रेगिस्तान पृथ्वी का सबसे बंजर स्थान हैं, जहां सालाना 10 इंच से भी कम बारिश होती है। आज हम आपको रेगिस्तान की कुछ रहस्यमई बातों के बारे में बताने जा रहे हैं। तो आइये जानिए इसके बारे में।
आपको बता दें कि यह रेगिस्तान बहुत ही पुराने बने हुए हैं, लगभग 8 से 10 हज़ार साल पहले के ये बने हुए हैं। आमतौर पर रेगिस्तान को मरुस्थल भी कहा जाता है, यह बहुत ही गर्म रहते हैं। वास्तव में पृथ्वी पर दर्ज उच्चतम तापमान 1913 में कैलिफोर्निया और नेवादा की डैथ वैली में 134 डिग्री फारेनहाइट यानी 56.6 डिग्री सैल्सियस मापा गया था।
हालांकि, कई मरुस्थल गर्मियों में दिन के दौरान 100 डिग्री फारेनहाइट यानी 37.8 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान तक पहुंच जाते हैं, परंतु रात में वे ठंडे हो सकते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि, बादल तथा जल वाष्प रात के वक्त गर्मी को वातावरण में रोक कर रखते हैं- ठीक किसी कम्बल की तरह लेकिन मरुस्थल में ऐसा होने के लिए पर्याप्त बादल और जल वाष्प नहीं होते।
आपको बता दें कि कुछ मरुस्थल हमेशा ठंडे रहते हैं। वास्तव में दुनिया का सबसे बड़ा रेगिस्तान अंटार्कटिका है। बेशक यह बर्फ से ढका हुआ है, लेकिन वहां पर बारिश या बर्फबारी शायद ही कभी होती हो, जिस वजह से यह भी एक मरुस्थल है।
प्रसिद्ध रेगिस्तान
भारत के राजस्थान प्रदेश में बहुत बड़ा रेगिस्तान है, जो पाकिस्तान तक फैला हुआ है। हालांकि, दुनिया में और भी कई मरुस्थल बेहद विशाल हैं। उदाहरण के लिए अफ्रीका का सहारा मरुस्थल, जो अमेरिका से भी बड़े इलाके में फैला हुआ है। एशिया में विशाल गोबी रेगिस्तान चीन और मंगोलिया में फैला हुआ है। सोनोरान मैक्सिको तथा दक्षिण-पश्चिमी अमेरिका के कुछ हिस्सों में स्थित एक बड़ा मरुस्थल है।
रेगिस्तान में जीवन
अगर आपको लगता है कि मरुस्थल में जीवन संभव नहीं है, तो ऐसा कुछ नहीं बलकि मरुस्थल भी जीवन से भरे हुए हैं। मरुस्थल में ऐसे पौधे और जानवर रहते हैं, जो बिना पानी के जीवित रहने के लिए अनुकूल हो चुके हैं। कुछ पौधे जैसे कैकटस, अपने तनों में अगली बारिश तक पर्याप्त पानी बचा सकते हैं। मेसक्वाइट घास जैसे अन्य पौधों में बहुत छोटी पत्तियां होती हैं जो दिन में पानी बचाने के लिए मुड़ी रहती हैं।
कुछ जानवरों में भी मरुस्थल के अनुकूल ढलने की खूबी पैदा हो चुकी है, जो उन्हें बिना पानी के जीवित रहने में मदद करती है। सोनोरान मरुस्थल में कंगारू रैट को उन बीजों से पानी मिलता है, जिन्हें वे खाते हैं। रेगिस्तानी लोमड़ी जैसे कुछ मांसाहारी जानवरों को अपने शिकार से पर्याप्त तरल मिल जाता है। गर्मी और शुष्कता से बचने के लिए अधिकांश रेगिस्तानी जानवर दिन के वक्त जमीन में या चट्टानों की छाया के नीचे रहते हैं। उनमें से कई रात में शिकार करते हैं, जब मौसम ठंडा होता है।
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