भारत की राजधानी दिल्ली में घूमने के लिए बहुत सी जगह हैं। यहां पर खासतौर पर आपको ऐतिहासिक स्थल व मंदिर देखने को मिलेेंगे। इन स्थलों को देखने के लिए दुनियाभर से लोग आते हैं। दिल्ली में मौजूद एक ऐसा स्मारक है जो हर किसी को आश्चर्यचकित कर देता है और वह है लोटस टेम्पल। कमल के आकार का यह भव्य भवन हर किसी को अपने इतिहास और संरचना से हैरान कर देता है।
आज इस लेख के माध्यम से हम जानेगें इस खूबसूरत और भव्य लोटस टेम्पल के बारे में, तो चलिए जानते हैं:-
कमल के फूल जैसे आकार के लिए प्रसिद्ध इस मंदिर का निर्माण कार्य 13 नवम्बर 1986 में संपन्न हुआ था। इस मंदिर का उद्घाटन 24 दिसम्बर 1986 में हुआ था और आम लोगों के लिए इस मंदिर को 1 जनवरी 1987 को खोला गया था।
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कमल जैसी आकृति होने के कारण ही इसे कमल मंदिर या लोटस टेम्पल कहा जाता है। यह मंदिर बहाई धर्म के लोगों की आस्था और श्रद्धा के सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है।
तेहरान के पर्शियन बहा-उल्लाह ने बहाई धर्म की स्थापना की थी। अधिकतर लोगों का यह सवाल रहता है कि कमल मंदिर में आखिर किस भगवान की पूजा होती है।
दरअसल इस टेम्पल में किसी भी विशेष धर्म के भगवान की पूजा नहीं होती है। यह एक बहाई उपासना मंदिर है जिसे बहाई धर्म के लोगों द्वारा बनवाया गया था।
कमल मंदिर में किसी भी भगवान की मूर्ति नहीं है क्योंकि बहाई धर्म के लोग किसी एक भगवान में विश्वास नहीं करते, बहाई धर्म के लोगों का मानना है कि भगवान केवल एक है जो पूरे विश्व का रचयिता है इसलिए कमल मंदिर में आने वाले पर्यटक केवल इसकी वास्तुकला का दीदार करने और यहां पर मेडिटेशन, प्रार्थना के लिए आते हैं अर्थात लोटस टेम्पल में किसी भी धर्म के लोगों के जाने की मनाही नहीं है प्रत्येक धर्म के लोग यहां पर जाकर कमल मंदिर में घूम सकते हैं और प्रार्थना कर सकते हैं।
यह मंदिर खूबसूरती और वास्तुकला का इतना बेहतरीन नमूना है कि इसे बीसवीं सदी का ताजमहल भी कहा जाता है और अभी तक वास्तु कला के क्षेत्र में कमल मंदिर को सैकड़ों अवार्ड मिल चुके है।
आपको बता दें कि लोटस टेंपल को कनाडा के एक पर्सियन आर्किटेक्ट फरीबॉर्ज सहबा ने डिजाइन किया था और कमल मंदिर को बहाई धर्म के लोगो द्वारा एशिया महाद्वीप का मदर टेंपल भी कहा जाता है।
लोटस टेम्पल के बारे में दिलचस्प तथ्य
- लगभग क्षेत्रफल 26 एकड़ (10.5 हेक्टेयर , 105,000 वर्ग मीटर) क्षेत्र में फैले इस मंदिर में अन्दर जाने के लिए 9 दरवाजे भी बनाये गये हैं।
- इस मंदिर को करीब 700 इंजिनियर, तकनीशियन, (Technician) कामगार और कलाकारों ने मिलकर पूरा किया था।
- इसे बनाने में इस्तेमाल किये गए मार्बल को विशेष रूप से ग्रीस से आयत किया गया था।
- इस मंदिर में 27 खड़ी मार्बल की पंखुड़ियाँ भी बनी हुई है, जिसे 3 और 9 के आकार में बनाया गया है और इसके हॉल में लगभग 2400 लोग एकसाथ बैठकर प्रार्थना कर सकते है।
- इन पंखुड़ियों के शेल्स के निर्माण में स्टील को गेल्वनाइज्ड किया गया है ताकि उसे जंग से बचाया जा सके।
- इसकी लम्बाई लगभग 34 मीटर है और यह 9 तालाब से घिरा भी हुआ है।
- यहाँ दो छोटे सभागार भी हैं, जिसमें करीब 70 सीटें है।
- यह मंदिर अपने शांत वातावरण के लिए जाना जाता है, इसलिए यहाँ शोर मचाना मना है।
- यहाँ पर रोजाना लगभग 10 से 12 हजार लोग दर्शन (प्रार्थना) करने के लिए आते है।
- यहाँ पर हर घण्टे में 5 मिनट के लिए प्रार्थना सभाए आयोजित की जाती है।
- देश की राजधानी दिल्ली में स्थित कमल मंदिर विश्व के उन 7 प्रार्थना स्थलों में से एक है, जो बहाई धर्म का पालन करते हैं। बहाई धर्म के बाकी मंदिर सिडनी, पनामा, अपिया, कम्पाला, फ्रैंकफर्ट और विलेमेट आदि शहरों में स्थित हैं।
- आप यहाँ मंगलवार से रविवार तक किसी भी दिन जा सकते है। इस मंदिर में सोमवार को अवकाश रहता है।
- इस मंदिर का खुलने का समय गर्मियों में सुबह 9:30 बजे और बंद होने समय शाम को 6:30 बजे है। जबकि सर्दियों में यह सुबह 10:00 से शाम के 5:00 बजे तक खुलता है।