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छींक क्यों आती है जानिए कुछ रोचक तथ्य

हमारे नाक में अचानक गुदगुदी सी शुरू होती है फिर एक चुभने वाली सी खुजली आती है और अचानक नाक से एक जोर का फॉर्स लगता है जिसे छींक कहा जाता है। छींकना हमारे शरीर की एक जटिल शारीरिक प्रक्रिया है जिससे कि फेफड़े और अन्य आंतरिक अंगों को दूषित होने से बचाया जाता है।

छींकना या जिसे मेडिकल भाषा में sternutation कहते हैं वो तब होता है जब सांस लेने के रास्ते में नाक के अंदर जो लाइन्स होती है उनमें जलन होती है। इससे श्लेष्मा झिल्ली में भी जलन होने लग जाती है जो कि हमारे तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित कर देती है और हमारे दिमाग को छींक लेने के लिए एक संदेश भेजती है।

छींक आना इंसान के शरीर की इम्यून प्रोसेस का एक हिस्सा है। यह शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है। जब नाक में कुछ प्रवेश कर जाता है तो दिमाग का एक भाग जो छींक का केन्द्र या अनियंत्रित क्रियाओं के लिए उत्तरदायी होता है। यह हिस्सा दिमाग का निचला भाग होता है। इस हिस्से के द्वारा तेजी से सिग्नल भेजे जाते हैं। जिसके कारण गला, आंखें व मुंह कसकर बंद हो जाता है।

आज हम आपको बताने जा रहे हैं छींक से जुड़ी कुछ ऐसी ही रोचक बातें जिन्हें सुनकर आपको जरूर हैरानी होगी।

  • छींक के बाद लोगों को ”गॉड ब्लेस यू” कहते हुए सुना होगा मगर ये जानकर शायद आपको बहुत हैरानी होगी कि छींक आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छी है। छींकने से शरीर के हानिकारक जर्म बाहर निकलते हैं और यह प्रतिरोधी तंत्र की प्रक्रिया का जरूरी हिस्सा है। सेहतमंद जीवन के लिए छींक का आना भी जरूरी है।
  • यदि आपको छींके आ रही हैं तो आपको नींद नहीं आ सकती है या यूं कहें जब आप सोते हैं तो छींक नहीं आ सकती है, क्योंकि उस समय नसें आराम की अवस्था में होती हैं। आपके साथ छींक से जुड़ी नसों को भी आराम मिलता है इसलिए कभी भी नींद के दौरान आपको छींक नहीं आ सकती है।
  • छींक एक ऐसी क्रिया है जिसके आने पर हमारा शरीर भी नियंत्रण नहीं कर पाता है, क्योंकि इसकी गति बहुत तेज होती है। छींक की रफ्तार 100 मील प्रतिघंटा होती है। एक छींक के साथ लगभग 100000 जर्म वातारण में मुक्त होते हैं।
  • आपने ये तो सुना होगा कि धूप में रहने से स्किन डल हो जाती है, लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि धूप में ज़्यादा रहना छींक का कारण भी बन सकता है। जी हां तेज धूप से छींक की नसें सक्रिय हो जाती हैं। जिससे धूप में चलते वक्त भी छींक आ जाती है।
  • कुछ लोगों के छींकने की आवाज बहुत तेज़ होती है लेकिन आपको जान कर हैरानी होगी कि यह आवाज़ नाक से नहीं बल्कि मुंह से आती है। जब तेजी से हवा का दबाव बाहर निकलता है तो हमारे मुंह से ‘आछू’ की आवाज आती है लेकिन ये आछू भाषा के हिसाब से अलग-अलग होता है। फ्रेंच में एट्कम, इटैलियन में हप्सू, जापानी में हाकुशॉन और स्वीडिश में अट्जो कहते हैं। जबकि आछू इंग्लिश शब्द है।
  • शायद आपको ये बात अजीब लगे, लेकिन छींकने की वजह सेक्स भी हो सकता है। शोधों की मानें तो सेक्स के दौरान पैरासिंपेथेटिक नर्वस सिस्टम सक्रिय हो जाता है। जिससे सेक्स के बाद कई बार कुछ लोगों को बहुत छींक आती है।
  • कभी-कभी आपको इतनी जोरदार छींक आती है कि आपका अंग-अंग हिला हुआ सा महसूस होता है। छींकने के बाद ऐसा लगना लाजमी है, क्योंकि जब आप छींकते हैं तब आपके गले, डायफ्राम, पेट और सीने की मांसपेशियों में खिंचाव महसूस होता है। जिसके कारण इन अंगों का वर्कआउट हो जाता है।
  • कुछ लोगों को थ्रेडिंग करवाते समय या उसके बाद छींक आती है दरअसल, भौहों के ठीक नीचे जो नस होती है। वह श्वसन नली से जुड़ी होती है। इस नली से जुड़ी कोई भी गतिविधि छींक के रूप में इस नस पर प्रतिक्रिया करती है।

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