जयगढ़ किला राजस्थान के प्रमुख पर्यटन स्थल में से एक है. यह भारत के इतिहासिक स्मारकों में शामिल है. जयगढ़ किले का निर्माण जयपुर शहर को सुरक्षित करने के लिए किया गया था. मूल रूप से आमेर किले की रक्षा के लिए बनाया गया था, जयगढ़ किले की वास्तुकला आमेर किले के समान है. किले को दिया जाने वाला दूसरा नाम विजय किला है.
जयगढ़ किले का निर्माण
किले का निर्माण सावन जय सिंह द्वितीय द्वारा 15वीं से 18वीं शताब्दी के बीच लाल रेत के पत्थरों का उपयोग कर बनाया गया था. यह भारत के गुलाबी शहर जयपुर से 15 कि.मी. की दूरी पर स्थित है. यह किला राजा और शाही परिवार के लिए एक आवासीय स्थान के रूप में बनाया गया था. बाद में किले का इस्तेमाल हथियारों को रखने के लिए किया जाता था.
किले के दो प्रवेश दरवाजे
जयगढ़ किला, राजस्थान की राजधानी जयपुर में अरावली पर्वतमाला में चील का टीला नामक पहाड़ी पर बना है. इस किले के दो प्रवेश द्वार है जिन्हे दूंगर दरवाजा और अवानी दरवाजा कहा जाता है जो क्रमश: दक्षिण और पूर्व दिशाओं पर बने हुए है. किले में स्थित सागर तालाब में पानी को इक्ट्ठा करने की उचित व्यवस्था है. किले का निर्माण, सेना की सेवा के उदेश्य से किया गया था, जिसकी दीवारे लगभग 3 कि.मी. के क्षेत्र में फैली हूई है.
किले में है प्रसिद्ध तोप
किले के शीर्ष पर एक विशाल तोप रखी है जिसे जयवैन कहा जाता है, इस तोप का वजन 50 टन है. इस तोप में 8 मीटर लंबे बैरल रखने की सुविधा है जो दुनिया भर में पाई जाने वाली तोपों के बीच सबसे ज्यादा प्रसिद्ध तोप है. किले के सबसे ऊंचे प्वाइंट पर दीया बुर्ज है जो लगभग सात मंजिले पर स्थित है, यहां से पूरे शहर का मनोरम दृश्य दिखाई पड़ता है.
अब तक नहीं मिला खजाना
लोककथाओं के अनुसार, शासकों ने किले की मिट्टी में एक विशाल खजाना दफनाया हुआ था, हालांकि, यह खजाना कभी मिला नहीं। यह माना जाता है कि 1970 के दशक में राजस्थान की सरकार ने खजाना खोजा था और इंदिरा सरकार ने भले ये कहा हो कि कोई खजाना नहीं मिला, मगर जो सामान बरामद बताया गया और उसे जिस तरीके से दिल्ली भेजा गया वह कई सवाल छोड़ गया.