मध्य प्रदेश नए शैक्षणिक सत्र से हिंदी में चिकित्सा पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए पूरी तरह तैयार है। मध्य प्रदेश के विद्यार्थी अगले सत्र से हिंदी माध्यम से मेडिकल की पढ़ाई कर सकेंगे।
इसके लिए एमबीबीएस चिकित्सा पाठ्यक्रम की किताबों को हिंदी भाषा में तैयार किया जा रहा है। इसके लिए अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय को शासन की तरफ से यह जिम्मेदारी दी गई है।
हिंदी विवि को नोडल एजेंसी बनाया गया है। सबसे पहले हिंदी विश्वविद्यालय एमबीबीएस चिकित्सा पाठ्यक्रम का प्रथम वर्ष का कोर्स हिंदी में तैयार करेगा।
इस संबंध में मंगलवार को विश्वविद्यालय विनिमायक आयोग में बैठक आयोजित की गई। बैठक में निर्णय लिया गया कि एमबीबीएस, यूनानी और होम्योपैथी एवं अन्य चिकित्सा पाठ्यक्रम को हिंदी माध्यम में अनुवाद करके सभी विश्वविद्यालयों को उपलब्ध कराया जाएगा। यह प्रक्रिया राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत की जा रही है।
इसके तहत विद्यार्थी अपनी मातृभाषा में अध्ययन कर सकेंगे। बैठक में नोडल एजेंसी हिंदी विवि के कुलपति खेमसिंह डहेरिया, विनिमायक आयोग के अध्यक्ष प्रोफेसर भारत शरण सिंह, डा. शिवेंद्र मिश्रा, डा. सुरेश चंद्र अवस्थी, डा. उमेश शुक्ला, डा. डीके राय, डा. नलिनी, डा. बीके राय, डा. जीएस पटेल, डा. अमित दीक्षित आदि शिक्षाविद शामिल हुए। हिंदी विवि के कुलपति का कहना है कि जल्द ही पहले साल की किताबें तैयार कर ली जाएंगी।
पहले चरण में तीन किताबें तैयार की जाएंगी
हिंदी विवि पहले चरण में एमबीबीएस के पहले साल की तीन किताबें हिंदी भाषा में अनुवाद कर तैयार करेगा। छह से सात माह में अनुवाद का कार्य पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद फिर अगले साल की किताबें तैयार की जाएंगी। एमबीबीएस की पूरी किताबें डेढ़ से दो साल में तैयार कर ली जाएंगी।
हिंदी विवि में पहले चरण में एक साल की तीन किताबें तैयार की जाएंगी। डेढ़ या दो साल में पूरे एमबीबीएस के पाठ्यक्रम को तैयार कर लिया जाएगा।
प्रो. खेमसिंह डहेरिया, कुलपति हिंदी विवि
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