गुरु गोबिन्द सिंह जी की जयंती इस वर्ष 17 जनवरी यानि आज मनाई जा रही है। गुरु गोबिन्द सिंह जी सिखों के 10वें गुरु थे उन्होंने सिख धर्म के लिए बहुत ही महान काम किए और आदि श्री ग्रंथ साहिब जी को पूरा किया था।
महान संत गुरु गोबिन्द सिंह जी का जन्म पौष माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को साल 1666 में बिहार के पटना शहर में हुआ था। इनके पिता का नाम गुरु तेग बहादुर और माता का नाम गुजरी था।
गुरु गोबिन्द सिंह जी को बचपन में गोबिन्द राय नाम से पुकारा जाता था। उनके जन्म के बाद वह पटना में 4 वर्ष तक रहे, और उनके घर का नाम तख्त सहित पटना साहिब के नाम से जाना जाता है।
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महत्व
माना जाता है कि गुरु गोबिन्द सिंह की शिक्षाओं का सिखों पर बड़ा प्रभाव है। यह वास्तव में उनके मार्गदर्शन और प्रेरणा के तहत था कि खालसा ने एक सख्त नैतिक संहिता और आध्यात्मिक झुकाव का पालन किया।
गुरु गोविंद सिंह जी का जीवन परोपकार और त्याग का जीता जागता उदाहरण है। वे एक आध्यात्मिक गुरु थे जिन्होंने मानवता को शांति, प्रेम, करुणा, एकता और समानता की सीख दी।
1708 में अपनी मृत्यु से पहले, दसवें गुरु ने सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ, गुरु ग्रंथ साहिब को स्थायी सिख गुरु घोषित किया।
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गुरु गोबिन्द सिंह के सिद्धांत
गुरु गोबिन्द सिंह द्वारा जीवन जीने के 5 सिद्धांत दिए गए हैं। इन सिद्धांतों को ककार के नाम से जाना जाता है, इन ककार को सभी खालसा सिखों को धारण करना अनिवार्य माना गया है।
इनमें केश, कड़ा, कृपाण, कंघा और कच्छा शामिल है। मान्यता है कि इनके बिना किसी भी खालसा का वेश पूरा नहीं माना जाता।
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कैसे मनाई जाती है गुरु गोबिन्द सिंह जयंती?
गुरु गोबिन्द सिंह जी का सिख धर्म में महान योगदान रहा है इसलिए इस धर्म के लोग गुरु गोविंद सिंह जी की जयंती को बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ दुनिया भर में मनाया जाता है।
इस दिन सिख धर्म के लोग सुबह जल्दी उठकर नहा धोकर नए कपड़े पहनते हैं और गुरुद्वारे में मत्था टेकने जाते हैं और अपने परिवार और रिश्तेदारों के सुख समृद्धि की प्रार्थना करते हैं।
इस दिन गुरुद्वारे में लंगर भी लगता है। गुरुद्वारों में लोग गुरु गोविंद सिंह जी के गीत, कविता और कथा का आनंद लेते हैं और उन्हें याद करते हैं और भक्ति गीत गाते हैं।
अनमोल वचन
- अपनी जीविका ईमानदारी पूर्वक काम करते हुए चलाएं।
- अपनी कमाई का दसवां हिस्सा दान करें।
- काम में खूब मेहनत करें और काम को लेकर किसी तरह की आलस्यपन न करें।
- अपनी जवानी, जाति और कुल धर्म को लेकर घमंडी होने से बचें।
- दुश्मन का सामना करने से पहले साम, दाम, दंड और भेद का सहारा लें, और अंत में ही आमने-सामने के युद्ध में पड़ें।
- किसी की चुगली-निंदा से बचें और किसी से ईर्ष्या करने के बजाय मेहनत करें।
- हमेशा जरूरतमंद व्यक्तियों की मदद जरूर करें।
- खुद को सुरक्षित रखने के लिए नियमित व्यायाम और घुड़सवारी की अभ्यास जरूर करें।
- किसी भी तरह के नशे और तंबाकू का सेवन न करें।
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