भारत में लोगों द्वारा माने जाने वाले 10 अंधविश्वास और उनके पीछे सम्भावित तर्क
भारत एक ऐसा देश है जहाँ आज के तकनीकी युग में भी लोगों द्वारा कई अंधविश्वास माने जाते हैं. जो आपको हैरान कर देंगे. हम भारतीय खुद को कई बार अंधविश्वासों और तकनीकी युग के बीच खड़े हुए पाते हैं. इन अंधविश्वासों पर सवाल उठाना हमारे लिए बहुत ही जरूरी बनता जा रहा है. यह हैं 10 अंधविश्वास जो भारतीय लोगों द्वारा आज भी माने जाते हैं. अंधविश्वास से जुड़े कुछ और दिलचस्प तथ्य जानने के लिए यहाँ क्लिक करें
सूर्य ग्रहण के दौरान घर के बाहर पैर नहीं रखने का अंधविश्वास
अपनी आँख से सूर्य ग्रहण को देखने से आँखों की दृष्टि खत्म होने का डर रहता है. हमारे पूर्वजों ने शायद इसी वजह से सूर्य ग्रहण को नुकसानदायक समझा और फिर सूर्य ग्रहण के समय लोगों को घर से ना बाहर निकलने का नियम बनाया और पीड़ी दर पीड़ी यह अंधविश्वास चलता गया और आज भी भारतीय इस अंधविश्वास को मानते हैं.
उत्तर दिशा की तरफ सिर करके नहीं सोना
हमारे पूर्वज जानते थे कि मानव के शरीर और पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में क्या संबंध हैं. इस वजह से हमारे पूर्वजों ने नियम बनाया होगा कि हमें दक्षिण की तरफ सिर करके सोना चाहिए क्योंकि उत्तर कि तरफ सर करके सोने से हमें रक्तचाप जैसी बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है. लेकिन धीरे-धीरे लोगों ने इस वजह के पीछे यह अंधविश्वास जोड़ दिया कि उत्तर की तरफ से मरने का खतरा बढ़ जाता है.
रात के समय पीपल के पेड़ के पास नहीं जाना
जन वन हेल्मोंत (Jan van Helmont) ने 17वीं सदी में खोजा था कि पौधे सूरज से रौशनी लेकर बढ़ते हैं. उससे पहले लोगों को यह तक पता नहीं था कि सूरज कि रोशनी और कार्बन डाइऑक्साइड का पौधों से क्या संबंध होता है? लेकिन हमारे पूर्वजों को प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के बारे में पता था जिससे उन्होंने लोगों को रात के समय पेड़ों के नजदीक सोने के लिए मना कर दिया था. लेकिन लोगों ने पीपल के पेड़ के साथ यह तथ्य जोड़ लिए कि पीपल के पेड़ पर भूत रहते हैं इसलिए इस पेड़ के पास रात के समय नहीं जाना चाहिए.
नींबू और मिर्ची का इस्तेमाल बुरी नजर से बचने के लिए करना
इस अंधविश्वास को “नींबू टोटका” भी कहते हैं, नींबू और मिर्ची में बहुत विटामिन होते हैं. इसी वजह से पूर्वजों द्वारा नींबू और मिर्ची का इस्तेमाल शादी जैसे अवसरों पर किया जाता था क्योंकि वह नींबू और मिर्ची को अच्छा प्रतीक मानते थे. लेकिन धीरे-धीरे लोग नींबू और मिर्ची को बुरी नजर से बचाने वाला प्रतीक मानने लगे.
अंतिम संस्कार समारोह में भाग लेने के बाद स्नान
हमारे पूर्वजों के पास हेपेटाइटिस, चेचक और अन्य घातक रोगों से बचने के लिए टीकाकरण जैसी चिकित्सक सुविधाएं नहीं थी. इसलिए उन्होंने इन घातक बीमारियों से बचने के लिए कई नियम बनाये. उनमें से एक था कि किसी व्यक्ति के अंतिम संस्कार के बाद घर आकर स्नान करना चाहिए. जिससे लोग इन घातक बीमारियों से बच सकते हैं. लेकिन धीरे-धीरे इस नियम को अंधविश्वास बना दिया गया इस नियम से भूत प्रेतों की कहानियां जोड़ दी.
मृत व्यक्ति के परिवार वालों को घर में श्राद्ध तक खाना नहीं पकाने का अंधविश्वास
हमारे पूर्वजों ने यह भी एक नियम बनाया था कि घर में अगर किसी कि मृत्यु होती है तो परिवार वालों को खाना नहीं पकाना चाहिए. यह नियम इसलिए बनाया था क्योंकि मृत व्यक्ति के सभी परिजन तो शोक में डूबे होते हैं. जिससे उनको बहुत थकान होती है और खाना पकाने में बहुत मुश्किल आती है. लेकिन आज के दौर में भारतीयों ने इस नियम को अंध विश्वास मान लिया और इसके पीछे एक काल्पनिक सोच रख दी कि अगर वह अंतिम संस्कार वाले दिन घर में खाना बनाएंगे तो मृतक के शरीर की आत्मा को शान्ति नहीं मिलेगी.
सूर्यास्त के बाद अपने नाखूनों को नहीं काटना चाहिए
हमारे पूर्वजों ने सूर्यास्त के बाद नाखूनों को इसलिए काटने के लिए मना किया था क्योंकि सूर्यास्त के बाद अँधेरे में नाखून काटना हमारे लिए नुकसानदायक हो सकता है. लेकिन लोगों ने इसके पीछे भी अंधविश्वास बना डाला जिससे लोग अपने नाख़ून दिन में ही काटते हैं अगर रात में रोशनी हो तब भी नहीं काटते.
कुछ निश्चित दिनों पर बाल नहीं धोने चाहिए
यह भी पूर्वजों द्वारा एक नियम बनाया गया था कि लोगों को पानी बचाने के लिए कभी-कभी अपने सर के बाल नहीं धोने चाहिए. धीरे-धीरे यह लोगों में अंधविश्वास बन गया.
शाम के समय झाड़ू लगाने से बुरा समय आता है
आचरण और अनुशासन भारतीय समाज की आधारशिला है. लेकिन भारतीयों में यह अंधविश्वास भी है कि सूर्यास्त के बाद घर में झाड़ू लगाना किस्मत के लिए बुरा होता है. लेकिन असल में पूर्वजों ने यह नियम इसलिए बनाया था कि अगर आप सूर्यास्त के बाद झाड़ू लगाते हो तो कम रोशनी के कारण आप जमीन पर गिरी कोई विशेष वस्तु को भी खो सकते हो.
घर से बाहर निकलने से पहले चीनी और दही खाना
भारत का पर्यावरण अत्यधिक गर्मी वाला है. इस पर्यावरण में दहीं आप पर एक शीतल प्रभाव छोड़ता है और इसमें थोड़ी मात्रा में चीनी मिलाने से दहीं एक तरह का ग्लूकोज बन जाता है. जो मनुष्य के शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है. लेकिन भारतीयों ने मीठी दही को अच्छी किस्मत का प्रतीक मान लिया.
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