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अच्छी होती हैं यह कुछ बुरी आदतें

ऐसी कई आदतें हैं, जिनसे हमको बचपन से दूर रहने को कहा जाता है| और, इन आदतों को सेहत के लिए खराब भी माना जाता है। हालांकि, हो सकता है कि, इनमें से कुछ आदतें वास्तव में उतनी बुरी ना भी हो जितना उनके बारे में दावा किया जाता है। हम आपको कुछ ऐसी ही कुछ आदतों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनको माना तो बुरा जाता है, परंतु आपके लिए वह काफी फायदेमंद हो सकती हैं।

नाखून चबाना

अंगूठा चूसने या नाखून चबाने वाले बच्चों को बड़े होने पर एलर्जी की सम्भावना काफी कम रहती है| क्योंकि, उनके शरीर का प्रतिरोधी तंत्र एक खास ढंग से विकसित हो जाता है। इस संबंध में शोध करने वाले प्रोफैसर मैल्कमर सीएर्स के अनुसार वह इन आदतों को प्रोत्साहित करने की सलाह नहीं देते हैं, परंतु इतना जरूरी है, कि इनके भी कुछ तो लाभ हैं।

आईसक्रीम

वैज्ञानिकों के अनुसार आईसक्रीम खाना तनावमुक्त होने का एक बढ़िया जरिया है । आईसक्रीम में दूध तथा क्रीम मिक्सचर में बड़ी मात्रा में एमिनो एसिड ट्रिप्टोफैन होता है, जो आपके दिमाग को शांत करने में मदद करता है। इससे व्यक्ति की नींद में भी काफी सुधार होता है।

शराब

एक अध्ययन के अनुसार जो लोग रोज एक गिलास वाइन या बियर पीते हैं। उन्हें डायबिटीज का खतरा काफी कम होता है। 10 साल तक 3 हजार से अधिक लोगों पर नज़र रखने के पश्चात वैज्ञानिकों ने पाया है कि, कम मात्रा में शराब पीने से इंसुलिन के प्रति कोशिकाओं की संवेदनशीलता बढ़ जाती है। इस बीच डेनमार्क में हुए एक अध्ययन के अनुसार रोज दो छोटे ग्लास वाइन पीने से एलजाइमर रोगियों की मौत का ख़तरा भी कम हो सकता है।

दिन में सपने देखना

अमेरिका की नैशनल एकैडमी ऑफ साइंसिज में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार दिन में सपने देखने जैसे एहसास से दिमाग की ताकत बढ़ सकती है। स्कैन्स से पता चलता है कि, जब हमारा मस्तिष्क झपकी आने पर भटकने लगता है. तो समस्याएं सुलझाने का काम करने वाला ‘एग्जीक्यूटिव नैटवर्क’ बेहद सक्रिय हो जाता है।

पास्ता

इतालवी शोधकर्ताओं ने पाया है कि, पास्ता के सेवन से मोटापा कम हो सकता है। इसकी एक वजह यह भी हो सकती है कि, पास्ता खाने वाले अनेक लोग इसे स्वस्थ आहार के तहत खाते हैं। वैसे 23 हजार लोगों के खान-पान का विश्लेषण करने के बाद पाया गया है, कि मोटापा कम करने में यह वाकई कारगर है।

दौड़ना

एक लोकप्रिय धारणा यह भी है कि, दौड़ना घुटनों के लिए अच्छा नहीं है, इसके ही विपरीत एक अध्ययन के आधार पर वैज्ञानिकों का कहना है कि, दौड़ने से घुटनों की सोजिश कम हो सकती है। दौड़ने से पहले तथा बाद में 18 से 35 वर्ष के लोगों के घुटनों में मौजूद द्रव्य की जांच करने के बाद वैज्ञानिकों ने पाया है कि, आधे घंटे बाद इनमें मौजूद सोजिश पैदा करने वाले तत्वों का घनत्व कम हो गया था। उनका यह भी कहना है कि, नियमित रूप से दौड़ने से ओस्टियोआर्थराइटिस से भी अधिक वक्त तक बचा जा सकता है।

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