्हें यह पता लग गया था कि तत्वों का वर्गीकरण उससे कहीं अधिक जटिल है, जितना कि दूसरों को लगता था। इस वजह से पीरियोडिक टेबल में कुछ कॉलम अन्यों से लम्बे हैं।
उन्होंने यह भी शंका प्रकट की थी कि बीच में कुछ ब्लॉक्स उन तत्वों की वजह से खाली हैं जिनकी तब तक खोज ही नहीं हुई थी। उन्होंने उन अनजान तत्वों के गुणों के बारे में अनुमान लगाने का साहस भी दिखाया था।
बाद में ‘गैलियम’, ‘जर्मेनियम’ तथा ‘स्कैंडियम’ जैसे तत्वों की खोज से उनकी बातों की पुष्टि तो हो हुई ही और उनका नाम भी 19वीं सदी के महानतम वैज्ञानिकों की सूची में भी हमेशा के लिए दर्ज हो गया।