दीपावली हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्यौहार है। हिंदू धर्म में दिवाली का विशेष महत्व है। दिवाली अमावस्या के दिन पड़ती है। जब हर जगह अँधेरा होता है, तब एक दीपक की रोशनी इस अंधेरे को दूर करती है।
यह त्यौहार अंधकार पर प्रकाश की जीत के रूप में मनाया जाता है। अंधेरा कितना भी गहरा क्यों न हो, प्रकाश की एक किरण उसे नष्ट कर सकती है।
आज हम आपको इस पोस्ट में बताने जा रहे हैं दिवाली का शुभ महूर्त, महत्त्व और पूजा के समय ध्यान रखी जाने वाली बातें। तो आइये जानते हैं :-
पूजा का शुभ महूर्त
दीपावली के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त 12 नवंबर की शाम 5 बजकर 40 मिनट से लेकर 7 बजकर 36 मिनट तक है। वहीं लक्ष्मी पूजा के लिए महानिशीथ काल मुहूर्त रात 11 बजकर 39 मिनट से मध्यरात्रि 12 बजकर 31 मिनट तक है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार इस मुहूर्त में लक्ष्मी पूजा करने से जीवन में अपार सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी।
महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान राम जब लंका विजय कर पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ वनवास पूरा कर अयोध्या वापस आए थे। तब अयोध्या का हर घर और चौराहा दीपों की रोशनी से जगमग था।
हर अयोध्यावासी ने भगवान राम के वनवास से नगर आगमन पर अपने घर को दीपों से सजाया था। तब से हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या को दिवाली मनाई जाती है।
पूजा के दौरान इस बात का ध्यान रखना जरूरी है।
- दीपावली के दिन, लक्ष्मी पूजा से पहले घर की सफाई करें और वातावरण की शुद्धि और शुद्धता के लिए पूरे घर पर गंगाजल छिड़कें। घर के दरवाजे पर रंगोली और दीपक भी लगाएं।
- पूजा स्थल पर चौघड़िया रखें और उस पर लाल कपड़े से लक्ष्मी और गणपति की मूर्ति रखें या दीवार पर लक्ष्मी की तस्वीर लगाएं। चौरांग के पास जल से भरा कलश रखें।
- देवी लक्ष्मी और गणपति की मूर्तियों पर हल्दी कुमकुम लगाएं और जल, चावल, फल, गुड़, हल्दी, गुलाल आदि चढ़ाएं और देवी महालक्ष्मी की स्तुति करें।
- इसके साथ ही देवी सरस्वती, काली, भगवान विष्णु और कुबेर की पूजा करें।
- लक्ष्मी पूजन पूरे परिवार को मिलकर करना चाहिए।
- लक्ष्मी पूजा के बाद तिजोरी, मशीनरी और व्यावसायिक उपकरणों की पूजा करें।